पांचवीं के आधे से ज्यादा बच्चे नहीं पढ़ पाते दूसरी कक्षा की पाठ्यसामग्री
रायपुर। देश-प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की स्थिति को लेकर बीते दिनों जारी की गई असर (एनुअल एटेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) की प्रारंभिक रिपोर्ट आंख खोलने वाली है. देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में प्रायमरी स्कूल में शिक्षा के स्तर पर गिरावट देखने को मिली है.
असर की रिपोर्ट में वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक का खाका खींचा गया है. इसमें सरकारी स्कूल में कक्षा पांचवीं में पढऩे वाले बच्चों से कक्षा दूसरी की पाठ्य सामग्री को पढ़ सकते हैं. असर के लिए सर्वे में कक्षा दूसरी की सामग्री को न केवल कक्षा पांचवीं बल्कि कक्षा आठवीं के बच्चों को पढ़ाया गया, क्योंकि माना जाता है कि जैसे-जैसे कक्षा का स्तर बढ़ता जाता है, पाठ्यक्रम की जटिलता बढ़ती जाती है. ऐसी स्थिति में कक्षा दूसरी पढऩे के बाद आगे की कक्षाओं में बच्चे के पढ़ाई के स्तर में सुधार आया कि नहीं यह समझने में आसानी हो जाती है.
वर्ष 2008 में कक्षा दूसरी के पाठ्य सामग्री को पढऩे वाले कक्षा पांचवीं के बच्चों का पूरे देश में औसत 53.1 प्रतिशत था, वहीं छत्तीसगढ़ में ऐसे बच्चों का औसत 74.1 प्रतिशत था. लेकिन इसके बाद इसमें क्रमश: गिरावट देखने को मिली. वर्ष 2010 में घटकर 61.0 प्रतिशत, 2012 में 44.0 प्रतिशत, 2014 में 47.1 प्रतिशत, 2016 में 51.0 और 2018 में यह औसत 57.1 प्रतिशत तक पहुंच गई.