गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा नितांत आवश्यक – साय
अम्बिकापुर। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय द्वारा सरगुजा जिला अंतर्गत आने वाले मैनपाट के एकलव्य आवासीय विद्यालय में कलेक्टर, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं विद्युत विभाग के कार्यपालन अभियंता की बैठक लेकर विद्यालय में बिजली, पानी सहित अन्य आवश्यक मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
साय ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा सभी के लिए नितांत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा के अभाव में कुछ क्षेत्रों के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा के अनुरूप अध्ययन नहीं कर पाते, जिससे उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित नहीं हो पाता। उन्होंने बताया कि अधिकांश ग्रामों में प्राथमिक विद्यालयों का संचालन हो रहा है, किन्तु कुछ स्थानों पर विद्यालय भवनों तथा शिक्षकों के अभाव में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अन्य शासकीय कार्यो से ज्यादा सिर्फ पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध हो सके। श्री साय ने बताया कि अधिकांश जनजातियां सुदूर ग्रामों एवं वनों में निवास करती हैं, जिसके कारण गांवों में स्थित विद्यालयों से ही वे शिक्षा प्राप्त करते हैं।
साय ने कहा कि प्राय: यह देखा गया है कि जनजातीय वर्ग के बच्चों में पढ़ाई के साथ ही खेलने के प्रति अधिक उत्साह और ऊर्जा होती है, जिसके कारण विभिन्न प्रकार के खेलों की प्रतियोगिताओं में जनजातीय बच्चे बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में खेल के प्रति रूचि रखने वाले बच्चों के लिए अलग से एकेडमी स्थापित की गई है। जिसमें लगभग आधे से अधिक बच्चे जनजातीय वर्ग के हैं, जो यह दर्शाता है कि खेलों में जनजातीय बच्चों का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अन्य बच्चों की तरह जनजातीय बच्चों में भी सभी प्रकार के कौशल मौजूद रहते हैं। इन बच्चों को सही समय पर उचित मार्गदर्शन प्राप्त होने पर वे सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जनजातीय समाज में लड़कियों को विशेष महत्व दिया जाता है। कुछ जनजातियों में बालिका के जन्म पर उत्सव मनाया जाता है। हमें इस जनजातीय संस्कृति से बालिकाओं का विशेष सम्मान करने की सीख लेना चाहिए।
साय ने कहा कि शासन द्वारा जनजातीय समुदाय के विशेष विकास एवं आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकांश जनजातीयां प्रकृति से तादात्मय में स्थापित कर जीवन निर्वहन करती हैं। प्राय: यह देखा जा रहा है कि आधुनिकता के साथ लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जनजातीय संस्कृति से सीख लेते हुए प्रकृति से सामिप्यता बनाकर जीवन निर्वहन करना चाहिए, ताकि प्रकृति का मौसम चक्र प्रभावित न हो तथा मनुष्य एवं अन्य जीव-जन्तु प्रकृति में निर्विघ्न रूप से जीवन निर्वहन कर सकें। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद में प्रकृति की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही अर्थववेद में भी प्रकृति से संबंध स्थापित कर जीवन निर्वहन की सीख दी गई है। उन्होंने बताया कि अर्थववेद की ही देन है कि हम अपने देश को भारत माता के रूप में जानते हैं।
कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने आश्वस्त किया कि एकलव्य आवासीय विद्यालय में शैक्षणिक दृष्टि से आवश्यक समस्त सुविधाएं शीघ्र उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने विद्यालय में विद्युत एवं जल की नियमित आपूर्ति के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने शिक्षकों को विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों एवं विद्यालयीन स्टॉफ को आवास उपलब्ध हैं वे नियमित रूप से आवास में रहते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन सुनिश्चित करें। उन्होंने अन्य कर्मचारियों को भी विद्यालय में नियमित रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने विद्यालय के अच्छे परीक्षा परिणाम की प्रशंसा करते हुए भविष्य में भी बेहतर परीक्षा परिणाम आने की शुभकामनाएं दी। बैठक में विद्यालय के प्राचार्य सहित अन्य शिक्षक तथा संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।