मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, सात सौ से ज्यादा ऑगनबाड़ी केन्द्रों में बनाई गई पोषण वाटिका

महासमुंद। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 को शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को 3 वर्ष से ज्यादा समय हो गया। इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। महासमुंद जिले के पूरे क्षेत्र में कुपोषण एवं एनीमिया को जड़ से समाप्त करने कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। इस कार्यकम में जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। महामसुंद जिले में महिला एवं बाल विकास अंतर्गत 1795 ऑगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत है। जिसमें…

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक: परम्परागत खेलों से जुड़ते लोग

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पूरे राज्य में शुरू हो गया है। त्यौहारों के इस खुशनुमा माहौल में युवा से लेकर बुजुर्ग इन खेलों में उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। एक तरफ प्रकृति की हरियाली वहीं दूसरी ओर फसल के रूप में प्रकृति का उपहार इस उत्साह को कई गुना बढ़ा रहा है। पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे इन खेलों में लोगों का जुड़ाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ में इन खेलों के प्रति रूचि इस बात से पता चल रही है कि इन खेलों में भाग…

मुख्यमंत्री ने रेफरी बन खेल की शुरूआत की, पारंपरिक खेलों मे खुद आजमाए हाथ

छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता की चर्चा पुरातन काल से होती आ रही है। बीते कुछ समय तक इस संस्कृति को लगभग भुला दिया गया था। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से ही भूपेश बघेल ने यहां की संस्कृति और पुरातन सभ्यता को विश्व पटल पर लाने की योजना पर काम शुरू किया। स्थानीय त्यौहारों के अवसर पर अवकाश, बोरे-बासी को वैश्विक पहचान दिलाना, स्थानीय त्यौहारों के प्रति लोगों को जागरुक करना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल का परिणाम है। इसी कड़ी छत्तीसगढ़ की…

नए स्वरूप में खिला बारनवापारा अभ्यारण्य, वन्यप्राणियों के रहवास तथा चारागाह के लिए अच्छी सुविधा विकसित

रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे उत्कृष्ट तथा आकर्षक अभ्यारण्य बारनवापारा का नया स्वरूप में कायाकल्प हुआ है। यह कायाकल्प वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के अंतर्गत कैम्पा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) के वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में स्वीकृत राशि से किया गया है। इसके तहत 5 हजार 920 हेक्टेयर रकबा में सघन लेन्टाना उन्मूलन तथा यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य हुआ है। जिसमें से बारनवापारा अभ्यारण्य के 19 कक्षों में कुल 950 हेक्टेयर रकबा में लेन्टाना उन्मूलन का कार्य और 32 कक्षों में कुल 4 हजार 970 हेक्टेयर रकबा में…

स्वामी आत्मानंद स्कूल से प्रदेश में बदला शिक्षा का वातावरण

कोई देश कितना विकसित है, इसके तीन पैमानों में स्वास्थ्य, आर्थिक खुशहाली के साथ शिक्षा भी शामिल हैं। कोई देश यदि शिक्षा में निवेश करता है, तो भविष्य में उसे अपने निवेश पर कई गुना लाभ प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के रूप में ऐसा निवेश कर दिया है, जिसका लाभ आने वाली अनेक पीढ़ियों को सुखद भविष्य के रूप में मिलता रहेगा। एक राजमर्मज्ञ आने वाले समय की नब्ज को पहचानता है। दुनिया तेजी से ग्लोबल…

औद्योगिक प्रगति का आधार रहा है ‘मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर‘ क्षेत्र, अब छत्तीसगढ़ के 32 वें जिले के रूप में आकार लेगा यह क्षेत्र

देश के प्रमुख कोल खनिज सम्पदा से परिपूर्ण मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर क्षेत्र अब कोरिया जिले से अलग होकर छत्तीसगढ़ के 32वें जिले के रूप में आकार ले रहा है। यह जिला वन संपदा और खनिजों के भण्डार से समृद्ध है। छत्तीसगढ़ में 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में खदानों से कोयला खनन के प्रारंभ होने और रेलवे लाईन के विकास का भी साक्षी रहा है यह क्षेत्र। मनेन्द्रगढ़ शहर जो इस नए जिले का मुख्यालय बनने जा रहा है वह वर्ष 1930 में नियोजित शहर के रूप में बसाया गया था। उस जमाने…

नवगठित सक्ती जिला : आध्यात्मिक शक्ति के साथ अब प्रशासनिक शक्ति का केन्द्र भी बनेगा

धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के केन्द्र के रूप में स्थापित सक्ती जिला अब प्रशासनिक शक्ति के केन्द्र के रूप में उभरने जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2021 सक्ती को एक नये जिले के रूप में गठन की घोषणा की थी। यह घोषणा आज 9 सितम्बर को मूर्त रूप लेने जा रही है। सक्ती जिले के गठन के लिए प्रकाशित की गई अधिसूचना में जांजगीर-चांपा के उपखंड सक्ती, डभरा एवं मालखरौदा तथा तहसील सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर, बाराद्वार, डभरा तथा अड़भार को शामिल करते हुए नवीन जिला ‘‘सक्ती’’…

विशेष लेख: कृष्ण कुंज: पर्यावरणीय विरासत और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने की दिशा में बेहतर कदम

विकास की दौड़ में छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्र में पेड़ पौधों की जहां कमी होते जा रही है, वहीं शहर और कस्बे कॉन्क्रीट के जंगल बनते जा रहे है। शहरों में लोगों के लिए उद्यान, बाग-बगीचे अब नहीं के बराबर है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसी कमी को दूर करने के लिए कृष्ण कुंज योजना तैयार की गई है। कृष्ण कुंज से लोगों को आत्मिक शांति और खुशनुमा वातावरण उपलब्ध होगा। कृष्ण कुंज एक ऐसा स्थान होगा, जहां लोगों के जीवन उपयोगी पेड़-पौधों का रोपण किया जाएगा। यहां लोक संस्कृति और…

विशेष लेख : अन्नदेवी की पूजा का पर्व ’भोजली’

छत्तीसगढ़ में भोजली पर्व अच्छी फसल की कामना एवं मित्रता के प्रतीक पर्व के रूप में पूरे छत्तीसगढ़ विशेष कर ग्रामीण अंचलो में हर्षाेल्लास के साथ भाद्र मास के कृष्ण पक्ष प्रथम दिवस को मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष नवमी के दिन से भोजली पर्व की तैयारी शुरू हो जाती है। इस दिन महिलाओं द्वारा किसी निश्चित स्थान पर मिट्टी से भरी बांस की छोटी-छोटी टोकरियों (छत्तीसगढ़ी में चुरकी बोलते है) में फसल मुख्य रूप से गेंहू, धान, जौं आदि के बीज बोया जाता है।…

विशेष लेख : प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का लोकपर्व : हरेली

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जन-जीवन में रचा-बसा खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्यौहार है, हरेली। सावन मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह त्यौहार वास्तव में प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का लोकपर्व है। हरेली के दिन किसान अच्छी फसल की कामना के साथ धरती माता का सभी प्राणियों केे भरण-पोषण के लिए आभार व्यक्त करते हैं। सभी लोग बारिश के आगमन के साथ चारो ओर बिखरी हरियाली और नई फसल का उत्साह से स्वागत करते हैं। हरेली पर्व को छोटे से बड़े तक सभी उत्साह और उमंग से मनाते…