“हर व्यक्ति पत्रकार” # #”मेरे मन बात”

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सब, अरे हम छत्तीसगढ़ में है छत्तीसगढ़िया, तो हमर सब्बो छत्तीसगढ़या भाई मन ला राम-राम अउ कइसन हो सब भाई मन गा सबो झन बने-बने गा सबो संगवारी मन जी। चलिए काम की बात करता हु। आज मै आप सभी से अपने बारे में कुछ आपके बारे में बात करने-कहने आया हु, मै पिछले 30 सालो से पत्रकारिता से जुड़ा हु मेरा नाम रविकांत है दुर्भाग्य से पत्रकार हु और छत्तीसगढ़ प्रदेश का निवासी हु, आप में कुछ लोग मुझे जानते होंगे कुछ नहीं भी।…

महिला सम्मेलन पर विशेष: छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण के नये आयाम

महिलाओं को सशक्त बनाना है तो स्वास्थ्य-शिक्षा के साथ-साथ उन्हें अधिकार और आगे बढ़ने के सुरक्षित अवसर देने होंगे। उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए नये रास्ते बनाना भी जरूरी हैे। इसी सोच के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के साथ उनके स्वावलंबन की नीति अपनाई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर महिलाओं की रचनात्मक क्षमता को बढ़ाने के साथ उनकी सृजन क्षमता को स्थानीय संसाधनों के साथ जोड़ा गया है। महिलाओं की व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ा यह दृष्टिकोण उनके…

छत्तीसगढ़ में बोरे-बासी खाओ अभियान : मजदूर दिवस पर श्रमिकों के सम्मान के लिए अनूठी पहल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के तीज-त्योहार सरकारी तौर पर मनाने की शुरुआत करने के बाद राज्य सरकार ने आहार को भी छत्तीसगढ़िया गौरव से जोड़ दिया है। शुरुआत किसानों-मजदूरों का आहार कहे जाने वाले बोरे-बासी से हो रही है। मजदूर दिवस यानी एक मई को श्रम को सम्मान देने के लिए सभी से बोरे बासी खाने की अपील की है। हर छत्तीसगढ़िया के आहार में बोरे बासी का कितना महत्व है। हमारे श्रमिक भाइयों, किसान भाइयों और हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हमारी बहनों के पसीने की हर…

श्रम दिवस पर विशेष : संस्कृति और श्रम से जुड़ा है बोरे-बासी

रायपुर। छत्तीसगढ़ आने वाले लोगों के लिए बहुत से आकर्षणों में सबसे बड़ा आकर्षण है, यहां की संस्कृति। तीज-त्योहारों और कला परंपराओं के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का खान-पान भी लोगों को लुभाता है। लोगों को यहां व्यंजनों के स्वाद के साथ-साथ उनके नाम भी रोचक लगते हैं और आकर्षित करते हैं, मसलन-ठेठरी, चीला, फरा, खुर्मी आदि। इन्हीं में एक नाम बोरे-बासी का भी है। असल में बोरे और बासी दो तरह के व्यंजन हैं, लेकिन हैं एक ही। पके हुए चावल को पानी में डूबोकर यह व्यंजन तैयार किया जाता है।…

श्रमिक दिवस पर विशेष आलेख : सेहत और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बोरे-बासी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आम जन जीवन में बोरे-बासी लोकप्रिय है। राज्य में बहुतायत रूप से धान की खेती के कारण यहां चावल से बने अनेक व्यंजन प्रचलित हैं, इनमें बोरे-बासी भी एक है, छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों भी इसे बड़े चाव से खाना पंसद करते हैं। बोरे-बासी यहां की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है। फिल्मों में छत्तीसगढ़ी परिवेश को दिखाने के लिए पात्रों को ‘बासी’ खाते दिखाया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य की संस्कृति के साथ यहां के खान-पान को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।…

कौशल्या के राम से है छत्तीसगढ़ का गहरा नाता: आज भी लोग भांजे में देखते हैं प्रभु राम की छवि

रायपुर। भगवान श्री राम के ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी में आस्था और भक्ति से सराबोर नारी स्वावलंबन के उद्देश्य से माता कौशल्या महोत्सव का आगाज होने जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 22 अप्रैल को महोत्सव का शुभारंभ करेंगे। गौरतलब है कि अयोेध्या की रानी एवं छत्तीसगढ़ की अस्मिता के प्रतीक माता कौशल्या के पुत्र भगवान श्री राम का भांजा के रूप में गहरा नाता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है, छत्तीसगढ़ में सभी जाति समुदाय के लोग बहन के पुत्र को भगवान के प्रतिरूप अर्थात भांजा मानकर…

स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल : एजुकेशन फ्रेंडली माहौल में बच्चों को मिल रहा निखरने का मौका

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल बन रहा है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई अंग्रेजी स्कूलों की श्रृंखला से जिला मुख्यालयों और विकासखंड स्तर पर बड़ी संख्या में गरीब और कमजोर वर्ग के प्रतिभावान बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। बहुत ही कम समय में इन स्कूलों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिन्दी माध्यम के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में विश्व स्तरीय सुविधाएं मौजूद हैं। प्रदेश…

पंडो जनजाति बाहुल्य ग्राम दुर्गापुर के 47 घरों तक पहुंची गुणवत्तायुक्त पेयजल की सुविधा

जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन से कोरिया जिले के पंडो जनजाति बाहुल्य ग्राम दुर्गापुर के सभी 47 घरों तक गुणवत्ता पेयजल की सुविधा पहुंच गयी है। स्वच्छ पेयजल की पहुंच से ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कन खिल उठी है। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर विकासखण्ड बैकुंठपुर के ग्राम पंचायत उमझर का आश्रित गांव दुर्गापुर, पंडो जनजाति बाहुल्य ग्राम है। वनवासी जीवन शैली के परिचायक दुर्गापुर गांव में जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक परिवार को गुणवत्तायुक्त पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य…

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण है आकर्षण का केंद्र

सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थान का प्राचीन नाम श्रीपुर है यह एक विशाल नगर हुआ करता था तथा यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान है। उत्खनन में यहाँ पर प्राचीन बौद्ध मठ भी पाये गये हैं। अंतराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सिरपुर अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं।…

विशेष-लेख : छत्तीसगढ़िया ओलंपिक: छत्तीसगढ़ की माटी के पारंपरिक खेलों की बिखरी छटा

रायपुर। छत्तीसगढ़ की माटी में खुशबू में समाहित लोक कला एवं संस्कृति को आगे लाने के साथ राज्य सरकार छत्तीसगढ़िया खेलों को भी आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन पहली बार इसी मंशा से किया गया, जिसे भारी जनसमर्थन देखने को मिला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 6 अक्टूबर को इसका शुभारंभ किया गया, जो अब अंतिम चरणों में है। 10 जनवरी को इसका समापन हो जाएगा। छह चरणों में आयोजित छत्तीसगढ़िया आलंपिक प्रतिस्पर्धा में लोगों का शामिल होने का जुनून देखते ही बनता है।…