हैदराबाद। मैथ्स मुश्किल लगता है तो डांस सीखिए। जी हां, बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप। एजुकेशन डिपार्टमेंट ने गणित जैसे कुछ सामान्य विषयों को आसानी से सीखने का एक दिलचस्प तरीका ढूंढ़ निकाला है।
स्कूलों में अब यह मेमो जारी कर दिया गया है कि बच्चों को संगीत और डांस (Music and Dance) के जरिये विषयों को पढ़ाया जाए ताकि उनकी दिलचस्पी हर विषय में बन सके। कोई भी सब्जेक्ट उन्हें मुश्किल न लगे।
फिजिकल ट्रेनिंग, आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर्स एसोसिएशन प्रमुख के. कृष्ण हरि कहते हैं, ड्रॉइंग के जरिये न्यूमेरिकल सिखाया जा सकता है। प्राइमरी क्लासेस में हम ऐसा करते भी हैं। नंबर 1 सिखाने के लिए बोर्ड पर हम कैंडल की तस्वीर बनाते हैं और नंबर दो सिखाने के लिए बोर्ड पर दो चिड़िया बना देते हैं।
बिल्कुल इसी तरह क्लास 6 और 7 को ड्राइंग सिखाने के लिए हम सर्कल, स्क्वायर, रेक्टेंगल जैसे कई जियोमैट्रिक शेप्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कोई भी टीचर सामान्य विषय पढ़ाने के लिए म्यूजिक और डांस का प्रयोग करने के लिए ट्रेंड नहीं है।
बीएड के दौरान भी टीचर बनने के लिए ऐसी कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती। स्कूलों में डांस और म्यूजिक के लिए अलग-अलग शिक्षक होते हैं और वे सिर्फ यही सिखाते हैं, सामान्य विषय नहीं।
कृष्ण हरि कहते हैं, सरकार के इस कदम की वाकई सराहना की जानी चाहिए। क्योंकि बच्चों को तनाव मुक्त वातावरण में कई विषयों को पढ़ाने का उन्होंने यह नया अंदाज ढूंढ़ निकाला है।
नाचारम के एक प्राइवेट स्कूल के म्यूजिक टीचर श्रीमणि ने कहा, लेकिन ऐसे टीचर्स भी नहीं हैं, जो डांस और म्यूजिक के जरिये सामान्य विषय पढ़ा सकें।
उन्होंने आगे कहा कि शहर के कई बड़े स्कूल इस बाबत शिक्षकों की मीटिंग्स बुला रहे हैं जिसमें इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जा रहा है कि सभी विषयों को एक-दूसरे से जोड़कर पढ़ाने का कौन सा तरीका निकाला जा सकता है!
कोटी स्थित गर्वमेंट म्यूजिक कॉलेज के फैकल्टी मेंबर से जब इस बाबत संपर्क किया गया तो उनके जवाब ने एक नई उम्मीद जगा दी।
उन्होंने कहा कि गणित और अन्य कई विषय ऐसे हैं जिन्हें हम भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, (Bharatanatyam or Kuchipudi) कर्नाटक शास्त्रीय संगीत और हिंदुस्तानी म्यूजिक (Carnatic and Hindustani music) के जरिये बच्चों को आसानी से सिखा सकते हैं।
लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जबकि दोनों ही विषयों के विशेषज्ञ और टीचर्स आपस में मिलकर इस पर चर्चा करें। चर्चा के दौरान हर क्लास और विषय पर उन्हें अपनी टीचिंग स्किल्स का इस्तेमाल करते हुए नए नए टीचिंग पैटर्न और स्टाइल को ध्यान में रखकर स्टडी मटेरियल्स और मैथड्स तैयार करने होंगे।
इस मुद्दे पर स्पष्टता दिखाते हुए तेलंगाना स्टेट काउंसिल आफ हायर एजुकेशन के चेयरमैन प्रोफेसर टी.पापी रेड्डी ने कहा कि हाल ही में डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर कई ऐसे अंतःविषय पाठ्यक्रम (interdisciplinary courses) शुरू किए गए हैं।
हालांकि अंतःविषय और बहुआयामी (interdisciplinary and multidisciplinary) तरीकों को जड़ें जमाने में वक्त लग जाएगा क्योंकि देश में आज भी हम शिक्षा के पुराने ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम को फॉलो कर रहे हैं।