सिनेमा को समाज का दर्पण माना जाता है। समाज में जो कुछ अच्छी-बुरी घटनाएं घटती हैं, इसकी झलक फिल्मों में देखी जा सकती है, वहीं किसी देश और प्रदेश की कला, संस्कृति एवं पंरपरा की झलक को फिल्मों और साहित्यों से जोड़कर देखा जाता है। छत्तीसगढ़ की प्राचीन कला, संस्कृति एवं परंपरा तथा ऐतिहासिक कहानियों व महापुरूषों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित फिल्म निर्माण के संरक्षण और संवर्धन के साथ पर्यटन को एक पहचान दिलाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नयी छत्तीसगढ़ फिल्म पॉलिसी-2021 लागू किया है।
इस नई फिल्म पॉलिसी के तहत राज्य सरकार फी़चर फिल्म, वेब सीरिज, टीवी सीरियल्स, रियलिटी शो, ओटीटी के साथ-साथ शार्ट फिल्मों का निर्माण, फिल्मांकन के लिए सुविधा-प्रोत्साहन एवं फिल्म क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए भिन्न-भिन्न श्रेणियों में अलग-अलग अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा फिल्म नीति में सिनेमा हॉल, सिंगल स्क्रीन और मल्टी स्क्रीन खोलने पर भी आर्थिक मदद का उल्लेख है। इससे निश्चित ही हाशिए पर चल रहे छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को नया जीवनदान मिलेगा, वहीं छत्तीसगढ़ में नई फिल्म पॉलिसी लागू होने से यहां छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। फिल्म पॉलिसी लागू होने से फिल्म उद्योग से जुड़े निर्माता-निर्देशकांे, कलाकारों, लेखकों, तकनीशियनों के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा हैं। वहीं छत्तीसगढ़ी उद्योग से जुड़े लोगों को एक उच्च स्तरीय मंच प्रदान करने के साथ-साथ उनकी प्रतिभा को संवारने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
राज्य सरकार प्रदेश की पारंपरिक कला-संस्कृति, बोली-भाखा, कला साहित्य को नया आयाम देते हुए संस्कृति विभाग के सभी प्रभागों को एक अम्ब्रेला के नीचे लाने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् का गठन किया गया है। संस्कृति एवं परंपरा के संवर्धन एवं निरंतर विकास को गति देने के लिए संस्कृति मंत्री को परिषद् का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं अकादमियों और शोध पीठों के प्रमुखों को संस्कृति परिषद् के सदस्य बनाए गए है। निश्चित इन प्रतिभाओं के प्रयास को नयी उड़ान मिलेगी।
पूरी दुनिया में सिनेमा आज मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन बन गया है। सिनेमा उद्योग निरंतर फल-फूल रहा है। भारत देश में परतंत्र काल से शुरू हुई सिनेमा आज विश्व सिनेमा से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। आने वाले समय में इसकी विकास की ढेरों संभावनाएं हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ की नई फिल्म पॉलिसी से न केवल प्रदेश के लिए बल्कि देश में फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी होगी। प्रदेश में बॉलीवुड, मराठी, भोजपुरी, दक्षिण भारतीय सहित अन्य क्षेत्रों की फिल्म बनने लगेगी तो यहां इस विधा से जुड़े लोगों के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा। प्रदेश में युवा, फिल्मों से जुड़ने प्रेरित होंगे। छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग निखरेगा, उद्योग एनीमेशन के साथ-साथ नवीन टेक्नालॉजी से अपडेट होंगे। इससे युवाओं के समक्ष रोजगार का बेहतर विकल्प भी उपलब्ध रहेगा।
छत्तीसगढ़ की नई फिल्म पॉलिसी बनते ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त करने वाले छत्तीसगढ़ के निर्माता-निदेशक और लेखक मनोज वर्मा कृत छत्तीसगढ़ी फिल्म भूलन द मेज को 21वीं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित अलंकरण समारोह में एक करोड़ रूपए व प्रशस्ति पत्र के पुरस्कार से नवाजा जाना भी भूपेश सरकार की नई फिल्म पॉलिसी के कारण ही संभव हो पाया है। यह तो केवल शुरूआत मात्र है। इससे प्रेरित होकर प्रदेश के अनेक फिल्मकारों द्वारा नवाचार के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी बोली, भाखा, कला, संस्कृति-परंपरा और ऐतिहासिक व महापुरूषों से जुड़ी कहानियों, विचारों पर फिल्म बनने लगी। इससे दक्षिण भारतीय, मराठी, बाग्ंला और भोजपुरी आदि फिल्मों की तरह छत्तीसगढ़ी फिल्मों के नाम से छत्तीसगढ़ को देश-दुनिया मंे नई पहचान मिलेगी।
इसके साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए बड़े प्रोत्साहन देने का प्रावधान नई फिल्म पॉलिसी के अंतर्गत किया है। ऑस्कर जैसे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली छत्तीसगढ़ी फिल्म, निदेशक, अभिनेता-अभिनेत्री को पांच करोड़ रूपए तक की राशि प्रोत्ससाहन स्वरूप दिए जाने का प्रावधान निश्चित रूप से फिल्मकारों द्वारा गुणवत्तापूर्ण फिल्म बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
नई फिल्म पॉलिसी में पहली, दूसरी और तीसरी फिल्मो के निर्माण में अलग -अलग अनुदान का प्रावधान है। हिन्दी-अंग्रेजी फिल्मों के साथ-साथ स्थानीय भाषा व स्थानीय लोकेशनों पर सम्पूर्ण शूटिंग दिवस का 50 से 75 प्रतिशत शूटिंग दिवस फिल्म शूट करने की स्थिति में एक से पौने दो करोड़ रूपए अथवा कुल लागत का 25 प्रतिशत तक की अनुदान का प्रावधान फिल्मकारों को छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाने के लिए आकर्षित एवं प्रोत्साहित करेगा। वहीं 20 प्रतिशत सहायक कलाकार, टेक्निकल एवं ग्राउंड स्टॉफ की अनिवार्यता से यहां इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा। इस तरह निर्धारित शर्तों के साथ हिन्दी, अंग्रेजी तथा स्थानीय व अन्य भाषाओं में पहली, दूसरी और तीसरी फिल्मों के निर्माण पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 60 से 90 फिल्मों के लिए अनुदान का प्रावधान है। फिल्मों को अनुदान व प्रोत्साहन मिलने से यहां अधिक से अधिक फिल्में बनेंगी। इससे इस विधा से जुड़े राज्य के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। फिल्म नीति में स्थानीय कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर के फिल्मों मेें अवसर देने वाले फिल्मकारों के लिए अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किए जाने से यहां के कलाकारों को बॉलीवुड सहित अन्य राष्ट्रीय स्तर के फिल्मों में जगह मिलेगी। यह प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी।
राज्य सरकार नई फिल्म नीति में फिल्म उद्योग को गति देने के लिए फिल्म विकास निगम, फिल्म साधिकार समिति, फिल्म सिटी का विकास, फिल्म फेसीलिटेशन सेल, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, फिल्म मेंकिंग के उपकरण क्रय मे प्रोत्साहन, फिल्म स्टूडियो व लैब, फिल्म ट्रैनिंग इंस्टीट्यूट और विवाद समाधान जैसे अनेक आयम जोड़कर छत्तीसढ़ी फिल्म उद्योग को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। यह राज्य के फिल्म उद्योग को एक नई दिशा प्रदान करेगी, वहीं फिल्मों के माध्यम से यहां की बोली, भषा, कला, खान-पान, वेष-भूषा, कला-संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में राज्य सरकार की सार्थक कदम है।
* डॉ. ओम प्रकाश डहरिया