सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश, जमानत राशि याचिकाकर्ता की हैसियत से ज्यादा न हो

सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश, जमानत राशि याचिकाकर्ता की हैसियत से ज्यादा न हो

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि जमानत की राशि ऐसी नहीं होनी चाहिए जो याचिकाकर्ता की हैसियत से बाहर हो और जिसे वह अदा करने में सक्षम न हो। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के त्रिचिरापल्ली के एक मंदिर के मुख्य पुजारी को बिना कोई पैसा जमा कराए जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया।

जस्टिस इंद्रा बनर्जी और अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने आदेश में कहा कि यह स्थापित कानून है कि जमानत में ऐसी शर्तें न लगाई जाएं जिसमें भारी राशि जमा करनी पड़े और जो अर्जीकर्ता की आर्थिक हालत से बाहर हो। ऐसी शर्त लगाने से वह जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा। यह एक तरह से जमानत से इनकार करने जैसा होगा। पीठ ने कहा कि जमानत राशि देय क्षमता में ही हानी चाहिए।

इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने पुजारी को आदेश दिया था वह 70 लाख रुपये जमा कर जमानत पर रिहा हो सकता है। जमानत की यह रकम मंदिर में हुई भगदड़ में मारे गए सात लोगों के परिजनों को 10 -10 लाख रुपये के रूप में दी जानी थी। कोर्ट ने यह आदेश तब दिया था जब हाईकोर्ट में पुजारी के वकील ने कहा कि मारे गए लोगों को मुआवजा मिलना चाहिए जो 10 लाख रुपये प्रति परिजन हो। बाद में पुजारी ने याचिाक दायर की कि वह गरीब व्यक्ति है और मंदिर में पूजा आदि सेवाएं देकर कुछ पैसे कमाता है। लेकिन हार्इकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और पैसे जमा कराने के लिए उसे एक हफ्ते का समय और दे दिया।

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