डीकेएस घोटाला,चंद्राकर, सुब्रत और चौधरी भी हो सकती है पूछताछ
रायपुर। डीकेएस घोटाले के आरोपी पीएनबी के एजीएम सुनील अग्रवाल के फेसबुक पोस्ट के चलते जांच के घेरे में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर और प्रमुख सचिव सुब्रत साहू व तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी भी आ सकते हैं। डीकेएस अस्पताल के लिए गलत तरीके से लोन स्वीकृत करने के आरोपी पीएनबी के एजीएम सुनील अग्रवाल ने कहा कि बैंक ने अस्पताल के सरकारी सोसायटी को देखकर ऋण मंजूर किया था जिसमें सरकार के मंत्री और प्रमुख सचिव सदस्य हैं। आरोपी बैंक अफसर के फेसबुक पोस्ट के बाद सोसायटी के सदस्यों से भी पूछताछ हो सकती है।
पीएनबी के एजीएम सुनील अग्रवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि 2017 में रायपुर मेन ब्रांच से, डीकेएस नामक एक सरकारी अस्पताल को 64 करोड़ का एक लोन स्वीकृत किया था। डीकेएस पीजीआई की मालिक एक सरकारी सोसाइटी है जिसके पदेन सदस्य छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सेवा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, सेक्रेटरी मेडिकल एजुकेशन, अस्पताल के अधीक्षक और कलेक्टर रायपुर हैं।
सुनील अग्रवाल ने अपने फेसबुक में लिखा है कि बैंक ने मेडिकल उपकरणों के लिए लोन फाइनेंस किये थे। जिनकी सप्लाई एक सरकारी संस्था छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन को करना था। इस लोन की गारण्टी राज्य सरकार ने ली मतलब एकाउंट में स्टेट गवर्नमेंट गारण्टी उपलब्ध है। इस एकाउंट में एक ऑडिटेड बैलेंस शीट लगी है 2016-17 की। एक दूसरे केस में पुलिस को इस बैलेंस शीट के ऑडिटर ने बताया है कि बैलेंस शीट ऑडिट पर उसने साइन नहीं किये हैं। इस पर पुलिस ने मुझ पर चार्ज लगाया है कि मैंने डीकेएस पीजीआई को फर्जी बैलेंस शीट पर लोन दिलवाया है।
इधर तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) सुब्रत साहू ने इस पूरे प्रकरण पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि डीकेएस लोन के समय वे विभाग के प्रमुख सचिव थे और शासन की ओर से अस्पताल प्रबंधन को लोन लेने की अनुमति दी गई थी। अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी को यह नहीं कहा गया था कि पीएनबी से लोन लो।