रायपुर। छत्तीसगढ़ में हर वर्ष लगभग 170 करोड़ रूपए मूल्य के 05 लाख क्विंटल महुआ फूल का संग्रहण होता है। अपनी गुणवत्ता और राज्य सरकार द्वारा दी जा रही नई तकनीक आदि की सुविधा से इसकी महक अब देश ही नहीं अपितु विदेश तक होने लगी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में वनवासियों को लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण आदि कार्यों के माध्यम से अधिक से अधिक लाभ दिलाने निरंतर प्रयास हो रहे है। इस कड़ी में राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा महुआ फल खाद्य योग्य अर्थात फूड ग्रेड महुआ फूल बनाने के लिए प्रक्रिया विकसित की गई है। जिससे वनवासियों को महुआ फूल के संग्रहण से अधिक से अधिक आमदनी हो सके।
परंपरागत रूप से संग्रहित महुआ फूल के स्थान पर संघ द्वारा विकसित उन्नत तकनीकी से संग्रहित महुआ फूल के लिए ग्रामीणों को 33 रूपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर 50 रूपए प्रति किलोग्राम प्राप्त होंगे। इसी तरह संग्राहकों को वनोपज संग्रहण तथा प्रसंस्करण कार्य में उन्नत तकनीकी का पालन करने के फलस्वरूप प्राप्त फूड ग्रेड महुआ का वर्तमान में 116 रूपए प्रति किलोग्राम दर प्राप्त हो रही है।
गौरतलब है कि राज्य में वर्ष 2022 में 2000 क्विंटल फूड ग्रेड महुआ फूल संग्रहण का लक्ष्य रखते हुए संघ में विक्रय हेतु अग्रिम निविदा जारी किए गए है। प्रथम चरण में 1150 विक्ंटल महुआ फूल 116 रूपए प्रति किलोग्राम दर पर विक्रय हुआ। इस प्रकार प्रथम चरण में 1.33 करोड़ रूपए मूल्य के फूड ग्रेड महुआ फूल विक्रय हुआ। इस कड़ी में यूके के एक निजी संस्थान ने 750 क्विंटल क्रय कर उक्त महुआ आधारित उत्पाद तैयार करने हेतु कार्यवाही की जा रही है। द्वितीय चरण अंतर्गत निविदा विक्रय हेतु जारी है, जो संघ के वेबसाईट में देखा जा सकता है।
प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महुआ फूल संग्राहकों को लाभ देने के लिए इस वर्ष 33 रूपए प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है, जो विगत वर्ष से 3 रूपए प्रति किलोग्राम अधिक है। राज्य में आगे फूड ग्रेड महुआ संग्रहण में वृद्धि होने से संग्राहक ग्रामीणों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिलेगा। वर्तमान में संघ द्वारा स्थापित महुआ आधारित प्रसंस्करण केन्द्र जशपुर में महुआ सेनेटाईजर का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह महुआ प्रसंस्करण केन्द्र राजनांदगांव में महुआ लड्डू, जूस, कुकीज, चॉकलेट, आचार, जैम आदि तैयार कर ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स‘ के नाम पर विक्रय किया जा रहा है।
इस संबंध में प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि महुआ फूल खाद्य योग्य बनाने के लिए राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा प्रक्रिया विकसित की गई है। इसके तहत महुआ वृक्ष के चारों ओर संग्रहण नेट बांधकर महुआ फूल संग्रहण की गई है। महुआ फूल को 10 रूपए (सूखा फूल 50 रूपए प्रति किलोग्राम) प्रति किलोग्राम के दर पर राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा संग्रहण किया जाएगा। इस प्रकार संग्रहित साफ-सुथरे ताजा महुआ फूल को वनधन केन्द्र के पास सोलाट टनल में सुखाया जाएगा। इस प्रक्रिया द्वारा बिना मिट्टी, धूल रहित खाद्य योग्य महुआ फूल संग्रहित होगी।
वर्तमान में यहां महुआ फूल का उपयोग देशी शराब बनाने के लिए किए जाते है। राज्य शासन द्वारा वनोपज प्रसंस्करण को अधिक महत्व दिए जाने के कारण इस पर राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से शोध प्रारंभ कराया गया है। सीएफटीआरआई मैसूर की सहायता से महुआ एनर्जी बार, महुआ गुड़, आदि उत्पाद बनाने के तकनीक विकसित की गई है, इसके लिए पाटन क्षेत्र में केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई में उससे संबंधित उद्योग शीघ्र स्थापित किए जाएंगे।