नई दिल्ली। ऐतिहासिक स्मारक लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाए जाने को ‘‘राजद्रोह’’ करार देते हुए भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के जे अल्फोंस ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद आंसू बहाकर बच नहीं सकते। तीनों नये कृषि कानूनों का बचाव करते हुए अल्फोंस ने कहा कि इन कानूनों में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कभी ऐसे कानून लाने की मांग करने वाले आज इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
दरअसल, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा ले रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अल्फोंस ने कहा, ‘‘श्रीमान टिकैत, आप आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और लोगों को लाठी डंडे लेकर अपने साथ आने के लिए कहते हैं फिर आप आखिर में आंसू गिरा कर कहते हैं कि माफ करें, मुझे इसके बारे में पता नहीं था।’’ उन्होंने विपक्ष पर सरकार के खिलाफ असंतोष और नफरत फैलाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप सरकार के खिलाफ नफरत के बीज बोते हैं….. जब आप चरमपंथ के बीज बोते हैं…… लाल किला में जो हुआ वह राजद्रोह था। अगर यह राजद्रोह नहीं था तो मुझे बताएं कि यह क्या था।’’
वहीं, राज्यसभा में मायावती के नेतृत्व वाली BSP के सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार जब इन कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने के लिए राजी है, तब आखिरकार इन्हें वापस लेने से सरकार को क्या चीज रोक रही है?
गौरतलब है कि है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए किसान दिल्ली की सीमाओं पर करीब ढाई महीने से आंदोलन कर रहे हैं। अपनी मांग के समर्थन में किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली थी।
परेड के दौरान हिंसा हो गई और स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा तथा आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। हिंसा के दौरान एक समूह लाल किला भी पहुंच गया और उसने ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडा लगा दिया। इस घटनाक्रम के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत सफाई देते हुए भावुक होकर रो पड़े थे।