नई दिल्ली। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्षी दलों की राजनीति को ‘‘दिशाहीन’’ ठहराते हुए संसद में पारित कुछ अहम विधेयकों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से शिकायत करने पर उन्हें आड़े हाथों लिया। पार्टी ने कहा कि संसद में बोलने के अपने अधिकार को छोड़कर विपक्षी दल बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं और शिकायतें कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब श्रमिकों के कल्याण और सुरक्षा के लिए श्रम संहिता संबंधी ‘‘क्रांतिकारी’’ विधेयकों को पारित किया जा रहा था तब उन्होंने संसद का बहिष्कार किया और जब राज्यसभा में कृषि सुधार संबंधी विधेयकों पर मत विभाजन के लिए उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह उन्हें अपनी सीट पर लौटने का आग्रह कर रहे थे तो उन्होंने इसे अनसुना कर दिया। गत रविवार को कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों के पारित होने के दौरान राज्यसभा में विपक्षी दलों के रुख की आलोचना करते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘‘जिस तरह से विपक्ष राज्यसभा में पेश आया, वह लज्जा का विषय है। उन्होंने राज्यसभा को शर्मसार कर दिया।’’
भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें (विपक्ष) मत विभाजन चाहिए था लेकिन इसके लिए उपसभापति ने उन्हें अपनी सीट पर लौट जाने को कहा तो उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘अब ये जाकर सब जगह शिकायतें कर रहे हैं। ये तो चोरी और सीनाजोरी का मामला हो गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दलों की राजनीति दिशाहीन हो गयी है। जब उनका अधिकार था संसद में बैठने का, बोलने का और अपनी राय देने का तो वह अधिकार उन्होंने छोड़ दिया और वाकआउट किया। सदन से बाहर जाकर प्रदर्शन किया, राष्ट्रपतिजी से मिलने गए।’’ जावड़ेकर ने कहा कि इसके लिए तो 300 दिन है जबकि संसद का सत्र 70-80 दिनों का ही होता है। उन्होंने कहा कि संसद में बोलने से विपक्षी दलों को किसी ने रोका नहीं था। मालूम हो कि रविवार को उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान भारी हंगामा हुआ था। इस विरोध के बावजूद किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक 2020 तथा किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था। अगले ही दिन ‘‘अमर्यादित व्यवहार’’ के कारण विपक्षी दलों के आठ सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था जिसके विरोध में आठों निलंबित सदस्य संसद भवन परिसर में ही ‘‘अनिश्चितकालीन’’ धरने पर बैठ गए थे।
विपक्षी दलों की राजनीति दिशाहीन हो गयी है। जब उनका अधिकार था संसद में बैठने का, बोलने का और अपनी राय देने का – तो उन्होंने इसे छोड़ कर वाकआउट किया। सदन से बाहर जाकर प्रदर्शन किया, राष्ट्रपतिजी को मिलने गए । जिस तरह से विपक्ष राज्यसभा में पेश आया उसने सदन को शर्मसार कर दिया। pic.twitter.com/IKUty7RCtI
— Prakash Javadekar (Modi Ka Parivar) (@PrakashJavdekar) September 24, 2020
इन विधेयकों के पारित होने को असंवैधानिक बताते हुए विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उनसे आग्रह किया था कि वे इन पर अपने हस्ताक्षर ना करें। जावड़ेकर ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से देश के किसानों को एक ‘‘वरदान’’ मिला है। विपक्ष की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उत्पाद विपणन समितियां (एपीएमसी) समाप्त कर दिए जाने के दावे भी झूठे साबित हुए। श्रम सुधार कानूनों को क्रांतिकारी बताते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि इनमें ऐसे सुधार हैं जिनसे देश को मजदूरों को आजादी के बाद 73 सालों से वंचित रखा गया। उन्होंने कहा, ‘‘सबको न्यूनतम मजदूरी, सबको नियुक्ति का पत्र, सबको समय पर तनख्वाह, पुरूष महिलाओं को समान वेतन, हर मजदूर का मुफ्त चेकअप, साल में एक बार घर जाने के लिए प्रवासी मजदूर को भत्ता, सबको ईएसआई की सुविधा का समावेश इस श्रम संहिता में किया गया है। ये क्रांतिकारी पहल है।’’ संसद ने बुधवार को श्रमिकों के कल्याण और सुरक्षा के लिए श्रम संहिता संबंधी तीन विधेयकों उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को पारित कर दिया था। जावड़ेकर ने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘विपक्षी दलों ने इन महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होते समय संसद का बहिष्कार किया और बाद में शिकायत करते हैं। जो काम करना चाहिए था वह नहीं किया। अब जाकर दोष दे रहे हैं। यह गलत बात है।