मुंबई। बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को शपथ ग्रहण कराने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने संबंधी शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अब सुनवाई कल तक के लिए टल गई है। कोर्ट ने कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की याचिका पर केंद्र, महाराष्ट्र सरकार, देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध किया कि वह कल सुबह 10.30 बजे तक प्रासंगिक दस्तावेज तैयार करें।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल शिवसेना की तरफ से पेश हुए और उन्होंने रविवार के दिन न्यायाधीशों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगने के साथ बहस शुरू की। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया, तीनों दलों की चुनाव के बाद गठबंधन की कोशिशें चल रही है।
सिब्बल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बिना राष्ट्रपति शासन हटाए जाने को अजीब है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार ने अजीब तरीके से शपथ ली, राज्यपाल दिल्ली से मिल रहे सीधे निर्देशों पर काम कर रहे थे। राष्ट्रपति शासन को रद्द करने की सिफारिश करने वाले राज्यपाल के फैसले से पक्षपात की ‘‘बू आती’’ है। शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से आज ही (रविवार) सदन में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
श्री सिब्बल ने कहा कि यदि फडणवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कुछ भाजपा और निर्दलीय विधायकों की ओर से न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने कहा कि यह याचिका बंबई उच्च न्यायालय में दायर होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इसमें दोराय नहीं है कि शक्ति परीक्षण बहुमत साबित करने का सबसे अच्छा तरीका है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन निरस्त कर फडणवीस की सरकार बनाने की सिफारिश करने वाले राज्यपाल के पत्रों को सोमवार सुबह अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। छुट्टी के दिन विशेष सुनवाई में न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देने वाली शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की याचिका पर रविवार को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किए। पीठ ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार को भी नोटिस जारी किया है। उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पत्र पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगने के मेहता के अनुरोध को अनसुना कर दिया। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने संयुक्त गठबंधन की तरफ से पेश होते हुए पीठ को बताया कि शक्ति परीक्षा आज ही कराया जाना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि फडणवीस के पास बहुमत है या नहीं। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद हुए शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन के पास सदन में 288 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। सिब्बल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बिना राष्ट्रपति शासन हटाए जाने को अजीब बताया है। वहीं सिंघवी ने कहा कि यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है।