भगवान श्रीकृष्ण की अर्जुन को सीखः, हम जब अपने संसाधनों से दूसरों की मदद करने और भला करने के लिए आगे आते हैं….

धर्म डेस्क। महाभारत में अर्जुन को समझाने के लिए भगवान कृष्ण कई तरह के प्रयोग किया करते थे। अर्जुन एक तरह से उनकी प्रयोगशाला की तरह ही था। एक बार भगवान कृष्ण और अर्जुन कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक गरीब ब्राह्मण मिला। अर्जुन को उस पर दया आई और उसने ब्राह्मण को काफी सारा धन दे दिया।

ब्राह्मण खुश हो गया। कई तरह के विचार मन में लाते हुए वो घर की ओर चल दिया कि अब गरीबी मिट जाएगी। धन का उपयोग कैसे-कैसे किन-किन कामों में करेगा, वगैरह। लेकिन रास्ते में उसे एक लुटेरा मिला। उसने ब्राह्मण से सारा धन लूट लिया। ब्राह्मण गरीब ही रह गया। कुछ दिनों बाद कृष्ण और अर्जुन फिर वहां से गुजरे। उन्होंने देखा कि ब्राह्मण तो वैसा ही गरीब है। जब उससे पूछा तो उसने सारा किस्सा बताया।

अर्जुन के पास एक बहुमूल्य माणिक था। उसने ब्राह्मण को वो माणिक दे दिया। ब्राह्मण खुश होकर घर चला गया। घर जाकर उसने माणिक को एक घड़े में डाल दिया। उसने सोचा सुबह पत्नी को बताऊंगा तो वो खुश हो जाएगी, लेकिन उसके जागने से पहले ही उसकी पत्नी घड़ा लेकर नदी पर पानी भरने चली गई। पानी भरते हुए माणिक नदी में गिर गया। ब्राह्मण फिर गरीब ही रह गया।

एक दिन फिर उसे रास्ते में कृष्ण और अर्जुन मिले। उनसे फिर दोनों को अपने साथ घटी बातें बताईं। इस बार भगवान कृष्ण ने कहा, मैं इसकी मदद करता हूं। और भगवान ने अपने पास से दो पैसे निकाल कर ब्राह्मण को दे दिए। ब्राह्मण ने अनमने मन से दान लिया और अपने घर की ओर चल दिया। अर्जुन उसके पीछे चल दिया। ब्राह्मण सोचता जा रहा था कि दो पैसे का मैं करूंगा क्या? एक वक्त का खाना भी नहीं आएगा।

रास्ते में उसे एक मछुआरा दिखा जिसके जाल में मछली फंसी हुई थी और तड़प रही थी। ब्राह्मण ने सोचा ये दो पैसे मेरे काम तो आएंगे नहीं, कम से कम इस मछली की जान ही बचा लूं। उसने मछुआरे में दो पैसे में मछली खरीद ली। उसे नदी में छोड़ने गया। ब्राह्मण जैसे ही उसे पकड़कर नदी में डालने लगा, मछली के मुंह से वो ही माणिक निकला जो अर्जुन ने दिया था। माणिक देखकर वो चिल्लाया, मिल गया, दिख गया।

तभी वहां से वो लुटेरा गुजरा जिसने पहले ब्राह्मण को लूटा था। ब्राह्मण की आवाज सुन उसे लगा कि वो उसे पकड़वाने आया है। वो ब्राह्मण से लूटा हुआ सारा धन उसे फिर लौटा कर चला गया। अर्जुन दूर से छिप कर ये सब देख रहे थे। उन्होंने जाकर कृष्ण को सारा किस्सा सुनाया। कृष्ण ने कहा, जब उसे धन मिला तो उसने सिर्फ अपने बारे में सोचा, इस कारण उसे धन खोना पड़ा, लेकिन जब उसने मेरे दिए हुए पैसों से मछली की जान बचाने की सोची, तो उसे उसका खोया हुआ धन भी मिल गया।

सीखः हम जब अपने संसाधनों से दूसरों की मदद करने और भला करने के लिए आगे आते हैं, तो उस धन की हमेशा वृद्धि ही होती है।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.