न्यूज़ डेस्क (Bns-28*जून)। हाल ही में कर्नाटक चुनाव 2023 में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए शुरू हुई उठापटक आखिरकार थम गई है। कांग्रेस अलाकमान ने फैसला किया है कि कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही होंगे। वहीं, डीके शिवकुमार कांग्रेस की कर्नाटक सरकार में उप-मुख्यमंत्री होंगे। कर्नाटक की खींचतान फिलहाल तो थम गई, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से दो सवाल खड़े होते हैं। पहला, कोई भी नेता पार्टी की जीत के बाद डिप्टी सीएम क्यों नहीं बनना चाहता है? दूसरा, क्या शिवकुमार सरकार में नंबर दो की हैसियत से संतुष्ट हो जाएंगे।
मैं तो पहिली बोले रहेंव…
" तहूं ला ठग दिस महाराज "@OmMathur_bjp@mansukhmandviya@ArunSao3@PawanSaiBJP pic.twitter.com/vQ6qBMT4lj— Anuj Sharma (Modi Ka Parivar) (@anujsharmacg) July 21, 2023
किसी भी राज्य में उपमुख्यमंत्री के जिम्मे कोई विशेष काम नहीं होता है। ये सिर्फ प्रतीकात्मक पद है, जो ये बताता है कि उपमुख्यमंत्री बनाए गए नेता सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. दरअसल, किसी भी राज्य सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री के हाथों में होता है। राज्यों में एक या दो उपमुख्यमंत्री ज्यादातर बार जातीय समीकरणों को साधने के लिए बनाए जाते हैं। कई बार किसी नेता को संतुष्ट करने के लिए डिप्टी सीएम बना दिया जाता है।
आसान भाषा में कहें तो डिप्टी सीएम का होना पार्टी के लिए तो अहमियत रख सकता है, लेकिन राज्य सरकार में उनके होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। संवैधानिक तौर पर राज्य सरकार में ऐसा कोई पद होती ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराग गुप्ता के मुताबिक, राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बारे में अनुच्छेद 164 में प्रावधान हैं। वहीं, संविधान में उपमुख्यमंत्री ही नहीं, उप-प्रधानमंत्री पद का भी कहीं जिक्र नहीं है। जहां तक किसी राज्य में उपमुख्यमंत्री की बता है तो वह केवल मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए विभाग या मंत्रालय को ही देख सकता है। उपमुख्यमंत्री का वेतन, अन्य भत्ते और सुविधाएं कैबिनेट मंत्री के बराबर ही होती हैं। वह बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री पद उप-प्रधानमंत्री पद बनने के बाद शुरू हुआ है।
Now the culture of deputy CM started in 2023. The post of deputy CM exists only to serve political reasons. There is no coalition govt. in CG. In future we may have a Dozen of deputy CMs because there is no limitation as to how many deputy CMs can be appointed. Waste of⏰&💵
— CforChhattisgarh🇮🇳 (@cfor36garh) June 28, 2023
किसी भी राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री बाकी सामान्य मंत्रियों की तरह ही कैबिनेट मीटिंग या किसी निर्णय में अपना सुझाव भर दे सकते हैं। इसके बाद सुझाव को मानना या नहीं मानना पूरी तरह से मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है। संविधान में उपमुख्यमंत्री जैसे किसी पद का जिक्र नहीं है। लिहाजा, उपमुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री की तरह विशेष अधिकार नहीं मिलते हैं। यही नहीं, डिप्टी सीएम राज्य की सत्ता में किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। जब राज्यपाल उपमुख्यमंत्री को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं तो वह कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही शपथ लेते हैं।
अधिवक्ता विराग गुप्ता बताते हैं कि डिप्टी सीएम बनने की परंपरा बहुत पुरानी है। संविधान बनाए जाने के बाद देश का पहला डिप्टी सीएम बनाए जाने का मामला नीलम संजीव रेड्डी से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि साल 1953 में मद्रास प्रेसिडेंसी से तेलुगु भाषी इलाकों को काटकर आंध्र राज्य बनाया गया। इसके बाद टी. प्रकाशम नए राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को अपना उपमुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद देशभर में डिप्टी सीएम बनाने की परंपरा शुरू हो गई। अब तो कुछ राज्यों में दो या ज्यादा डिप्टी सीएम भी देखने को मिल जाते हैं। डिप्टी सीएम बनाने के पीछे ज्यादातर बार राजनीति कारण ही होते हैं। गठबंधन सरकारों में सभी दलों को सरकार में प्रतिनिधित्व देने के लिए भी ऐसा किया जाता है।
उपमुख्यमंत्री का पद यदि सरकारी है तो श्री के.सी. वेणुगोपाल ने किस अधिकार के अंतर्गत यह आदेश जारी किया है क्या वे छग सरकार में सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी है ?
यदि यह संगठन का पद है तो क्या कांग्रेस संगठन में उपमुख्यमंत्री का पद नया ईज़ाद किया गया है ? pic.twitter.com/Y6edr1UWKr
— Ashok Bajaj (मोदी का परिवार) (@AshokBajajBJP) June 28, 2023
हरियाणा के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया चौधरी देवी लाल दो बार देश के उप-प्रधानमंत्री रहे हैं। पहली बार वह साल 1989 से 1990 और दूसरी बार 1990 से 1991 तक डिप्टी पीएम रहे। उनके उप-प्रधानमंत्री रहते हुए इस पद के अधिकारों को स्पष्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला दिया कि देश में उप-प्रधानमंत्री का पद संविधानिक नहीं है। उप-प्रधानमंत्री बाकी कैबिनेट मंत्रियों की ही तरह मंत्रिमंडल का सदस्य है। डिप्टी पीएम को भी बाकी मंत्रियों के बराबर अधिकार ही मिलेंगे।
उप-प्रधानमंत्री पद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब शपथ ग्रहण समारोह में चौधरी देवी लाल बार-बार कैबिनेट मंत्री के बजाय उप-प्रधानमंत्री बोल रहे थे। तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने अपनी किताब ‘कमीशन फॉर ऑमिशन ऑफ इंडियन प्रेसीडेंट’ में लिखा है कि मैं चौधरी देवी लाल को मंत्री पद की शपथ दिला रहा था और वह बार-बार मंत्री के बजाय उप-प्रधानमंत्री बोल रहे थे।
Who can decide the deputy CM post of any state
संविधान का अनुच्छेद-164 CM और उनके मंत्रियों की नियुक्ति की बात करता है, लेकिन उसमें डिप्टी CM जैसे पद का जिक्र नहीं है। कोई डिप्टी CM कितना ताकतवर होगा, यह उसे दिए गए विभागों से तय होता है। हां, इतना जरूर है कि वह कैबिनेट मिनिस्टर होता है, इसलिए कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेता है।
https://fb.watch/lXgO2yWjUU/