#AdityaL1Mission: चांद के बाद अब सूर्य की तरफ बढ़े ISRO के कदम, ‘सूर्य नमस्कार’ करने के लिए रवाना हुआ आदित्य एल-1, ISRO ने किया सफल प्रक्षेपण, सभी उपकरण सही से कर रहे काम

न्यूज़ डेक(Bns)। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो (ISRO) ने शनिवार को एक और इतिहास रच दिया। भारत के पहले सूर्य मिशन AdityaL1 को सफलतापूर्वक लांच कर दिया गया है। इसकी जानकारी इसरो ने दी है। आदित्य एल1 अनंत आसमान की तरफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। सारे उपकरण सही तरह से काम कर रहे हैं। 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। यह लगभग 63 मिनट की पीएसएलवी की सबसे लंबी उड़ान होगी।

अंतरिक्ष यान, 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा।यह वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा। पिछले महीने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता प्राप्त कर भारत ऐसा कीर्तिमान रचने वाला दुनिया का पहला और अब तक का एकमात्र देश बन गया है।

एल1 क्या है

आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लाज्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में रखा जाएगा। ये जगह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। फिजिक्स में लार्जेज प्वाइंट्स ऐसे प्वाइंट्स होते हैं जहां दो पिंडो वाली गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में एक छोटी वस्तु को जब वहां रखा जाता है तो वो स्थिर रहती है। सोलर-अर्थ सिस्‍टम में पांच लार्ज्रेंज पॉइंट्स हैं। लार्ज्रेंज बिंदु L1 वह है जहां आदित्य एल1 जा रहा है।​

24 घंटे में इतनी फोटोज

आदित्य-एल1 को दो सितंबर को पूर्वाह्न 11:50 बजे पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने साथ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन उपकरण प्लाज्मा एवं चुंबकीय क्षेत्र के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे। इसे ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है। आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने कहा कि तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक तस्वीर आएगी यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी।

सूर्य सबसे नजदीकी तारा

इसरो के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1’ बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक लाभ प्रदान करेगा। इसरो ने कहा कि इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा। इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

ऐसे पूरा होगा सफर

शुरू में, ‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1’ की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे। उम्मीद है कि आदित्य-एल1 के उपकरण सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

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