महाराष्ट्र, केरल की राह पर झारखंड, CBI की एंट्री पर रोक लगाने 8वां राज्य बना झारखंड, जांच से पहले लेनी होगी इजाजत

रांची। पश्चिम बंगार, महाराष्ट्र और केरल की राह पर चलते हुए झारखंड की सरकार ने भी CBI को दी हुई सामान्य समहमित वापस ले ली है। अब केंद्रीय जांच एजेंसी को झारखंड में किसी मामले की जांच के लिए जाने से पहले राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी। गुरुवार शाम को झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है।

हाल के समय में पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और केरल की सरकारों ने भी इसी तरह के फैसले लिए और CBI को दी हुई सामान्य सहमति को वापस ले ली। इन सभी राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन सहयोगियों की सरकार नहीं है। झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की सरकार है और जेएमएम के हेमंत सोरेन इसके मुखिया हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के विपरीत, जो अपने स्वयं के NIA अधिनियम द्वारा शासित होती है और जिसका देशभर में अधिकार क्षेत्र है, CBI दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित की जाती है। यह अधिनियम उसे किसी भी राज्य में जांच के लिए एक राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य करता है।

कुल दो प्रकार की सहमति होती हैं। पहली केस स्पेसिफिक और दूसरी जनरल (सामान्य)। यूं तो CBI का अधिकार क्षेत्र केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर है, लेकिन राज्य सरकार से जुड़े किसी मामले की जांच करने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है। इसके बाद ही, वह राज्य में मामले की जांच कर सकती हे।

इसका सीधा मतलब है कि CBI बिना केस स्पेसिफिक सहमति मिले इन राज्यों में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई नया मामला नहीं दर्ज कर पाएगी। सामान्य सहमति को वापस लेने का मतलब है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना इन राज्यों में प्रवेश करते ही किसी भी CBI अफसर के पुलिस अधिकारी के रूप में मिले सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं।

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