वॉशिंग्टन। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के फ़ेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) ने चाइनीज कम्पनियाँ Huawei और ZTE को ऐसी कम्पनियों की श्रेणी में डाल दिया है, जिससे देश की सुरक्षा को ख़तरा है। FCC के अध्यक्ष अजीत पाई ने कहा कि इस फ़ैसले के बाद Huawei और ZTE, ये दोनों ही टेलीकॉम कम्पनियाँ $8.3 बिलियन के यूनिवर्सल सर्विस फंड का इस्तेमाल नहीं कर पाएँगी। ज्ञात होकि FCC के इस फंड का इस्तेमाल इन कम्पनियों द्वारा सप्लाई किए जाने वाले उपकरणों और ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं पर किया जाना था।
FCC ने कहा है कि उसने ये फैसला टेलीकॉम कम्पनीज से सिक्योरिटी रिस्क को देखते हुए लिया है। FCC की पब्लिक सेफ्टी और होमलैंड सिक्योरिटी ब्यूरो ने Huawei और ZTE के सम्बन्ध में ये निर्णय लिया। साथ ही दोनों ही कंपनियों से संबंद्ध अन्य कम्पनियाँ, इनकी पैरेंट कम्पनियाँ और इनसे जुड़ी अन्य कंपनियों पर भी ये नियम लागू होगा। संस्था ने कहा है कि पुष्ट सबुत होने के कारण ही ये फैसला लिया गया है।
BREAKING NEWS: The @FCC has designated #Huawei and #ZTE as companies posing a national security threat to the United States. As a result, telecom companies cannot use money from our $8.3B Universal Service Fund on equipment or services produced or provided by these suppliers. 1/5 pic.twitter.com/dH6QK4jbd4
— Ajit Pai (@AjitPai) June 30, 2020
अमेरिका द्वारा चीन को इसे तगड़ा झटका माना जा रहा है। अमेरिका के FCC चेयरमैन और भारतीय मूल के अजित पाई ने मंगलवार (जून 30, 2020) को ट्विटर पर अपने एक बयान में कहा कि हम चीनी कंपनी के साथ अपने नेटवर्क साझा नहीं कर सकते हैं, जिससे हमारे कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँच पाए। हालाँकि, अभी तक इस फैसले पर दोनों कंपनियों में से किसी का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
पाई ने कहा कि दोनों ही कंपनियों के चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सेना से गहरे सम्बन्ध हैं। उन्होंने कहा कि जाँच में पाया गया है कि दोनों कम्पनियाँ चीन के नियम-क़ानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं, जिसके कारण उन्हें वहाँ की ख़ुफ़िया एजेंसियों की बातें माननी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका कभी भी चीन को हमारे टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर की कमजोरियों का फायदा उठाने की अनुमति नहीं देगा।
अमेरिका ने चीनी कंपनी हुआवे और जेडटीई को बताया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा
इन कंपनियों को चीनी कानून के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को देनी पड़ती है जानकारी : अमेरिका #Huawei
Watch : https://t.co/IBAaTjLON8 pic.twitter.com/0oRFG3UMuN
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) July 1, 2020
उधर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने चीनी कंपनी Huawei को भारत में 5G ट्रायल की रेस में शामिल किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। मनीष तिवारी ने ट्वीट करके केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से सवाल पूछा कि आखिर क्यों Huawei को 5G ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान की जा रही है। उन्होंने चीनी कंपनी पर अमेरिका की तर्ज पर चलते हुए बैन लगाने की माँग की है।
US has designated Huawei & ZTE as National Security Threats .@rsprasad why are you allowing Huawei to participate in 5-G Trails ?
Ban Huawei & ZTE in India NOW
Oris 7 crores to @PMCares by Huawei standing in the way Sire ?
https://t.co/MbXeSGNEko— Manish Tewari (@ManishTewari) July 1, 2020
मनीष तिवारी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा कि अमेरिका ने Huawei और ZTE को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। ऐसे में रविशंकर प्रसाद Huawei को 5G ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति कैसे दे सकते हैं? उन्होंने सलाह दी कि Huawei और ZTE पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाया जाए।
गौरतलब कि टिकटॉक को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठाए गए थे। सोशल मीडिया पर गिरोह को सदस्यों ने ‘टिकटॉक ने जो 30 करोड़ दिए, वो लौटा दो’ से ले कर ‘मोदी ने भी तो चीनी कम्पनियों से पैसे लिए’ की बातें कर रहे हैं। ये दोनों ही बातें कई स्तर पर असमान और अतार्किक हैं। प्रपंचियों ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर जम कर कुतर्क फैलाया था। कहा गया था कि मोदी सरकार रुपए लेकर भी कम्पनी को बैन कर रही है।
Source:- ऑप इंडिया