वाशिंगटन। कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) पर पिछले सप्ताह हुए हिंसक हमले के मद्देनजर अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर डेमोक्रेटिक नेताओं के नियंत्रण वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में बुधवार को मतदान होगा। सांसदों जैमी रस्किन, डेविड सिसिलिने और टेड लियू ने महाभियोग का प्रस्ताव तैयार किया है जिसे प्रतिनिधि सभा के 211 सदस्यों ने सह-प्रायोजित किया। इसे सोमवार को पेश किया गया था। सदन में बहुमत के नेता स्टेनी होयर ने सोमवार को अपने पार्टी सहकर्मियों के साथ कान्फ्रेंस कॉल के दौरान कहा कि महाभियोग को लेकर मतदान बुधवार को होगा। इस महाभियोग प्रस्ताव में निर्वतमान राष्ट्रपति पर अपने कदमों के जरिए छह जनवरी को ‘‘ राजद्रोह के लिए उकसाने’’का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए तब उकसाया, जब वहां इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गिनती चल रही थी और लोगों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई। इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई।
डेमोक्रेटिक सांसदों के पास ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त मत है, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है। सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है। सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैकोनल ने कहा है कि अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन में महाभियाग पर मतदान 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह से पहले नहीं हो सकता। सांसद इल्हान उमर ने बाद में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के दो आरोप (आर्टिकल) पेश किए। इनमें ट्रंप पर जार्जिया में 2020 राष्ट्रपति पद चुनाव के परिणाम बदलने की कोशिश के लिए सत्ता के दुरुपयोग और तख्तापलट की साजिश रचने के लिए हिंसा को भड़काने के आरोप लगाए गए हैं। उमर ने कहा, ‘‘मैंने महाभियोग को लेकर अभी अपना प्रस्ताव पेश किया। प्रतिनिधि सभा अब 25वें संशोधन के तहत ट्रंप को हटाने के संबंध में उपराष्ट्रपति (माइक) पेंस और कैबिनेट से अपील करने पर मतदान करेगी। यदि पेंस कार्यवाही नहीं करते हैं और सदन इस सप्ताह महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान करेगा।’’ रिपब्लिकन सीनेटर स्टीव डेन्स ने महाभियोग चलाने की अपील को खारिज किया और रिपब्लिकन नेता मैट गाएट्स ने भी इसे ‘‘अनावश्यक एवं विभाजनकारी’’ बताया।