न्यूज़ डेस्क। चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है। इस बीच उम्मीद की एक किरण दिखी, जब अमेरिका में Pfizer की वैक्सीन बाजार में आई और उसे लोगों को दिया जाने लगा। पहले तो Pfizer वैक्सीन के एलर्जिक रिएक्शन सामने आए, लेकिन अब वैक्सीन लेने के बाद भी कुछ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर सवाल खड़ा हो रहा है।
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक मैथ्यू डब्ल्यू नाम के मेल नर्स दो अस्पतालों में काम करते थे। 18 दिसंबर को उन्होंने Pfizer की कोरोना वैक्सीन का शॉट लिया। इसके बाद उन्होंने बकायदा फेसबुक पर वैक्सीन संबंधित पोस्ट भी डाली। उस दौरान मैथ्यू ने दावा किया था कि उनके ऊपर वैक्सीन का कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं हुआ, लेकिन 6 दिन बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। पहले तो उन्हें ठंड लगने लगी, उसके बाद उनके शरीर में तेज दर्द हुआ।
वैक्सीन लेने की वजह से उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि वो कोरोना पॉजिटिव हो जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे उनमें कोरोना के अन्य लक्षण भी दिखने लगे। तब जाकर मैथ्यू अस्पताल गए और वहां पर कोरोना की जांच करवाई। जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद ये खबर सोशल मीडिया पर भी तेजी से फैली और लोग Pfizer की वैक्सीन पर सवाल उठाने लगे।
इस मामले के सामने आने के बाद अमेरिकी विशेषज्ञों ने विस्तार से Pfizer वैक्सीन के बारे में समझाया है। उनके मुताबिक ट्रायल में पता चला कि वैक्सीन की एक डोज लेने के 10 से 14 दिन बाद इंसान में एंटीबॉडी बनती है। Pfizer ने शुरू में ही साफ किया था कि वैक्सीन की दो डोज लेने पर ही 95 प्रतिशत सुरक्षा हो सकती है। मेल नर्स ने सिर्फ एक डोज लिया ऐसे में सिर्फ 50 प्रतिशत सुरक्षा की ही गारंटी थी। वहीं जिन लोगों को एलर्जी संबंधित दिक्कत है, उन्हें इस वैक्सीन को नहीं लेने की सलाह दी जा रही है।