इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में करक जिले के टेरी गांव स्थित एक मंदिर में तोड़फोड़ और आग लगाए जाने की घटना के बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 5 जनवरी को करेगा। स्थानीय पुलिस ने पाकिस्तान की एक कट्टरवादी इस्लामी पार्टी के 26 सदस्यों को इस मामले में गिरफ्तार किया है।
हिंदू मंदिर को तोड़े जाने के बाद अल्पसंख्यक सांसद रमेश कुमार ने गुरुवार को कराची में चीफ जस्टिस के साथ बैठक की और पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद, चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने मामले का संज्ञान लिया। जिले के टेली गांव में बुधवार को उग्र भीड़ ने श्री परमहंस जी महाराज की समाधी और कृष्ण द्वारा मंदिर में जमकर तोड़फोड़ की थी। भीड़ ने मंदिर पर अतिरिक्त जमीन पर विस्तार करने का आरोप लगाते हुए आग भी लगा दी थी। इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इमरान खान की सरकार पर सवाल खड़े होने लगे थे। बड़ी संख्या में लोग इमरान सरकार की आलोचना कर रहे थे।
बता दें कि मंदिर पर पहली बार साल 1997 में हमला किया गया था और उसे ध्वस्त कर दिया गया था। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, स्थानीय समुदाय इसके पुनर्निर्माण के लिए सहमत हो गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सैकड़ों लोगों ने मंदिर में आग लगा दी। उन्होंने मंदिर को घेर लिया और घंटों तोड़फोड़ की, लेकिन पुलिस ने हस्तक्षेप नहीं किया। स्थानीय मीडिया ने हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि एडवोकेट रोहित कुमार के हवाले से कहा कि मंदिर का सहमति से अधिक विस्तार नहीं हो रहा था और भीड़ ने मंदिर में तोड़फोड़ करके समझौते का उल्लंघन किया है।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में करक जिले के टेरी गांव स्थित एक मंदिर में तोड़फोड़ और आग लगाए जाने की घटना के बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 5 जनवरी को करेगा। स्थानीय पुलिस ने पाकिस्तान की एक कट्टरवादी इस्लामी पार्टी के 26 सदस्यों को इस मामले में गिरफ्तार किया है।
हिंदू मंदिर को तोड़े जाने के बाद अल्पसंख्यक सांसद रमेश कुमार ने गुरुवार को कराची में चीफ जस्टिस के साथ बैठक की और पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद, चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने मामले का संज्ञान लिया। जिले के टेली गांव में बुधवार को उग्र भीड़ ने श्री परमहंस जी महाराज की समाधी और कृष्ण द्वारा मंदिर में जमकर तोड़फोड़ की थी। भीड़ ने मंदिर पर अतिरिक्त जमीन पर विस्तार करने का आरोप लगाते हुए आग भी लगा दी थी। इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इमरान खान की सरकार पर सवाल खड़े होने लगे थे। बड़ी संख्या में लोग इमरान सरकार की आलोचना कर रहे थे।
गौरतलब है कि मंदिर पर पहली बार साल 1997 में हमला किया गया था और उसे ध्वस्त कर दिया गया था। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, स्थानीय समुदाय इसके पुनर्निर्माण के लिए सहमत हो गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सैकड़ों लोगों ने मंदिर में आग लगा दी। उन्होंने मंदिर को घेर लिया और घंटों तोड़फोड़ की, लेकिन पुलिस ने हस्तक्षेप नहीं किया। स्थानीय मीडिया ने हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि एडवोकेट रोहित कुमार के हवाले से कहा कि मंदिर का सहमति से अधिक विस्तार नहीं हो रहा था और भीड़ ने मंदिर में तोड़फोड़ करके समझौते का उल्लंघन किया है।