नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को संघ प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। कोरोना महामारी के कारण इस समारोह में कुछ ही लोगों को आमंत्रित किया गया था। हालांकि लोग TV और सोशल मीडिया के जरिए इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने। भारत के साथ-साथ दुनिया की भी नजरें कल अयोध्या पर ही टिकी थीं।
https://twitter.com/Raj__Hacker/status/1291244122565521410?s=20
YouTube पर भी करोड़ों लोगों ने इस प्रसारण को देखा। यूएसए, यूके, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, जपान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, ओमान, कुवैत, नेपाल, पकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, फिलीपींस में इसे सबसे ज्यादा लोगों ने देखा।
https://twitter.com/RAJPOOT_HUNK/status/1291214239323971584?s=20
कार्यक्रम का मुख्य रूप से प्रसारण दूरदर्शन के द्वारा किया गया। लाइव टेलीकास्ट के लिए मल्टीपल कैमरा, आउटसाइड ब्रॉडकास्टिंग (OB) और डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग (DSNG) वैन को तैनात किया गया था। लोगों ने YouTube सहित अन्य डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से भी भूमि पूजन के कार्यक्रम को देखा।
https://twitter.com/AmreshmishraIND/status/1290919929202409472?s=20
विदेश की बात करें तो दूरदर्शन के अनुसार, सबसे अधिक दर्शकों की संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान, कुवैत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका आई और मॉरीशस में रही। भारत में 200 से अधिक चैनलों ने इस कार्यक्रम का प्रसारण किया।
At the Times Square in New York pic.twitter.com/I72jXqQltP
— Ram Madhav (@rammadhav_) August 6, 2020
समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) के माध्यम से लगभग 1200 स्टेशनों और एसोसिएटेड प्रेस टेलीविज़न न्यूज़ (APTN) द्वारा दुनिया भर के 450 मीडिया समूहों को प्रसारण की इजाजत दी गई थी।
Times Sq, NY pic.twitter.com/1BMNATKi7m
— Rajiv Malhotra (@RajivMessage) August 5, 2020
इधर पाकिस्तान को भी भारत ने राम मंदिर भूमिपूजन पर उँगली उठाने के लिए कड़ी लताड़ लगाई है। भारत ने पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि उसे भारत के आंतरिक मुद्दों पर बोलने से बचना चाहिए और सांप्रदायिकता को शह नहीं देना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो देश सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देता है और अपने ही देश के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करते है, उसके द्वारा इस तरह की टिप्पणी करना अफसोसजनक है, लेकिन ये आश्चर्यजनक नहीं है।