घर्म डेस्क। शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला का पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र, वैसाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ महीने की अष्टमी तिथि के दिन शीतला मां की आरधना की जाती है। शीतला मां का स्वभाव भी बहुत शीतल माना गया है इस वजह से गर्मी के महीने में इनकी उपासना अधिक की जाती है। शीतला अष्टमी को बसौरा या बसौड़ा भी कहा जाता है। जानते हैं इस आषाढ़ महीने की कौन सी तारीख को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा और इस व्रत का महत्व क्या है।
शीतलाष्टमी तिथि और मुहूर्त
शीतलाष्टमी व्रत का शुभारंभ 1 जुलाई 2021 (गुरुवार) को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से होगा और अष्टमी तिथि का समापन 2 जुलाई 2021 को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर होगा।
शीतलाष्टमी पूजा की विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। पूजा की थाली सजाएं और इसमें बाजरा, दही, पूरी, पुआ, गुड़ और मीठे चावल रखें। मां की पूजा में हल्दी और अक्षत् रखें। साथ ही लोटे में जल और कलावा रख लें। इसके बाद भोग लगाना चाहिए। शीतला माता की पूजा के लिए एक चांदी का चौकोर टुकड़ा भी चढ़ाया जाता है। मां को शीतल जल और बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है।
शीतला अष्टमी पूजा का महत्व
ऐसी आस्था है कि शीतला जनित बीमारियों से राहत पाने के लिए शीतला मां की पूजा करनी चाहिए। जातक को रोगों से पूरी तरह मुक्ति मिलती है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और आरोग्य के लिए यह व्रत करती हैं। मां की कृपा से चेचक जैसे रोग से भी छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में सकारात्मकता और शुभता बनी रहती है।