नई दिल्ली। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करना दस यज्ञों के समान पुण्यकारी माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली भी मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 29 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से ही हो जाएगी जो अगले दिन यानी 30 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इस पूर्णिमा से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। इस दिन दीपदान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं साथ ही साथ तिल के तेल से स्नान करने से शनिदोष मिटता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह के दिन ही भगवान विष्णु जागृत होते हैं। इससे पहले वह 4 माह के शयन निद्रा में रहते है। कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर ही उन्होंने मत्स्य अवतार लेकर राक्षस त्रिपुरासूर के आतंक को समाप्त किया था। जिसके बाद देवों ने देव दीपावली मनायी थी। यही कारण है कि इस दिन देव दीपावली मनाने की भी परंपरा है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripuri Purnima) भी कहते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर को सोमवार के दिन है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। कोरोना वायरस महामारी के कारण ऐसे समय में घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना उत्तम है। कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने का हजारों गुणा फल मिलता है। इसलिए इस दिन गरीबों को गर्म कपड़ों, गर्म चीजों का दान किया जाता है।
तुलसी पूजन के पीछे छिपी वजह:
शास्त्रों के अनुसार तलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है। तुलसी का पौधा घर में आने वाली नेगेटिव एनर्जी को रोकने के साथ-साथ रोगों के नाश करने में भी मदद करता है। पुराणों के अनुसार जिस घर पर कोई विपत्ति आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है या सूख जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग बन रहे हैं। इस योग के कारण कार्तिक पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ गया है। ज्ञात हो कि, इस बार कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को मनाई जा रही है। इस दिन स्नान के साथ दान का भी बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में या तुलसी के पास दीप जरूर जलाने चाहिए। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे छिपा कारण और धार्मिक महत्व।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का धार्मिक महत्व :
हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक माह विष्णु जी को बेहद प्रिय होता है। कार्तिक मास की एकादशी के दिन तुलसी का भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ विवाह हुआ था।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन इसलिए भी किया जाता है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इसी दिन तुलसी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था।
- मान्यता है कि इस दिन घर में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त:
- कार्तिक पूर्णिमा आरंभ- 29 नवंबर 2020 को रात 12 बजकर 47 मिनट से
- कार्तिक पूर्णिमा समाप्त- 30 नवंबर 2020 को रात 02 बजकर 59 मिनट तक
- 29 नवंबर की रात्रि में पूर्णिमा तिथि लगने के कारण 30 नवंबर को दान-स्नान किया जाएगा
कार्तिक पूर्णिमा व्रत की पूजन विधि:
वैसे तो कार्तिक मास में रोज तुलसी पर घी का दिया जलने की प्रथा है , पूरा 1 महीना तुलसी पूजा करते है और कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह स्नान करने के बाद तुलसी की विशेष पूजा करते है। इसमें जमीन पर चौक या रंगोली बनाते है उसपर तुलसी का गमला रख कर तुलसीजी को वस्त्र पहनाकर फलफूल माला , धूप अगरबत्ती ,पूड़ी खीर का भोग लगाते है। सुहागन औरते सुहाग का सामान चढाती हैं। फिर घी का दीपक जलाकर तुलसी आरती करें। जो लोग रोज दिया ना जला पाए वे इस दिन पूरे महीने के दिन के 31 दिए जलाते हैं। इस दिन खीर का भोग लगाकर और दीपदान करके आप माँ लक्ष्मी को भी प्रसन्न कर सकते हैं।
कहा जाता है कि इस दिन किए गए दान से विष्णु भगवान की विशेष कृपा मिलती है। पूर्णिमा के दिन सुबह किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. स्नान के बाद पूजन और दीपदान करना चाहिए कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वालों को इस दिन हवन जरूर करना चाहिए और किसी जरुरतमंद को भोजन कराना चाहिए.यहां हम आपको बता रहे हैं कि राशिअनुसार आपको किन चीजों का दान करना चाहिए:
- मेष- गुड़ का दान
- वृष- गर्म कपड़ों का दान
- मिथुन- मूंग की दाल का दान
- कर्क- चावलों का दान
- सिंह- गेहूं का दान
- कन्या- हरे रंग का चारा
- तुला- भोजन का दान
- वृश्चिकृ- गुड़ और चना का दान
- धनु- गर्म खाने की चीजें, जैसे बाजरा,
- मकर- कंबल का दान
- कुंभ- काली उड़द की दाल
- मीन- हल्दी और बेसन की मिठाई का दान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। कोरोना वायरस महामारी के कारण ऐसे समय में घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना उत्तम है। कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने का हजारों गुणा फल मिलता है। इसलिए इस दिन गरीबों को गर्म कपड़ों, गर्म चीजों का दान किया जाता है।
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था. एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripuri Purnima) भी कहते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर को सोमवार के दिन है।