विभिन्न प्रजातियों की गाय-भैंस, बकरे और मुर्गों को देखने मेले में उमड़े लोग
बेमेतरा। राज्य स्तरीय कृषि विकास एवं किसान कल्याण मेला में राज्य के सुदुर अंचलों से आए किसान व पशु पालक कृषि की उन्नत तकनीकों से अवगत हो रहे हैं। किसानों के लिए विशेषज्ञों ने कार्यशाला भी आयोजित की है। इसमें कृषि वैज्ञानिक किसानों को खेती की उन्नत तकनीकों की जानकारी दे रहे हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ में उन्नत खेती कर रहे किसानों ने स्टॉल लगाकर आने वाले किसानों से अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। 4 से 5 लीटर दूध देती है, छत्तीसगढ़ की कोसली गाय-मेले में पशुधन विभाग ने प्रदर्शनी लगाई है।
इसमें छत्तीसगढ़ की कोसली गाय, दुधारू नस्लों की गाय गिर, साहीवाल, हालिस्टिन, जर्सीक्रॉस गाय, दुधारू मुर्रा भैंस भी प्रदर्शित की गई है। साथ ही बकरे की बीटल, सिरोही एवं जमुनापारी नस्लों की जानकारी दी जा रही है। मुर्गे की 5 से 6 प्रजातियां प्रदर्शनी में शमिल है, जिसमें ग्रामप्रिया, ब्लेकराक, आरआईआर, बनराजा, असील एवं कड़कनाथ शामिल हैं। बताया गया कि गिर नस्ल की गाय एक समय में 10 से 15 लीटर दूध देती है। वहीं छत्तीसगढ़ की कोसली गाय 4 से 5 लीटर दूध देती हैं। किसान गो पालन कर श्वेत क्रांति लाने के साथ ही खेती के लिए परंपरागत कम्पोस्ट खाद भी तैयार कर जैविक खेती कर सकते हंै। विशेषज्ञ बताते हैं कि 1 देशी गाय से प्राप्त गोबर मूत्र से 2 एकड़ में जैविक खेती करते हुए बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। मछली पालन विभाग ने भी तालाब का प्रतिरूप बनाकर मछली पालन एवं उपयोगी यंत्रों की भी जानकारी दे रहे हैं।