वनवासियों का जीवनस्तर सुधारने वनोपजों का होगा मूल्यसंवर्द्धन

वनवासियों का जीवनस्तर सुधारने वनोपजों का होगा मूल्यसंवर्द्धन

जगदलपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप बस्तर संभाग में वनवासियों का जीवन स्तर में सुधार के लिए सभी प्रमुख लघु वनोपजों का मूल्यसंवर्द्धन किया जाएगा। बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री अमृत कुमार खलखो की अध्यक्षता में आज कमिश्नर कार्यालय में संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों की आयोजित बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा की गई और जिस जिले में जो लघु वनोपज का उत्पादन ज्यादा होता है, वहां उसकी प्रसंस्करण इकाई लगाने का निर्णय लिया गया।

कमिश्नर श्री खलखो ने महुआ प्रसंस्करण के लिए कोण्डागांव, सल्फी के लिए दन्तेवाड़ा, तीखूर के लिए कोण्डागांव और नारायणपुर, झाडू के लिए बस्तर और कांकेर तथा अमचूर के लिए कार्ययोजना बनाने दन्तेवाड़ा जिले को जिम्मेदारी दी है। उन्होंने इन प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना, मार्केंटिग सहित अन्य कार्यों और संभावनाओं के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने के निर्देश संबंधित जिले के कलेक्टर को दिए हैं। श्री खलखो ने कहा कि ये वनोंपज यहां के वनवासियों के जीवन का प्रमुख आधार हैं, उनके द्वारा संग्रहित वनोंपजों का उन्हें प्रसंस्करण के जरिए बेहतर दाम मिलता है, तो इससे निश्चित ही वनवासियों का जीवन स्तर बेहतर होगा। इसलिए सभी कलेक्टर अपने मूल काम के साथ ही इन अभिनव कार्यों में विशेष रूचि लेकर कार्य करें।

कमिश्नर ने राज्य शासन के निर्देशों के अनुसार संभाग के सभी पात्र वनवासियों को वनाधिकार मान्यता पत्रों का वितरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में जो वनाधिकार पत्र निरस्त किए गए हैं, उनकी फिर से समीक्षा करें। इसके बाद छूटे सभी पात्रों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार पत्रों का वितरण किया जाए। वनाधिकार पत्रों के वितरण के संबंध में राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों से भी ग्राम सभाओं को जागरूक किया जाए, ताकि सभी पात्रों को उनका अधिकार मिल सके। वनाधिकार मान्यता पत्र के लिए सभी ग्राम पंचायतों में आवेदन पत्र नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाए। श्री खलखो ने राज्य शासन की महत्वांकाक्षी योजना नरूवा, घुरूवा,गरूवा और बाड़ी की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि नरूवा के लिए सभी जिलों में नालो का चिन्हाकन कर लें और उस नाले में चेकडेम निर्माण पश्चात कितने लोगों को फायदा होगा, इसका भी विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बना लें। ग्राम स्तर पर समिति भी गठित करें और महिला स्वसहायता समितियों को भी इससे जोंड़े। यह कार्य नरेगा से किया जा सकता है। इसी तरह गरूवा के लिए सभी गांवो में गोठानों का स्थान का चयन करें और उसी के पास घुरूवा के लिए नाड़ेप का गडढा भी बनाएं। इसी तरह ग्रामीणों को बाड़ी के लिए प्रोत्साहित करें। उद्यानिकी विभाग के सहयोग से सब्जी, फलदार पेड़ भी लगवाएं।

00 कार्ययोजना बनाने कलेक्टरों को दी गई जिम्मेदारी

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