न्यूज़ डेस्क। मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब जम्मू-कश्मीर में देश का कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकेगा। मंगलवार को गृह मंत्रालय द्वारा एक नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है। अब देश का कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकेगा और वहां बस सकेगा। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी। अभी तक जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन खरीद सकते थे। अब राज्य के बाहर के लोग भी जमीन खरीदकर वहां अपना काम शुरू कर सकेंगे। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत ये फैसला लिया है। अब कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए किसी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की भी जरूरत नहीं होगी। डोमिसाइल की जरूरत सिर्फ कृषि भूमि की खरीद के लिए होगी।
आर्टिकल 370 और 35-ए हटने से बदली कश्मीर की फिजा
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही वहां विकास की रफ्तार तेज हो गई है। मोदी सरकार के प्रयासों से जम्मू-कश्मीर तेजी से देश की मुख्यधारा में शामिल हो रहा है। मोदी सरकार के इस फैसले से वहां लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 05 अगस्त, 2019 को ऐतिहासिक और युगांतरकारी फैसला लेकर संविधान के आर्टिकल 370 और 35-ए को हमेशा के लिए दफन कर दिया। जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने का निर्णय न सिर्फ अप्रत्याशित और अविश्वसनीय था, बल्कि अकल्पनीय भी था। मोदी सरकार कश्मीर पर एक साथ चार बहुत बड़े फैसले करेगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। इसने एक देश, एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का 66 साल पुराना सपना साकार कर दिया।
- मोदी सरकार में एक देश, एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का सपना सकार हुआ।
- मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित किया।
- अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था, लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल का पद बनाया गया है।
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह अब 5 साल का होगा।
- आर्टिकल 370 हटने के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भी बाकी सारे अधिकार मिल गए।
- जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रहने वाले और 10 वर्षों की कुल अवधि तक सेवा करने वाले कर्मचारी अधिवास के पात्र होंगे।
- आजादी के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 24 अक्टूबर, 2019 को ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव हुए।
- भारतीय मौसम विभाग ने PoK के गिलगिट, बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के मौसम का हाल बताना शुरू किया।
अलग पड़े अलगाववादी
- आर्टिकल 370 हटने के बाद अलगाववादियों का जनाधार खत्म होता जा रहा है।
- गिलानी को आर्टिकल 370 के विरोध में प्रदर्शन के लिए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का सहयोग नहीं मिला।
- घटते जनाधार से परेशान सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।
- आर्टिकल 370 के खिलाफ कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं कर पाने से नाराज पाकिस्तान ने भी हुर्रियत से हाथ खींच लिया।
- 2018 में 58, 2019 में 70 और 2020 में 6 हुर्रियत नेता हिरासत में लिए गए।18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई।
- 2019 में प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी के 29 कार्यकर्ता और 2020 में इसके 8 कार्यकर्ता हिरासत में लिए गए।
- अलगावादियों के 82 बैंक खातों में लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। अलगाववादी आसिया आंद्राबी का मकान कुर्क किया गया।
- सितंबर 2019 में मसूद अजहर, हाफिज़ सईद, जाकि-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम को आतंकवादी घोषित किया गया।
राज्य पुनर्गठन
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन से संबंधित प्रावधानों को औपचारिक रूप से 31 अक्टूबर, 2019 को लागू किया गया।
- जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में पुनर्गठित किया गया।
- राज्य के 354 कानूनों में से 164 कानूनों को निरस्त किया गया, 138 कानूनों को संशोधित किया गया।
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर 170 केंद्रीय कानून लागू किए गए।
- J&K में सुरक्षा बलों को भूमि अधिग्रहण के लिए अब NOC की जरूरत नहीं है।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
वंचित को लाभ
- नई अधिवास परिभाषा के अनुसार 15 वर्ष या अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर में रहने वाले व्यक्ति अधिवासी माने जाएंगे।
- नई अधिवासन नीति से लंबे समय से वंचित और उपेक्षित बहुत से तबकों को लाभ मिला है।
- वाल्मीकी समुदाय के लाखों लोग अब जम्मू-कश्मीर के नागरिक बन गए हैं।
- पश्चिमी पाकिस्तान से उजाड़े और खदेड़े गए शरणार्थियों को भी उनके मानव अधिकार और नागरिक अधिकार मिल गए हैं।
- 1990 में कश्मीर घाटी से भगाए गए कश्मीरी पंडितों के फिर से बसाने का रास्ता साफ हो गया है।
- जम्मू-कश्मीर से बाहर विवाह करने वाली लड़कियों और उनके बच्चों के अधिकारों का संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है।
विकास का विस्तार
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को लेकर रोडमैप तैयार करने के लिए एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया गया है।
- मोदी सरकार के 36 मंत्रियों ने 18-25 जनवरी,2020 के बीच जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों का दौरा किया।
- केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने गंदेरबल में 20 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
- 40 वर्ष से रूकी हुई शाहपुर-कंडी बांध परियोजना पर कार्य शुरू किया गया है।
- उझ बहुउद्देश्यीय परियोजना और रातले पनबिजली परियोजना के वर्षों तक लटके रहने के बाद कार्य शुरू किया गया है।
- जम्मू-कश्मीर में दो एम्स खोलने की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक एम्स जम्मू में होगा और दूसरा कश्मीर में।
- मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में नौ मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी है।
- 25 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 85 विकास योजनाओं की शुरुआत की।
- 80,068 करोड़ रुपये वाले प्रधानमंत्री विकास पैकेज-2015 के तहत विकास परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
- मोदी सरकार ने लद्दाख में बौद्ध अध्ययन केंद्र के साथ पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय की योजना को हरी झंडी दी।
- मोदी सरकार रोजगार और युवकों के कौशल विकास पर समान रूप से ध्यान दे रही है।
- एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान पुस्तक के एक पाठ में आर्टिकल 370 हटाने का विषय जोड़ा है
फिर चमकेगा पर्यटन
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने मेगा प्लान तैयार किया है।
- उन जगहों की पहचान की जा रही है, जो टॉप के टूरिज्म डेस्टिनेशन बन सकते हैं।
- मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के टूरिस्ट गाइड को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण देगी।
- हिमालय की 137 पर्वत चोटियां विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गई हैं, जिनमें 15 चोटियां जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की हैं।
आतंक पर शिकंजा
- पिछले एक साल में आतंकी संगठनों में कश्मीरी युवाओं की भर्ती में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
- जनवरी से 15 जुलाई, 2019 तक 105 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए, वहीं इस साल इसी अवधि में इनकी संख्या 67 थी।
- जनवरी से 15 जुलाई, 2019 तक आतंकवाद से जुड़ी कुल 188 घटनाएं हुईं, वहीं इस साल इसी अवधि में 120 घटनाएं हुईं।
- जनवरी से 15 जुलाई, 2019 तक 126 आतंकी मारे गए, इस साल इसी अवधि में 136 आतंकियों का खात्मा हुआ।
- इसके अलावा 22 आतंकी और करीब उनके 300 मददगार गिरफ्तार किए गए।
- इस अवधि में पिछले साल 6 IED हमले हुए, वहीं इस साल 15 जुलाई तक केवल 1 IED हमला हुआ।
- इस एक साल में हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का कमांडर रियाज़ नाइकू, लश्कर का कमांडर हैदर, जैश का कमांडर कारी यासिर और अंसार ग़ज़वात-उल-हिन्द का बुरहान कोका भी मारा गया।
सेना की सख्ती
- मोदी सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ तीव्र और सख्त कार्रवाई करने के लिए सेना को खुली छूट दी।
- आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता खत्म कर ‘खोजो और मारो’ (कार्डन एंड सर्च) ऑपरेशन ‘कासो’ चलाया गया।
- आतंकियों के खिलाफ ‘आबादी में घेरो, जंगल में मारो’ की दूसरी रणनीति अपनायी गई।
- दक्षिण कश्मीर में बुरहान वानी गैंग को खत्म करने के लिए ऑपरेशन ‘जैकबूट’ चलाया गया।
- घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर सेना की बहुस्तरीय तैनाती, बाड़ लगाने और खुफिया तंत्र की मजबूती का काम किया गया।
- घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर इलेक्ट्रिक फेंसिंग की गई, जो काफी महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
ऑपरेशन ऑल आउट
- जनवरी 2017 में शुरू किए गए ऑपरेशन ऑल आउट से आतंकियों के हौसले पस्त हो चुके हैं।
- 2014 – 15 जुलाई, 2020 तक जम्मू-कश्मीर में 1126 आतंकियों को मार गिराया गया।
साल | आतंकी मारे गए |
2014 | 110 |
2015 | 108 |
2016 | 150 |
2017 | 213 |
2018 | 257 |
2019 | 152 |
2020 (15 जुलाई) | 136 |
पस्त हुए पत्थरबाज
- अब मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पथराव नहीं होता है।
- 2018 में पथराव की 532 घटनाएं हुईं, वहीं 2019 में 389 और 2020 में 102 घटनाएं हुई हैं।
- 2018 के मुकाबले 2019 में पथराव की घटनाओं में 27 प्रतिशत की कमी आई, वहीं 2020 में 73 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
- जुलाई 2020 तक पथराव की घटनाओं में केवल एक नागरिक की मौत हुई।
- 2018 में 18 और 2019 के पहले छह महीनों में तीन नागरिकों की जान चली गई थी।
- पथराव की घटनाओं में 2019 में 335 नागरिक घायल हुए और इस साल केवल 63 नागरिक घायल हुए।