धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं – लाटा महाराज
रायपुर। धर्म लोगों को, देश को, प्रांत को जोड़ता है। धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं , जोड़ने का नाम ही धर्म है। आज विवाह धर्म से नहीं हो रहे है इसलिए विवाह टिक नहीं रहे है, विवाह के मध्य से धर्म गायब हो गया यही कारण है कि आज परिवार टूट रहे है। पहले विवाह धर्म के अनुसार होते थे, भले ही पति-पत्नी के मध्य कितना भी कहा सुनी क्यों न हो जाए लेकिन गृहस्थ जीवन कभी टूटता नहीं था।वर्तमान परिवेश में जो युद्ध हो रहा है वह सत्ता प्राप्ति के लिए हो रहा है। केंद्र की, प्रांत की, गांव की सत्ता चाहिए। सत्ता तो चाहिए लेकिन सत्य नहीं चाहिए। सत्य के साथ नहीं रहते इसलिए सत्ता चली जाती है।
कांदुल दुर्गा मंदिर परिसर में चल रही रामकथा के अंतिम दिन लंका कांड प्रसंग पर संतश्री शंभूशरण लाटा महाराज ने श्रद्धालुजनों को बताते हुए कहा कि शिव और राम का भेद कभी नहीं करना चाहिए। बांए-दांए करके भगवान को नहीं पूजा जा सकता। जहां भेद होता है वहां भगवान नहीं होते, भेद करने से भगवान प्राप्त नहीं होते इसलिए कभी भी भगवान में भेद नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, साधु, संत या महात्मा कहते है और अपने शिष्यों का धन हड़पते है या उनके क्षोभ को दूर नहीं करते ऐसे करने वाला भी नरक के भागेदारी होते है।
लाटा महाराज ने कहा कि आज परिवार में भी भेद के कारण ही तन पैदा हो रहे है। परिवार में एक-दूसरे के प्रति मन में भेद को पाले हुए है। भाई-भाई का हित नहीं चाहता वास्तव में परिवार में एक – दूसरे के प्रति, समर्पण नहीं रहा। समर्पण के अभाव में हम दुखी है, व्यक्ति को आज अपने .प्रारब्ध से जितनी पीड़ा नहीं मिलती उससे अधिक पीड़ा उसे दूसरों के व्यवहार से होती है।
उन्होंने कहा कि राम ने युद्ध सत्ता के लिए नहीं, सत्य के लिए किया। बालि को मारकर राम ने किशकिंधा का राजा उसके भाई सुग्रीव को और रावण को मारकर लंका का राजा विभीषण को बना दिया । वर्तमान परिवेश में जो युद्ध हो रहा है वह सत्ता प्राप्ति के लिए हो रहा है। केंद्र की, प्रांत की, गांव की सत्ता चाहिए। सत्ता तो चाहिए लेकिन सत्य नहीं चाहिए। सत्य के साथ नहीं रहते इसलिए सत्ता चली जाती है। सत्य में रहने से सत्ता की रक्षा हो जाती है।
लाटा महाराज ने कहा कि गलती हो जाए तो उसे स्वीकार कर उसका प्रायश्चित कर लेना चाहिए। अच्छे कार्य करने वालों को लोग हमेशा याद रखते है। जहां श्रद्धा होती है वहां बहस नहीं करनी चाहिए और गुरु में कभी भेद नहीं करना चाहिए। जब गुुरु में प्रीति हो गई है तो फिर गुरु में दोष देखना पाप है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति चाहे कितना भी ऊपर उठ जाए लेकिन उसे उन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने कठिन समय में उसका साथ दिया। लंका विजय के बाद भगवान श्री राम उन्हीं रास्तों से वापस लौटे और लौटते समय उन लोगों से मिले जिन्होंने कठिन समय में उनका साथ दिया था।
00 परिवार के टूटने का कारण धर्म का न होना
00 सत्य के साथ नहीं रहते इसलिए सत्ता चली जाती है