न्यूज़ डेस्क। वैलेंटाइन डे वीक की शुरूआत हो चुकी है। प्रोपोज़ डे मनाने के बाद 9 फरवरी को चॉकलेट डे मनाया जाता है। आज चॉकलेट डे (chocolate-day) है। इस दिन प्रमी एक-दूसरे को प्रोपोज़ करने के बाद चॉकलेट गिफ्ट करते हैं। इस दिन कुछ मीठा तो जरुरी होता है। अक्सर लोगअच्छा काम होने के बाद मुंह मीठा करते है। वैसे ही आप एक दुसरे को चॉकलेट गिफ्ट कर मुंह मीठा कर सकते है। या फिर रोमैंटिक मैसेज के जरिये अपने दिल की बात कह सकते है।
फरवरी के महीने को लव प्यार के महीने के नाम से भी जाना जाता है। साल के दूसरे महीने का दूसरा हफ्ता प्यार करने वालों के लिए काफी खास होता है, जिसकी शुरुआत 7 फरवरी से होती है और यह 14 फरवरी को वेलेंटाइंस डे के साथ खत्म होता है। इस हफ्ते का तीसरा दिन है चॉकलेट डे। प्रपोज़ डे के बाद 9 फरवरी को चॉकलेट डे है। इस दिन आप अपने साथी को चॉकलेट गिफ्ट करते हैं और चॉकलेट खिला कर मुंह मीठा कराते है।
इस दिन दो प्रेमी जोड़े एक दूसरे को प्यार से चॉकलेट गिफ्ट में देते हैं और अपना हाल-ए-दिल बयां करते हैं। दरअसल, चॉकलेट हर किसी का फेवरेट स्वीट डिश होता है इसलिए इसे हर सेलेब्रेशन में शामिल किया जाता है। तो ऐसे में वैलेंटाइन में भी इसका खास महत्व है।
क्या आप जानते हैं कि चॉकलेट की शुरुआत कब, कैसे और कहां हुई थी। अगर नहीं, तो आज हम चॉकलेट डे के अवसर पर आपको बताते हैं चॉकलेट का इतिहास।
चॉकलेट के आविष्कार की कहानी भी काफी रोचक है। कहा जाता है कि 1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में कर लिया था। इसके साथ ही वहां का राजा मैक्सिको से कोको के बीज और सामग्री को स्पेन लेकर गया। वहां के लोगों को ये इतना पसंद आय़ा कि वहां के लोगों का ये सबसे पसंदीदा पेय बन गया।
लोगों का यह भी मानना है कि सबसे पहले इसका आविष्कार अमेरिका में हुआ था क्योंकि कोको के पेड़ को सबसे पहले वहीं के जंगलों में पाया गया था। लेकिन आज के दौर में दुनियाभर में सबसे ज्यादा कोको की आपूर्ति करने वाला देश अफ्रीका है। दुनियाभर में 70 फीसदी कोको की आपूर्ति अकेले अफ्रीका करता है।
शुरुआत में इसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता था। लेकिन समय के साथ इसके बनाने के तरीकों में बदलाव आते गए। जिसके कारण आज बिकने वाला चॉकलेट स्वाद में काफी बेहतरीन होता है। बताया जाता है कि सबसे पहले अमेरिका में चॉकलेट बनाया गया था लेकिन इसके स्वाद में कुछ तीखापन था।
उस दौरान इसे एक पेय की तरह ही इस्तेमाल किया जाता था। कुछ समय बाद एक वैज्ञानिक डॉ. सर हैस स्लोने ने इस पेय पर कुछ प्रयोग किए और एक नई रेसिपी तैयार की। पेय पदार्थ को प्रयोग के बाद खाने के लायक सॉलिड फॉर्म में बनाया गया और इसका नाम रखा गया था कैडबरी मिल्क चॉकलेट।