स्कूलों में किया जाएगा संविधान की प्रस्तावना का वाचन, छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर परिचर्चा जैसे आयोजन होंगे स्कूलों में

रायपुर(बीएनएस)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज का दिन भारतीय संविधान निर्माण की गौरवगाथा को याद करने का है और यह संकल्प लेने का भी, कि हम सब भारतवासी अपने संविधान की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर ने कहा था-यह तथ्य मुझे व्यथित करता है कि भारत ने पहले भी एक बार स्वतंत्रता खोई है। यदि राजनीतिक दल अपने पंथ को देश के ऊपर रखेंगे तो हमारी स्वतंत्रता एक बार फिर खतरे में पड़ जाएगी और संभवतया हमेशा के लिए समाप्त हो जाए। हम सभी को इस संभाव्य घटना का दृढ़निश्चय के साथ प्रतिकार करना चाहिए। हमें खून के आखिरी कतरे तक, अपनी आजादी की रक्षा करने का संकल्प करना चाहिए। हमें अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों कोे प्राप्त करने के लिए निष्ठापूर्वक संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए। आज के दिन हमें याद करना चाहिए कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना ’’हम भारत के लोग’’ के उद्घोष के साथ शुरू होती है। जिसमें न्याय, समता, बंधुता, व्यक्ति की गरिमा, विचार-अभिव्यक्ति-विश्वास-धर्म और उपासना की स्वतंत्रता जैसे शब्द मील के पत्थर की तरह हमें रास्ता दिखाते हैं। आज का दिन यह रेखांकित करने का भी है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साम्प्रदायिकता को अपने समय की सबसे खतरनाक प्रवृत्ति के रूप में चिन्हित किया था, इसलिए उन्होंने धर्मनिरपेक्ष समाज और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की मजबूत नींव डालने के लिए धर्मनिरपेक्ष संविधान पर जोर दिया था। वहीं देश के नियोजित विकास का आधारभूत ढांचा खड़ा किया था, जो भारत की योजनाबद्ध तरक्की का आधार बना। सात दशकों में भारत ने विकास की जो ऊंचाइयां हासिल की हैं, उसका सबसे बड़ा कारण हमारे संविधान की वह शक्ति है, जो तमाम विविधताओं के बीच भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाती है।

छत्तीसगढ़़ की जनता से बड़ी कोई पाठशाला नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि छत्तीसगढ़ की माटी और छत्तीसगढ़़ की जनता से बड़ी कोई पाठशाला नहीं है। मैं जितनी बार बस्तर आता हूं, सरगुजा जाता हूं या गांव-गांव का दौरा करता हूं तो हर बार मुझे कोई नई सीख मिलती है। मेरा विश्वास है कि गणतंत्र की सफलता की कसौटी जनता से सीख कर, उनकी भागीदारी से, उसके सपनों को पूरा करना है। लोहण्डीगुड़ा ने हमें आदर्श पुनर्वास कानून के पालन की सीख दी तो आदिवासियों की जमीन वापसी से छत्तीसगढ़ सरकार को अपार यश मिला। कुपोषण मुक्ति के लिए नवाचार और दृढ़संकल्प की शुरूआत दंतेवाड़ा से हुई। बीजापुर ने दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का प्रण दिया। सुकमा तथा बस्तर जिले में फूडपार्क, कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने का जज्बा दिया।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.