बापू के दक्षिण अफ्रीका से वापसी पर परिसंवाद का आयोजन
रायपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्मशती समारोह की श्रृंखला में पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आऊटरीच ब्यूरो, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को शासकीय जे. योगानंदम् छत्तीसगगढ़ महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभाकक्ष में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी विषय पर एक परिसंवाद का आयोजन किया गया।
परिसंवाद को संबोधित करते हुए रीजनल आऊटरीच ब्यूरो, रायपुर के अपर महानिदेशक सुदर्शन एस. पनतोड़े ने बताया कि भारत सरकार द्वारा इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। इसके उपलक्ष्य में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा साल भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी तारतम्य में आज, महात्मा गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से वापसी को याद करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। अपर महानिदेशक सुदर्शन एस. पनतोड़े ने बताया कि गांधी जी ने जीवन में सत्य और अहिंसा को बहुत महत्व दिया। ये दोनों महत्वपूर्ण कारकों ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई और इस वजह से ब्रिटिश सरकार को इस देश को छोड़कर जाना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि उन्नत समाज का निर्माण मानवता और समानता से ही संभव है।
उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने जहां भी अन्याय और असमानता देखी, वहां उन्होंने पुरजोर विरोध किया चाहे वह भारत में हो या दक्षिण अफ्रीका में। इस अवसर पर शासकीय जे. योगानंदम् छत्तीसगगढ़ महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. सी.एल. देवांगन ने परिसंवाद में उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ. पूष्पा कौशिक भी उपस्थित थीं।
परिसंवाद में छत्तीसगगढ़ महाविद्यालय के छात्र- आदित्य सिंह, शानू जायसवाल, पूजा वर्मा, यश कुमार साहू, धर्मेन्द्र सिन्हा और आशीष जाधव ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में परिसंवाद के प्रतिभागियों को अपर महानिदेशक सुदर्शन एस. पनतोड़े पुरस्कार प्रदान किया। परिसंवाद का संचालन, छत्तीसगगढ़ महाविद्यालय की प्रोफसर डॉ. शिल्पी बोस तथा आभार प्रदर्शन, रीजनल आऊटरीच ब्यूरो के प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने किया।