#WomenReservationBill: ऐतिहासिक उपलब्धि, Women Reservation Bill लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी हुआ पास; विरोध में नहीं पड़ा कोई भी वोट…

नई दिल्ली (Bns)। ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया। बिल के समर्थन में 215 वोट पड़े और किसी भी सांसद ने इसका विरोध नहीं किया। ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ बिल (Nari Shakti Vandan Bill) पर वोटिंग के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी सदन में मौजूद थे और उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए सभी से सर्वसम्मित से बिल के पक्ष में वोटिंग की अपील भी की। इस बिल को एक दिन पहले ही लोकसभा ने पास किया था। बिल के समर्थन में 454 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में सिर्फ 2 वोट डाले गए थे। बिल के विरोध में असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM के सांसद ने वोट किया था। ‘नारी शक्ति वंदन बिल‘ (Nari Shakti Vandan Bill) पेश किया था। बिल के कानून बन जाने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।

कानून बन गया तो कब से होगा लागू?
महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) पर लोकसभा में चर्चा के दौरान एक दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा था कि चुनाव के बाद जनगणना और फिर परिसीमन होगा। इसके बाद बिल को लागू किया जाएगा और बहुत जल्द समय आएगा कि एक तिहाई माताएं-बहनें सदन में होंगी। उन्होंने कहा था कि महिला आरक्षण विधेयक लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृशक्ति को सम्मानित किया है। उम्मीद की जा रही है कि यह बिल साल 2029 में लागू हो।

जल्द लागू हो महिला आरक्षण कानून
विपक्षी दलों ने राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए। विपक्षी दलों के सदस्यों ने साथ ही यह दावा भी किया कि सरकार चुनावी फायदे के लिए यह विधेयक लेकर आई, जबकि इसका लाभ लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह सरकार 2014 में ही सत्ता में आ गई थी और उसने महिला आरक्षण लागू करने का वादा भी किया था। उन्होंने सवाल किया कि सरकार को इतने समय तक यह विधेयक लाने से किसने रोका।

सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार क्या नए संसद भवन के बनने की प्रतीक्षा कर रही थी या इसमें वास्तु से जुड़ा कोई मुद्दा था। इससे पहले कांग्रेस सदस्य रंजीत रंजन ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत की। रंजन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस विधेयक के पीछे षडयंत्र नजर आता है, क्योंकि सरकार साढ़े नौ साल बाद इसे लेकर आई है। उन्होंने सवाल किया कि इस विधेयक के लिए संसद के विशेष सत्र की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद इस विधेयक के जरिए भी सुर्खियां बटोरना है। उन्होंने इस विधेयक को चुनावी एजेंडा करार देते हुए कहा कि क्या सरकार इसके जरिए ‘झुनझुना’ (बच्चों का एक खिलौना) दिखा रही है।

181 हो जाएगी महिला सांसदों की संख्या
कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा।

महिला आरक्षण विधेयक में क्या?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। विधेयक के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। विधेयक में प्रस्तावित है कि हर आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।

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