न्यूज़ डेस्क। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर साल 19 नवंबर को ‘विश्व शौचालय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस साल कोरोना महामारी के कारण ‘विश्व शौचालय दिवस’ की थीम ‘ससटेनेबल सैनिटेशन एंड क्लाइमेट चेंज’ रखी गई है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व में सभी लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना है और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है। साथ ही बीमारियों के प्रसार को रोककर लोगों को स्वस्थ रखना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर देश के सभी लोगों को शौचालय की सुविधा मुहैया कराने के भारत के संकल्प और उपलब्धि के बारे में बताया।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आज स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत विश्व शौचालय दिवस’ का आयोजन, यह दिन स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है#WorldToiletDay #SwachhBharatMission @JalShaktiAbhyan @gssjodhpur pic.twitter.com/hU1m57RZdH
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) November 19, 2020
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि, ‘ विश्व शौचालय दिवस पर, भारत ने # Toilet4All के अपने संकल्प को मजबूत किया है। पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों भारतीयों को हाइजीनिक शौचालय उपलब्ध कराने की एक अनूठी उपलब्धि मिली है। इसने विशेष रूप से हमारी नारी शक्ति को गरिमा के साथ जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ दिया है।
On World Toilet Day, India strengthens its resolve of #Toilet4All. The last few years have seen an unparalleled achievement of providing hygienic toilets to crores of Indians. It has brought tremendous health benefits along with dignity, especially to our Nari Shakti.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 19, 2020
पीएम मोदी के मार्गदर्शन में सफल हुआ स्वच्छ भारत मिशन
विश्व शौचालय दिवस के उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी सराहनीय प्रयास किया है। उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन ने 2 अक्टूबर, 2019 को खुले में शौच मुक्त (ODF) होने की उपलब्धि हासिल की। इसके बाद स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण शुरुआत की गई है, जिसमें ODF प्लस पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण
COVID-19 को ध्यान में रखते हुए हाइजीनिक शौचालय उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के निर्माण पर जोर दिया गया, ताकि स्वच्छता के साथ-साथ महामारी के प्रसार पर रोक लगायी जा सके। इस संबंध में पेयजल और स्वच्छता विभाग ने दो अभियान चलाया। 1 नवंबर, 2019 से 30 अप्रैल, 2020 तक स्वच्छ सुंदर सामुदायिक शौचालय अभियान और 15 जून से 15 सितंबर 2020 तक सामुदायिक शौचालय अभियान चलाया गया।
प्रवासियों और अस्थायी आबादी के लिए शौचालय की सुविधा
सीएससी के माध्यम से प्रवासियों और अस्थायी आबादी तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करायी गई। सामुदायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक शौचालयों का निर्माण और रखरखाव सुनिश्चित किया गया। जिलों और ग्राम पंचायतों ने भी नए, सुंदर और रचनात्मक दीवार चित्रों के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता संदेशों को बढ़ावा दिया। ग्रामीण भारत में शौचालय की दीवारों और बोर्डों पर 8.4 लाख से अधिक आईईसी संदेश चित्रित किए गए थे।
4,327 शहरी स्थानीय निकाय ओडीएफ घोषित
स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 अक्टूबर, 2020 तक 4,327 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका था। 66 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6 लाख से अधिक सामुदाय/सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण पूरा किया गया। पिछले 6 सालों में स्वच्छता एवं ठोस कचरा निष्पादन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जो कि इस अभियान के लक्ष्य से कहीं अधिक है।
ओडीएफ + से ओडीएफ ++ की दिशा में बढ़े कदम
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 1,319 शहर ओडीएफ + और 489 शहर ओडीएफ ++ प्रमाणित किए गए हैं। 2900 से अधिक शहरों में 59,900 शौचालयों के बारे में जानकारी गूगल मैप पर उपलब्ध है। एसडब्ल्यूएम के तहत 97 प्रतिशत वार्डों में डोर-टू-डोर कलेक्शन पूरा हो चुका है। 77 प्रतिशत वार्डों में कचरे का स्रोत पृथक्करण किया गया है, जबकि कुल 67 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग की जा रही है। 2014 में कचरे की प्रोसेसिंग का स्तर 18 प्रतिशत था, जो अब इसमे लगभग 4 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है।
खुले में शौच से मुक्त हुआ भारत
2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 11.33 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है।
दूसरे चरण में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
19 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण को 2024-25 तक के लिए मंजूरी दी। इस चरण को 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जाएगा। इसमें खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर सुविधाओं (ओडीएफ प्लस) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) भी शामिल होगा। इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित किया गया है कि एक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।
सीएमएससी के लिए वित्तीय सहायता में बढ़ोतरी
इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा मानदंडों के अनुसार नये पात्र घरों को 12,000 रुपये की राशि प्रदान करने का प्रावधान जारी रहेगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए वित्त पोषण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है और घरों की संख्या को प्रति व्यक्ति आय से बदल दिया गया है। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण (सीएमएससी) के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 2 लाख से 3 लाख रुपये कर दिया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन अकादमी की शुरुआत
केन्द्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 11 अगस्त, 2020 को एसबीएम (जी) के चरण 2 के तहत स्वच्छ भारत मिशन अकादमी को लॉन्च किया। यह अकादमी अपनी मोबाइल आधारित तकनीक के साथ स्वच्छाग्रहियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पीआरआई सदस्यों, समुदाय-आधारित संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, एसएचजी और अन्य लोगों की क्षमता निर्माण के प्रयासों को भी बढ़ावा देगी। अकादमी की फोन-आधारित ऑनलाइन सेवा नि:शुल्क तरीके से मांग के अनुसार कहीं भी और कभी भी उपलब्ध होगी।
स्वास्थ्य सुधार के साथ आर्थिक लाभ
मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। गांवों में न केवल स्वच्छता को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि परिवार को स्वास्थ्य लाभ के रूप में अच्छी-खासी बचत करने में भी योगदान मिल रहा है। इसकी पुष्टि एक अंतरराष्ट्रीय शोध से हुई है। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक भारतीय परिवार को सालाना 53 हजार रुपये तक का फायदा हुआ। इसके चलते डायरिया से बीमार पड़ने की घटनाएं कम हुईं और शौच के लिए घर से बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत हुई।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आर्थिक प्रभाव का पहली बार विश्लेषण अक्टूबर 2020 के साइंस डायरेक्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में पता चला कि दस सालों में घरेलू खर्च पर जो रिटर्न है वह लगात का 1.7 गुना है, जबकि समाज को दस साल में कुल रिटर्न का 4.3 गुना है। इसमें बताया गया है कि योजना से गरीब लोगों को निवेश का 2.6 गुना फायदा हुआ है जबकि समाज को 5.7 गुनी धनराशि का।
इस सर्वे में 12 प्रदेशों के 10,051 ग्रामीण परिवारों को शामिल किया गया। यह सर्वे बीते 20 जुलाई से 11 अगस्त, 2017 के बीच हुआ। जिन राज्यों में यह सर्वे हुआ, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और असम शामिल हैं। खुले में शौच करने वाले लोगों में 90 प्रतिशत इन्हीं राज्यों के रहने वाले थे।
अध्ययन के अनुसार, ‘‘प्रति परिवार वित्तीय प्रतिबद्धता यानि निवेश औसतन 257 डॉलर (करीब 19,000 रुपये) है। जबकि सालाना परिचालन और रखरखाव खर्च 37 डॉलर (करीब 2,700 रुपये) है। वहीं चिकित्सा लागत के संदर्भ में 10 साल के लिए बचत 123 डॉलर सालाना (करीब 9,000 रुपये) है। इस हिसाब से वित्तीय रिटर्न 60 डॉलर (करीब 4,000 रुपये) सालाना बैठता है।
इसमें कहा गया है कि दो तिहाई से अधिक (69.5 प्रतिशत) परिवार को औसतन 183 डॉलर (13,000 रुपये से अधिक) की सब्सिडी मिली। इनमें से 63.8 प्रतिशत परिवारों ने सरकार की सब्सिडी के साथ अपना पैसा भी लगाया जो औसतन 154 डॉलर (11,000 रुपये से अधिक) लगाया। अध्ययन के अनुसार, ‘‘सालाना 727 डॉलर प्रति परिवार लाभ मुख्य रूप से अतिसार के प्रभाव में कमी (55 प्रतिशत) और स्वच्छता को लेकर यानि शौच के लिए बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत (45 प्रतिशत) के संदर्भ में है।”
इसमें यह भी पाया गया कि घरों में स्वच्छता से संपत्ति का मूल्य भी 294 डॉलर (21,000 रुपये से अधिक) बढ़ा। अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्य लाभ का कारण समय से पहले मृत्यु में कमी आने के रूप में है। मूल्य के हिसाब से इसका आकल 249 डॉलर (करीब 18,000 रुपये) आंका गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘वित्तीय और गैर-वित्तीय निवेश प्रति परिवार औसतन 268 डॉलर (19,700 रुपये) जबकि सालाना परिचालन एवं रखरखाव खर्च 131 डॉलर (9,600 रुपये) है। जबकि आर्थिक लाभ 10 साल के लिये सालाना 727 डॉलर है…”
अध्ययन के अनुसार लोगों के घरों से बाहर शौच के लिये जाने में लगने वाला समय उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है। इससे एक परिवार के सभी सदस्यों को समय बचत के कारण मूल्य के संदर्भ में औसतन 325 डॉलर (24,000 रुपये) सालाना का लाभ हुआ है।
महिलाओं के सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान में बढ़ोतरी
मार्च 2020 में यूनिसेफ और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रभाव का एक अध्ययन जारी किया।
- अध्ययन से सामने आया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू शौचालयों के निर्माण से महिलाओं के सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान में बढ़ोतरी हुई है।
- अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष है कि शौच करने के लिए खुले में न जाने से 93 प्रतिशत महिलाएं यौन हमले से सुरक्षित महसूस करती हैं।
- 91 प्रतिशत महिलाएं अपने दिन के एक घंटे तक समय बचाती हैं, जो पहले शौच स्थलों पर जाने में लगाती थीं।
- फरवरी 2020 में 5 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6,993 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया।
- कई दूसरे अध्ययन के मुताबिक महिलाओं से छेड़छाड़, यौन हिंसा और बलात्कार की घटनाओं में कमी आई है।
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय का निर्माण किया गया है।
- स्कूलों में शौचालयों के निर्माण से लड़कियों के ड्रॉप ऑउट में कमी आई है।
पीएम मोदी ने रखी शौचालय की नींव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत दो अक्टूबर, 2014 को की थी। तब उन्होंने अक्टूबर 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त बनाने का वादा किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने उस समय मिसाल पेश की, जब उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर गांव में अपने हाथों से पहली बार शौचालय की नींव रखी। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि मैं जिस गांव में गया, वहां शौचालय में लिखा हुआ था- इज्जत घर। ये हमारी महिलाओं की इज्जत के लिए ही है। जो महिलाओं की इज्जत चाहेगा, वो शौचालय जरूर बनाएगा।
‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।
ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड से PM मोदी सम्मानित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत में पचास करोड़ लोगों को स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार को 130 करोड़ भारतीयों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ये सम्मान उन भारतीयों को समर्पित है जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक जनआंदोलन में बदला।