नई दिल्ली। देश में दिल्ली-NCR में खराब वायु प्रदूषण का शोर हैं, लेकिन रियल में तो भारत के 28 राज्यों ने से 23 राज्यों के 100 से ज्यादा शहर इससे ग्रसित हैं। इसका सीधा नेगेटिव प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य और जिंदगी पर पड़ रहा है। जिस पर राज्य सरकारें ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है।
जिसे देखते हुए प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर एक नई योजना पर काम शुरू किया है। जिसके तहत प्रदूषण के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय और तकनीकी मदद मुहैया कराई जाएगी।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत वर्ष 2024 तक साफ हवा के लिए पीएम 10 और पीएम 2.5 में करीब 30 फीसद तक कमी का लक्ष्य रखा है। जिसके लिए भी इस पूरी मुहिम में राज्यों की भूमिका को बढ़ाया जा रहा है। क्योंकि राज्यों की भागीदारी के बिना ऐसा संभव नहीं है। केंद्र की ओर से राज्यों को वित्तीय मदद में बढ़ोत्तरी का भी भरोसा दिया जाएगा। जो उनकी अतिरिक्त मदद, उनके काम-काज और हवाओं की गुणवत्ता में सालाना दर्ज होने वाले बदलाव के आधार पर दी जाएगी।
पिछले सालों में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र ने राज्यों को पर्याप्त वित्तीय मदद दी थी, लेकिन ज्यादातर राज्यों में कोई काम नहीं हुआ। मंत्रालय के मुताबिक, इस पैसे से राज्यों को अपने यहां हवा की गुणवत्ता को जांचने के लिए जगह-जगह उपकरण लगाने है, ताकि हवा में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने के समय और वजहों की पता चल सके। लेकिन राज्यों को जिस तरह से काम करना था, वह नहीं किया।
राज्यों की इस उदासीनता के चलते प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन गंभीर बनती जा रही है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से हर साल राज्यों को पर्यावरण के संरक्षण के लिए वित्तीय मदद दी जाती है। साथ ही विकास कार्यो से प्रभावित हुए वन क्षेत्र को फिर से विकसित करने के लिए कैंपा फंड से भी मदद दी जाती है। इसके बावजूद राज्य अपना काम नहीं कर पाते हैं।