नई दिल्ली। ग्रीष्म संक्राति के बाद आज जून की पहली ‘पूर्णिमा’ है, वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना महत्व है लेकिन आज की पूर्णिमा काफी खास है क्योंकि इस रात आसमां में चांद सफेद नहीं ‘स्ट्राबेरी’ रंग में नजर आने वाला है, दरअसल इस दिन चांद अपनी कक्षा में पृथ्वी से काफी निकट होगा और इस वजह से उसका आकार काफी बड़ा नजर आएगा। यही नहीं पृथ्वी के काफी क्लोज होने की वजह से इसके रंग में गुलाबी परिवर्तन होगा, जो कि देखने वाले के मन को भी गुलाबी कर जाएगा इसलिए इसे स्ट्रॉबेरी मून(Strawberry Moon) कहा जा रहा है। नासा अपनी वेबसाइट पर इसका लाइव प्रसारण भी करेगा।
दरअसल जून की पूर्णिमा वाले चंद्रमा को ‘स्ट्रॉबेरी मून’ कहते हैं, कहीं-कहीं इसे ‘Hot-Moon’, ‘Honey-Moon’ या Rose-Moon’ भी कहा जाता है। जबकि अमेरिका के किसानों के अनुसार जून में स्ट्रॉबेरी उगाने का सीजन होता है इसी कारण वो ‘पूर्ण चांद’ को ‘स्ट्रॉबेरी मून’ कहते हैं। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि इन किसानों के पास पहले जूलियन या ग्रेगोरियन कैलेंडर नहीं हुआ करता था। इसलिए इन्होंने सीजन के हिसाब से ‘पूर्णचंद्रमा’ के नाम रख दिए। बता दें कि पूर्णिमा के दिन ही चांद पूर्ण आकार में होता है।
दरअसल चांद का नाम सीजन के आधार पर रखा गया है..
- जनवरी के पूर्ण चंद्र को ‘वुल्फ मून’ कहते हैं
- फरवरी के पूर्ण चंद्र को ‘स्नो मून’ कहते हैं
- मार्च के पूर्ण चंद्र को ‘वार्म मून’ कहते हैं
- मई के पूर्ण चंद्र को ‘फ्लावर मून’ कहते हैं
- जून के पूर्ण चंद्र को ‘स्ट्रॉबेरी मून’ कहते हैं
…तब जूलियन या ग्रेगोरियन कैलेंडर नहीं था
- जुलाई के पूर्ण चंद्र को ‘बक मून’ कहते हैं
- अगस्त के पूर्ण चंद्र को ‘स्टर्जजन मून’ कहते हैं
- सितंबर के पूर्ण चंद्र को ‘कॉर्न मून’ कहते हैं
- अक्टूबर के पूर्ण चंद्र को ‘हंटर मून’ कहते हैं
- नवंबर के पूर्ण चंद्र को ‘बीवर मून’ कहते हैं
- दिसंबर के पूर्ण चंद्र को ‘कोल्ड मून’ कहते हैं
धार्मिक महत्व
जबकि हिंदू पंचाग के मुताबिक ये पूर्णिमा बेहद पावन है और इस दिन चांद की पूजा और दीदार करने से इंसान के जीवन में सुख-शांति का वास होता है। पूर्णिमा के योग में कुछ उपाय करने से कुंडली के दोष और धन संबंधी कामों में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं।