सुप्रीम कोर्ट पटाखों पर रोक लगाने के पक्ष में, जीवन का संरक्षण ज्यादा महत्वपूर्ण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में दिवाली, काली पूजा और अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने त्योहारी सीजन के दौरान पश्चिम बंगाल में पटाखों पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि महामारी के बीच जीवन के संरक्षण से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि हम त्योहारों के महत्व के बारे में बहुत चिंतित हैं, लेकिन हम कोरोना महामारी के बीच जी रहे हैं और हर किसी को निर्णय का समर्थन करना चाहिए, जो स्थिति में सुधार करता है। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट स्थानीय स्थिति के बारे में बहुत जागरूक है और उसे वह करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो आवश्यक हो।

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ गौतम रॉय और बुरार्बाजार फायरवर्क्‍स डीलर्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां की। हाईकोर्ट ने काली पूजा, दिवाली और छठ पूजा सहित आगामी त्योहारों में पटाखों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाईकोर्ट ने वायु प्रदूषण को दूर करने के उपायों के तहत यह निर्देश दिए थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि अब जीवन खतरे में है और लोगों को समस्या से निपटने के लिए खुद ही एकजुट होना चाहिए।

अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि कोविड-19 ने अस्पतालों में लोगों और बुजुर्गों आदि को काफी प्रभावित किया है। अदालत ने कोरोना के कारण बिगड़े हालातों का हवाला दिया और सवाल दागते हुए कहा, “क्या कोई कोलकाता, दिल्ली या शहर के किसी अन्य हिस्से में घर से बाहर कदम रख सकता है?”

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ भटनागर ने कहा कि हाईकोर्ट के पास पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई प्रयोगसिद्ध डेटा नहीं है। हालांकि पीठ ने जीवन को प्राथमिकता देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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