Sawan 2024: सावन में साग-दही खाना आखिर क्यों है मना? जानें इसके पीछे का कारण

धर्म डेस्क(Bns)। सावन का महीना पूर्णतया भगवान शिव को समर्पित होता है। विष्णु पुराण में वर्णित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं।

हिंदू धर्म में सावन का महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है इसलिए यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इस महीने पूजा पाठ से जुड़े नियमों का पालन करने के अलावा खाने-पीने में भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सावन में साग खाना अशुभ होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव सावन के महीने में अपने ससुराल गए थे, जहां उनका बड़ी ही धूमधाम से स्वागत कर अभिषेक किया गया था। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर निवास करते हैं इसलिए यदि इस दौरान विधि-विधान से उनका पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सावन में भूलकर भी न खाएं ये चीजें
सावन के महीने साग के अलावा और भी बहुत सी चीजों को खाने की मनाही की गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में भगवान शिव को कच्चा दूध और दही अर्पित किया जाता है इसलिए इस माह में कच्चा दूध व उससे बनी चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है। वहीं, कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल होता है, इसलिए सावन मास में कढ़ी या दूध, दही से संबंधित चीजों का सेवन करने की मनाही है। हिंदू धर्म के पूजा पाठ के नियमों के अनुसार तामसिक भोजन लहसुन और प्याज भी खाने की मनाही है।

क्यों नहीं खाना चाहिए साग?
शास्त्रों के नियमानुसार, सावन में साग नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रकृति से बेहद प्रेम है। ऐसे में साग-पात को तोड़कर खाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा करने से शिवजी अप्रसन्न होते हैं। सावन में साग न खाने को लेकर धार्मिक के साथ कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं जैसे सावन के महीने में साग में पित्त बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि पाचन में समस्या पैदा करते हैं. दूसरी तरफ सावन में बारिश अधिक होती है और अधिक बारिश होने पर हरे साग में कीट पतंगों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें खाना अच्छा नहीं माना जाता है और सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

धार्मिक महत्व
भगवान शिव को पूजा के समय बेलपत्र, भांग के पत्ते, पान के पत्ते समेत कई प्रकार के पत्ते अर्पित किए जाते हैं। वहीं, दूध और दही से अभिषेक किया जाता है। इन चीजों के अर्पण से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। धर्म पंडितों का कहना है कि भगवान शिव को प्रकृति से बेहद प्यार है। अतः सावन में साग और दही का सेवन नहीं करना चाहिए।

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