नई दिल्ली। सिंध के गोलेरची में जून में एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया था और 100 से अधिक हिंदुओं का धर्मातरण कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया था। करीब एक महीने पहले ही बहावलपुर में फिर से ऐसे ही दृश्य देखे गए। जुलाई में इस्लामाबाद में निमार्णाधीन श्री कृष्ण मंदिर को तोड़ दिया गया, इसे पाकिस्तानी राजधानी में हिंदुओं का पहला मंदिर कहा जा रहा था। फिर अगस्त में विभाजन के पहले के एक हनुमान मंदिर को कट्टरपंथियों द्वारा मलबे में बदल दिया गया। इस इलाके में दो दर्जन से ज्यादा हिंदुओं के घर थे। अब सिंध के बाडिन में राम पीर में तोड़फोड़ की गई है। कुल मिलाकर पाकिस्तान में ज्यादातर मंदिर तो नष्ट कर दिए गए हैं और जो सौभाग्य से जीवित बचे हैं, वे कब तक बचे रहेंगे, कोई नहीं जानता।
मानवाधिकारों के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता पाकिस्तान में जिस तरह से हिंदू, ईसाई, सिख, शिया, अहमदी का सामूहिक धर्मातरण हो रहा है, दुष्कर्म और जबरन विवाह हो रहे हैं, उसे देखकर लगता नहीं कि इस देश में लंबे समय तक कोई धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित रह पाएंगे। पिछले कुछ सालों में यहां असहिष्णुता और दुर्व्यवहार खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।
आज मुसलमानों ने पाकिस्तान के एक हिंदू मंदिर में जमकर तोड़फोड़ की और सारी मूर्तियों को नष्ट कर दिया…!!!🤔
और यहां लोग गंगा जमुनी तहजीब समझा रहे हैं ..!!🙄#कटोरा_खान_पाकिस्तान pic.twitter.com/RniTOK8WXO— यजवेन्द्र सिंह ( Y. Singh) (@yazavendra_dr) October 13, 2020
पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता अनिला गुलजार कहती हैं, “सिंध में 428 में से केवल 20 मंदिर बचे हैं।” इन हिंदू मंदिर का विध्वंस करने के बाद इस्लामवादी लोग या तो मस्जिदों में बदल देते हैं या पार्किं ग स्थल या किसी अन्य चीज में। जबकि सिंध में कभी हिंदुओं की बड़ी आबादी हुआ करती थी। 1998 की जनगणना में सिंध की आबादी में लगभग 6.5 प्रतिशत हिंदू थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां बड़े पैमाने पर धर्मातरण हुआ। इमरान सरकार ने तो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय इन पर हमले तेज कर दिए हैं। सितंबर में एक सीनेट समिति ने यह कहकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के एक बिल को खारिज कर दिया कि इसकी बजाय मुसलमानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बिल पेश किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़. पाकिस्तान में हिंदू 23%थे जो अब 1.5%रह गए हैं,
पाकिस्तान उनका भी जबरन धर्मांतरण कर रहा है?
उनकी बेटियां तक सुरक्षित नहीं। pic.twitter.com/VxOGvJjXD6— Subash Chander (@Subash_India_JK) October 11, 2020
धार्मिक मामलों की स्थायी समिति और सीनेटर हाफिज अब्दुल करीम ने कहा, “पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पहले ही कई अधिकार दिए जा चुके हैं। उपद्रव तब होते हैं, जब कुछ हिंदू लड़कियां इस्लाम अपनाकर मुस्लिम लड़कों से शादी करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है।”
US कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, “पाकिस्तान भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति नकारात्मक है। यहां जबरन धर्म परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे मामलों के हाई-प्रोफाइल आरोपी बरी हुए हैं। यूएससीआईआरएफ को लगभग 80 व्यक्तियों के बारे में पता है, जिनमें से आधे लोगों को ईश निंदा के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा हुई है।”
लेकिन, क्या वाकई इससे कोई फर्क पड़ा है? नहीं। पाकिस्तानी सरकार को अब देश की छवि को वैश्विक स्तर पर खराब होते देखने की आदत हो गई है। जाहिर है, ऐसी स्थिति सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी आबादी के लिए एक आपदा की तरह है।