नई दिल्ली। नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) को संसद की मंजूरी मिल गई है। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 वोट और विरोध में 105 वोट पड़े। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पास हो चुका है। राज्यसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के माकपा सदस्य के के रागेश के प्रस्ताव को मतविभाजन के बाद 99 के मुकाबले 124 मतों से खारिज किया। सभी राज्यों में यह बिल लागू होगा।
A landmark day for India and our nation’s ethos of compassion and brotherhood!
Glad that the #CAB2019 has been passed in the #RajyaSabha. Gratitude to all the MPs who voted in favour of the Bill.
This Bill will alleviate the suffering of many who faced persecution for years.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2019
राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) को ‘‘समानता के अधिकार’’ सहित संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार बताते हुए इस बारे में सरकार को ‘‘राजहठ’’ त्यागने की सलाह दी। सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यदि देश का विभाजन नहीं हुआ होता, तो आज नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लाने की आवश्यकता नहीं होती। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता। नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया। किन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही। और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ।
As the Citizenship Amendment Bill 2019 passes in the Parliament, the dreams of crores of deprived & victimised people has come true today.
Grateful to PM @narendramodi ji for his resolve to ensure dignity and safety for these affected people.
I thank everyone for their support.
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) December 11, 2019
अमित शाह ने कहा कि मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, कई बार हुआ है। जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी तो उस समय बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांड़ा से लोगों को नागरिकता दी तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी? आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हाँ हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वो ही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे। जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा। समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है। इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।
Congratulations to Home Minister @amitshah Ji on the historic occasion of passing of Citizenship Amendment Bill by the Parliament. This visionary step by the Govt of PM @narendramodi will offer dignified life to religiously persecuted minorities from India’s neighborhood.
— Ravi Shankar Prasad (Modi ka Parivar) (@rsprasad) December 11, 2019
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 14 में जो समानता का अधिकार है वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो reasonable classification के आधार पर है। यहां reasonable classification आज है। हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित है। दो साथी संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी। कोर्ट ओपन है। कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है। हमें इससे डरना नहीं चाहिए। हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा।
Congratulations to the entire nation on the passage of the Citizenship (Amendment) Bill 2019 in the Parliament.
Under the able leadership of PM @NarendraModi ji & HM @AmitShah ji India has upheld humanitarian values and its historical ethos of giving refuge to the persecuted.
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) December 11, 2019
श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है। सत्ता में होती है तो अलग-अलग भूमिका में अलग-अलग सिद्धांत होते हैं। हम तो 1950 से कहते हैं कि आर्टिकल 370 नहीं होना चाहिए। कपिल सिब्बल साहब कह रहे थे कि मुसलमान हमसे डरते हैं, हम तो नहीं कहते कि डरना चाहिए। डर होना ही नहीं चाहिए। देश के गृह मंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए। ये बिल भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान भाई-बहनों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है। डॉ मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए।
ऐतिहासिक नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 को मिली संसद की मंजूरी, लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी विधेयक पास#CitizenshipAmmendmentBill2019 pic.twitter.com/JI8coen6dg
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) December 11, 2019
पहले भी निश्चित समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने नागरिकता के मामले पर निर्णय लिया है। इस बार भी तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों के लिए ही तीन देशों को शामिल किया गया है। इसमें किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया गया है। शिवसेना पर वार करते हुए शाह ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया? इतिहास तय करेगा कि 70 साल से लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था। इसको न्याय नरेन्द्र मोदी जी ने दिया, इतिहास इसको स्वर्ण अक्षरों से लिखेगा।
Home Minister @AmitShah's Reply | The Citizenship (Amendment) Bill, 2019 @PIBHomeAffairs #CitizenshipAmendmentBill #CAB201https://t.co/xgvPP2NgwM
— Rajya Sabha TV (@rajyasabhatv) December 11, 2019
हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए सत्ता पक्ष ने इस विधेयक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर लाया गया एक कदम बताया और दावा किया कि इससे पूर्वोत्तर की ‘‘सांस्कृतिक पहचान’’ को कोई खतरा नहीं पहुंचेगा। उच्च सदन में बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि इससे पहले पड़ोसी देशों से ही नहीं बल्कि श्रीलंका, केन्या और युगांडा सहित अन्य देशों से भी भारत आने वाले शरणार्थियों को शरण दी गयी। इसके लिये नागरिकता कानून में नौ बार संशोधन किया गया लेकिन एक बार भी धार्मिक आधार पर नागरिकता नहीं दी गयी। कांग्रेस के पी चिदंबरम ने कहा कि यह सरकार अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस विधेयक ला रही है। यह एक दुखद दिन है। मैं पूरी तरह से स्पष्ट हूं कि इस कानून को खत्म किया जाएगा।
ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध समेत विधेयक में उल्लेखित सभी 6 धर्मों से जुड़े लोग इन तीनों देशों में अल्पसंख्यक हैं जो वहां प्रताड़ित हैं इसलिए उन्हे इसमें शामिल किया गया है: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह#CitizenshipAmmendmentBill2019
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) December 11, 2019
आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘भारतीय संविधान धार्मिक आधार पर भेदभाव का स्पष्ट निषेध करता है। संविधान की इस मूल भावना का पालन करते हुये मानवीय आधार पर नागरिकता दी गयी। इसलिये हम धार्मिक आधार पर नागरिकता देने को संविधान के विरूद्ध मानते हुये इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार की यह दलील तर्कसंगत नहीं है कि पिछले 70 सालों में अन्य देशों से भारत आने वाले प्रताड़ित लोगों को नागरिकता नहीं दी गयी। शर्मा ने धार्मिक आधार पर देश के विभाजन के लिये कांग्रेस के नेताओं को जिम्मेदार ठहराए जाने को गलत बताते हुये कहा, ‘‘1943 में सावरकर जी ने औपचारिक रूप से घोषणा कर दी थी कि मुझे जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत के प्रस्ताव से कोई आपत्ति नहीं है।’’ शर्मा ने भाजपा की मंशा पर सवाल उठाते हुये पूछा कि आखिर देश के विभाजन में अंग्रेजों की भूमिका का जिक्र क्यों नहीं किया जाता है।
राज्य सभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 के पारित होने पर सभी को बधाई। पीएम श्री @narendramodi जी और HM श्री @amitshah जी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक कदम लिया गया। भारत के पड़ोस से धार्मिक रूप से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करेगा।#CAB2019
— Prakash Javadekar (Modi Ka Parivar) (@PrakashJavdekar) December 11, 2019
कांग्रेस नेता ने विधेयक को भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा होने के कारण इसे लागू करने की प्रतिबद्धता को ‘राजहठ’ करार देते हुये कहा, ‘‘किसी दल का घोषणापत्र संविधान से नहीं टकरा सकता है, ना उसके ऊपर जा सकता है। लेकिन हम सभी ने संविधान की शपथ ली है इसलिये हमारे लिये पार्टी का घोषणापत्र नहीं संविधान सर्वोपरि है।’’ शर्मा ने एनआरसी को पूरे देश में लागू करने के सरकार के फैसले का जिक्र करते हुये कहा कि पूरे देश में हिरासत शिविर बनाने के लिये जगह ले ली गयी है। चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह भारत और बंगाल विरोधी है। उन्होंने कहा कि बंगालियों को राष्ट्रभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं है और अंडमान के जेलों में बंद कैदियों में 70 प्रतिशत बंगाली थे। उन्होंने बंगाल के कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेज भी भारतीय लोगों की मनोस्थिति को नहीं तोड़ पाए। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग बंगाल के हितैषी बन रहे हैं। उन्होंने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी जाएगा। ब्रायन ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘‘‘नाजियों’’ की तरह कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार देश के नागरिकों को आश्वासन देने के लिहाज से काफी अच्छी है लेकिन अपने वादों को तोडने के लिहाज से और भी अच्छी है।चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि विपक्ष को राजनीतिक हितों के बजाय राष्ट्र के हित साधने की नसीहत दी। नड्डा ने कहा कि यह विधेयक बेहद परेशानियों में जीवन जी रहे लाखों लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने का अधिकार प्रदान करेगा।
शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था। महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया?: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/1ABPIHh9lO
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
श्री नड्डा ने राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 18 दिसंबर 2003 में दिये गये एक बयान का हवाला दिया। उस समय सिंह ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को सलाह देते हुए कहा था कि ऐसे प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के मामले में सरकार को अपने ‘‘रवैये को उदार बनाना चाहिए और नागरिकता कानून में बदलाव करने चाहिए। नड्डा ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की बात को पूरा करते हुए हमारी सरकार इस विधेयक का लेकर आयी है। भाजपा नेता ने कहा कि पूर्वोत्तर में यह भ्रम फैलाया गया है कि इस क्षेत्र की सांस्कृति पहचान खत्म हो जाएगी। वहां लोगों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस बात का पहले ही स्पष्ट आश्वासन दे चुके हैं कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद भी ‘इनर परमिट’ व्यवस्था जारी रहेगी। पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक पहचान बरकार रहेगी। उनके अस्तित्व को कोई खतरा नहीं हुआ है।नड्डा ने कहा कि यह सच्चाई भले ही जितनी कड़वी हो पर सच यही है कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है। विभाजन के समय जितना नरसंहार हुआ और जितनी बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर एक तरफ से दूसरी तरफ गये, इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।
मुझे आश्चर्य होता है कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं।
शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था।
महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/uJSJpM3omF
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उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह स्थिति को समझना नही चाहती है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को किसी भी तरह प्रभावित नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को इंदौर, कच्छ या पश्चिम बंगाल में ऐसे शरणार्थियों के हालात जाकर देखना चाहिए। यदि ऐसे लोगों के हालात देख लिये जाए तो व्यक्ति तुरंत इस विधेयक पर मुहर लगा देगा।इससे पूर्व गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं।उन्होंने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह उनका सफाया, भारत प्रवास तथा अन्य हैं। शाह ने कहा कि इन प्रवासियों के पास रोजगार और शिक्षा के अधिकार नहीं थे।शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।इससे पहले कई विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव पेश किया।
नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी।
भारत ने अपना वादा निभाया और अल्पसंख्यकों को संरक्षित और संवर्धित किया गया।
मगर हमारे 3 पड़ोसी देशों ने वादे को नहीं निभाया: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/xmrB9c5Vu6
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
सपा के जावेद अली ने इस विधेयक में 31 दिसंबर 2014 की तय समयावधि को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि 31 दिसंबर 2014 के बाद ऐसा क्या हो गया कि इन तीनों पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक प्रताड़ना बंद हो गयी। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि इस समय सीमा के लिए उसे ऐसा क्या ‘‘इलहाम’’ हुआ है? उन्होंने सुझाव दिया कि इस विधेयक में तीन देशों के बजाय पड़ोसी देश और धार्मिक अल्पसंख्यक लिखना चाहिए, इससे सारा विवाद खत्म हो जाएगा। उन्होंने आरएसएस के दूसरे प्रमुख एम एस गोलवलकर के एक आलेख का हवाला देते हुए कहा कि यह सरकार अल्पसंख्यकों के विरूद्ध एक खास विचारधारा पर चल रही है। जावेद अली ने कहा कि 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ख्वाब देखा था कि पाकिस्तान को हिन्दू मुक्त और भारत को मुस्लिम मुक्त किया जाए। सपा सदस्य ने दावा किया मौजूदा सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक और नागरिकता रजिस्टर पंजी लाकर जिन्ना के उस ख्वाब को पूरा कर रही है।
हंसना बहुत सरल है, लेकिन इतना याद रखिएगा कि जब आप हंसते हैं तो करोड़ों पीड़ित लोग भी आपको देखते हैं कि हमारी पीड़ा पर हंस रहे हैं: गृह मंत्री श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/aOWKyRKXEc
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
अन्नाद्रमुक के R.L. बालासुब्रमण्यम ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि तमिलनाडु में श्रीलंका से कई हिन्दू, बौद्ध, ईसाई एवं शरणार्थी आये हैं। वे वर्षों से नागरिकता पाने की उम्मीद लगाये हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए। अन्नाद्रमुक सदस्य ने कहा कि बांग्लादेश की स्थापना से पहले पूर्वी पाकिस्तान से एक करोड़ शरणार्थी भारत आए थे। इनमें हिन्दू, मुस्लिम सभी थे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की स्थापना के बाद बहुत सारे शरणार्थी वापस चले गये। उन्होंने अधिकारियों से जानना चाहा कि ऐसे जो लोग देश में अभी तक रह रहे हैं, उनका भविष्य क्या होगा?
शायद कोई सरकार पहले इसका समाधान निकाल लेतीं तो भी मुझे आज ये बिल न लाना पड़ता।
मैं स्पष्ट करता हूं कि मोदी सरकार सिर्फ सरकार चलाने के लिए नहीं बल्कि देश को सुधारने और समस्याओं का समाधान करने के लिए आई है: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/dluDfbM6vA
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
जद (U) के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह सीधा विधेयक है लेकिन बात कुछ और ही हो रही है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेदों की बात हो रही है लेकिन वह भारतीय नागरिकों के लिए है। लेकिन यहां तो बात लोगों को नागरिकता देने की ही हो रही है। सिंह ने कहा कि इस विधेयक के बहाने लोगों के मन में भय पैदा किया जा रहा है। उन्होंने अपने संबोधन में तृणमूल नेता ब्रायन पर तीखा हमला बोला और कहा कि विगत में जब हाजीपुर में रेलवे जोन बन रहा था, उस समय तृणमूल कांग्रेस नेता ने उसका भारी विरोध किया था।
2013-14 में कांग्रेस सरकार के अंतिम बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 3,500 करोड़ रुपये थे। नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में 2019-20 में 4,700 करोड़ रुपये दिए गए।
हमारे देश का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पदों पर अल्पसंख्यक आसीन हो सकता है: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
श्री सिंह ने बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार द्वारा विभिन्न समुदायों के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों को डराने का प्रयास बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह खुद धर्म के नाम पर अन्याय नहीं होने देंगे।
एयर स्ट्राइक के लिए जो पाकिस्तान ने बयान दिए वो और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक के समय जो बयान पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने दिए वो एक समान हैं: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/hWT8iKMxQJ
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए उच्च सदन में गृह मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह उनका सफाया, भारत प्रवास तथा अन्य हैं। शाह ने कहा कि इन प्रवासियों के पास रोजगार और शिक्षा के अधिकार नहीं थे। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
कपिल सिब्बल साहब कह रहे थे कि मुसलमान हमसे डरते हैं, हम तो नहीं कहते कि डरना चाहिए। डर होना ही नहीं चाहिए।
देश के गृह मंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए। ये बिल भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान भाई-बहनों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/ALd1TxLWzk
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान से आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा ने पारित किया।
कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं।
कल ही पाकिस्तान के पीएम ने जो बयान दिया और
आज जो इस सदन में बयान दिए गए हैं, वो एक समान हैं: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/GIFMkDXpUy
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने नागरिकता संशोधन विधेयक का भारी विरोध करते हुए कहा कि यह भारत और बंगाल विरोधी है। उन्होंने कहा कि बंगालियों को राष्ट्रभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं है और अंडमान की जेलों में बंद कैदियों में 70 प्रतिशत बंगाली थे। डेरेक ने बंगाल के कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेज भी भारतीय लोगों की मनोस्थिति को नहीं तोड़ पाए। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग बंगाल के हितैषी बन रहे हैं। उन्होंने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी जाएगा।तृणमूल सदस्य ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘‘‘नाजियों’’ की तरह कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार देश के नागरिकों को आश्वासन देने के लिहाज से काफी अच्छी है लेकिन अपने वादों को तोड़ने के लिहाज से ‘‘और भी ज्यादा अच्छी है। ’’उन्होंने जर्मनी के यातना केंद्रों की तुलना हिरासत शिविरों से की और एनआरसी का संदर्भ देते हुए कहा कि शिविरों में बंद 60 प्रतिशत लोग बांग्लाभाषी हिन्दू हैं। डेरेक ने दावा किया कि पूर्वी पाकिस्तान में 1970 के दशक में धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि भाषा के आधार पर उत्पीड़न किया गया था। उन्होंने कहा कि वहां से आए कई लोगों के दस्तावेज अब नहीं हैं, ऐसे में वे कैसे अपने दस्तावेज दिखा सकते हैं।
मुझे idea of India समझाने का प्रयास करते हैं।
मेरी तो सात पुश्ते यहां जन्मी हैं, मैं विदेश से नहीं आया हूं।
हम तो इसी देश में जन्में हैं, यहीं मरेंगे: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/tdLZpSIxz4
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले रहे TRS सदस्य के केशव राव ने कहा ‘‘गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें शासन के लिए चुना गया है और दोबारा जनादेश मिला है। यह ठीक है। लेकिन वह संविधान को तोड़ नहीं सकते। ’’उन्होंने कहा ‘‘आप 40 फीसदी की बात करते हैं लेकिन बात तो 100 फीसदी की होनी चाहिए। हमारे यहां वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा रही है, यह हमें नहीं भूलना चाहिए।’’विधेयक को न्याय से परे बताते हुए केशव राव ने कहा ‘‘गृह मंत्री ने धर्म के आधार पर देश के विभाजन की बात कही है। मैं ऐसा नहीं मानता। हम धर्म की बात क्यों करते हैं? धर्म निरपेक्षता हमारे देश की मूल धारणा रही है।’’उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है जिसकी वजह से वह इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा ‘‘इसे NRC से अलग नहीं किया जा सकता, यह NRC की छाया है। विधेयक के कानून बनने के बाद किसी को नागरिकता मिलेगी, किसी को नहीं। नागरिकता के लिए अलग अलग आधार बनाए जा रहे हैं जो नहीं होना चाहिए।’’ केशव राव ने कहा ‘‘मैं धार्मिक आधार पर उत्पीड़न से सहमत हूं और ऐसे लोगों को राहत दिए जाने की बात से भी इत्तेफाक रखता हूं। लेकिन इसकी आड़ में विभाजन नहीं होना चाहिए। मैं अपील करता हूं कि देश को धार्मिक आधार पर न बांटा जाए।’’
इस बिल में मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता। ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है।
मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/bkqcIIgbRi
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माकपा सदस्य T.K. रंगराजन ने विधेयक को संविधान विरोधी बताते हुए कहा ‘‘यह विधेयक भारत के बहुलतावाद पर चोट करता है। इसके जरिये मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है। इसके लिए जो औचित्य दिया जा रहा है वह सही नहीं है।’’उन्होंने सवाल किया ‘‘क्या मुस्लिम धार्मिक आधार पर प्रताड़ित नहीं हो सकते?पाकिस्तान में अहमदिया, म्यामां में रोहिंग्या और श्रीलंका में तमिल लोग धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं।’’रंगराजन ने हर किसी के लिए नागरिकता की मांग करते हुए कहा ‘‘धर्म कभी भी, किसी भी राष्ट्र का आधार नहीं हो सकता।’’उन्होंने कहा ‘‘क्या सरकार ने इस बात पर विचार किया है कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
लाखों-करोड़ों लोग नर्क की यातना में जी रहे थे। क्योंकि वोट बैंक के लालच के अंदर आंखे अंधी हुई थी, कान बहरे हुए थे, उनकी चीखें नहीं सुनाई पड़ती थी।
नरेन्द्र मोदी जी ने केवल और केवल पीड़ितों को न्याय करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा ‘‘बहुलतावाद और लोकतांत्रिक भारत में विश्वास करने वालों के लिए धर्म कभी कोई बाधा नहीं रहा। मुझे पूरा विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय की कसौटी पर यह विधेयक खरा नहीं उतरेगा।’’शिवा ने कहा ‘‘नागरिकता के लिए केवल तीन देशों को ही क्यों चुना गया ? अफगानिस्तान अविभाजित भारत का हिस्सा नहीं था। अगर अफगानिस्तान को चुना गया तो भूटान, म्यामां और श्रीलंका को क्यों छोड़ दिया गया ? भूटान में ईसाई आज भी अपने घर पर ही प्रार्थना करते हैं। वह जब चर्च जाना चाहते हैं तो भारत आते हैं। ’’सरकार पर ध्रुवीकरण और धर्म निरपेक्षता पर चोट करने का आरोप लगाते हुए शिवा ने कहा ‘‘यह पहलू क्यों नजरअंदाज किया गया कि भाषा, संस्कृति और अलग अलग आधार पर भी अत्याचार हो रहे हैं।’’कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मोदी सरकार का ‘‘हिन्दुत्व का एजेंडा आगे बढ़ाने’’ वाला करार कदम देते हुए इस बात पर भरोसा जताया कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय के कानूनी परीक्षण में नहीं टिक पाएगा। चिदंबरम ने विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिये संसद से एक ‘‘असंवैधानिक काम’’ पर समर्थन लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि संसद में निर्वाचित होकर आये सदस्यों का यह प्राथमिक दायित्व है कि वे कानून बनाते समय यह देखें कि यह संविधान के अनुरूप है कि नहीं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के मामले में लोकसभा के बाद यदि राज्यसभा इसे पारित कर देती है तो वह अपने दायित्व को संविधान के तीन अन्य अंगों में से एक (न्यायालय) के लिए ‘‘त्याग’’ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आप इस मुद्दे को न्यायाधीशों की गोद (विचारार्थ) में डाल रहे हैं।’’ पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि यह मामला यही नहीं रूकेगा और यह न्यायाधीशों के पास जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्वाचित नहीं होने वाले न्यायाधीश और निर्वाचित नहीं होने वाले वकील अंतत: इसके बारे में निर्धारण करेंगे। ‘‘अत: यह संसद का अपमान होगा।’’ मनोनीत सदस्य स्वप्न दास गुप्ता ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि शरणार्थियों और प्रवासियों की श्रेणियां पूरी तरह अलग अलग और स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं।उन्होंने कहा कि पूर्वी बंगाल से आए बंगालियों को विलुप्त किया जा रहा है और उनकी पहचान को स्वीकार करना चाहिए।
इतिहास तय करेगा कि 70 साल से लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था। इसको न्याय नरेन्द्र मोदी जी ने दिया, इतिहास इसको स्वर्ण अक्षरों से लिखेगा: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/yDgmeX3jG3
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विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कहा कि वीर सावरकर और जिन्ना, दोनों द्विराष्ट्र सिद्धान्त में विश्वास करते थे जबकि कांग्रेस एक राष्ट्र में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि इसलिए गृह मंत्री अमित शाह को लोकसभा में दिया गया उनका यह बयान वापस लेना चाहिए कि देश का विभाजन धार्मिक आधार पर कांग्रेस ने करवाया था इसलिए उनकी सरकार को अब यह विधेयक लाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने यह सही कहा है कि यह एक ऐतिहासिक विधेयक है क्योंकि ‘‘आप संविधान की बुनियाद को बदलने जा रहे हैं, इसलिए यह ऐतिहासिक विधेयक है। आप हमारे इतिहास को बदलने जा रहे हैं।’’ सिब्बल ने कहा कि यह विधेयक द्विराष्ट्र सिद्धान्त को कानूनी रंग दे रहा है। बसपा के सतीश मिश्रा ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे संविधान की भावना के विपरीत बताया। उन्होंने जानना चाहा कि नागरिकता के लिए 31 दिसंबर 2014 की ‘कट-आफ’ तिथि किस आधार पर तय की गयी है, सरकार को स्पष्ट करना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये संविधान की आत्मा ‘धर्म-निरपेक्षता’ को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने इस संदर्भ में सरकार से पुनर्विचार करने और विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
पहले भी निश्चित समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने नागरिकता के मामले पर निर्णय लिया है। इस बार भी तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों के लिए ही तीन देशों को शामिल किया गया है।
इसमें किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया गया है: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB pic.twitter.com/D4smTLpvHe
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राजद (RJD) के मनोज कुमार झा ने कहा कि गृहमंत्री इस विधेयक के जरिये एक भारी भूल करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में नास्तिकों के बारे में ध्यान नहीं दिया गया है। यह संविधान के नैतिक मानदंड के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि नागरिकता के संबंध में मामले की पुष्टि करने पर होने वाले भारी भरकम व्यय को सरकार शिक्षा जैसे किसी आवश्यक क्षेत्र पर खर्च कर उसे बेहतर कर सकती है।राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर भारत और देश के अन्य स्थानों पर विरोध हो रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार को इस पर गौर करना चाहिये और विधेयक को प्रवर समिति में भेजना चाहिये। उन्होंने कहा कि विधेयक में कई खामियां हैं जिन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है। आईयूएमएल के अब्दुल बहाव ने इसे दमनकारी कानून बताते हुए इसे वापस लिये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसमें श्रीलंकाई हिन्दुओं और तमिल मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पीडीएफ के मुहम्मद फैज ने कहा कि जब से सरकार सत्ता में आई है तब से तीन तलाक, धारा 370, नागरिकता विधेयक जैसे कदमों के जरिये मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में उन मुस्लिमों को दरकिनार किया जा रहा है जिन्होंने मुल्क के बंटवारे के वक्त स्वेच्छा से धर्मनिरपेक्ष देश भारत में रहने का फैसला किया था।
डॉ मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए: श्री @AmitShah #IndiaSupportsCAB
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शिरोमणि अकाली दल के बलविन्दर सिंह भुंडर ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक को बहुत पहले लाने की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे मुल्कों में अन्याय होने की वजह से यहां आए लोगों को राहत मिलेगी।भाजपा की सरोज पांडे ने कहा कि गृहमंत्री ने विधेयक के जरिये पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने की पहल की है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मानवता के आधार पर लाया गया है। चर्चा में एसडीएफ के हिषे लाचुंगपा ने हिस्सा लेते हुए कहा कि विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए।
कांग्रेस के एक संकल्प को मैं पढ़ता हूं-
"कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है जो उनकी उनके जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए सीमा के उस पार से भारत आए हैं, या आने वाले हैं।"
आज आप अपने ही संकल्प को नहीं मान रहे हैं: श्री @AmitShah pic.twitter.com/9gnp5TdFRM
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