न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी को करीब से देखा और महसूस किया है। इसलिए वे गरीबों की जरूरतों और उनकी परेशानियों से पूरी तरह से परिचित है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने गरीबों पर महंगी दवाइयों का बोझ कम करने और समुचित इलाज के लिए 1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की शुरुआत की। आज कोरोना काल में यह परियोजना गरीबों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। इस परियोजना से ना सिर्फ गरीब बल्कि मध्यमवर्ग के परिवारों के लोगों को भी काफी मदद मिल रही है। इस परियोजना के तहत देशभर में अबतक 7,950 जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों पर 1,451 दवाइयां और 204 सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं। ग्राहकों को 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती और गुणवत्ता युक्त जेनेरिक दवाइयां मिल रही हैं। इससे दवाइयों पर होने वाले खर्च में काफी कमी आई है। दवाओं पर खर्च को कम कर उपचार लागत को भी कम किया गया है।
मोदी सरकार का उद्देश्य आम आदमी तक सस्ती दवाएं पहुंचाने के साथ ही उन्हें अपना बिजनेस शुरू करने का मौका देना भी है। इसलिए मोदी सरकार ने मार्च 2024 तक जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2020-21 में पीएमबीजेपी ने 593.84 करोड़ रुपये की बिक्री की। इससे लोगों को लगभग 3600 करोड़ रुपये की बचत हुई। जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दवा दुकानों में कृत्रिम अभाव की स्थिति उत्पन्न कर दवाओं को दोगुने-तीगुने दामों पर बेचा जा रहा था। उस समय पीएम जन औषधि केंद्र लोगों के लिए वरदान साबित हुआ। जन औषधि केंद्रों ने सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार किया। आज पीएमबीजेपी देश के कोने-कोने में लोगों तक सस्ती दवा की आसान पहुंच सुनिश्चित कर रही है।
जन औषधि केंद्रों और दवाइयों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि
वर्ष | केंद्रों की संख्या | दवाइयों की संख्या |
2016-17 | 1080 | 488 |
30 जुलाई,2021 तक | 7,950 | 1451 |
जन औषधि केंद्र से लोगों को बड़ी राहत
दवाइयों की बिक्री और बचत में दोगुनी वृद्धि | ||
वर्ष | केंद्रों पर बिक्री | लोगों की बचत |
2019-20 | 303 करोड़ रुपये | 1800 करोड़ रुपये |
2020-21 | 593.84 करोड़ रुपये | 3600 करोड़ रुपये |