न्यूज़ डेस्क। केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया गाइडलाइन फॉलो नहीं करने और अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देने पर ट्विटर को कड़ी फटकार लगाई है। सरकार से साफ कहा है कि इधर-उधर की बातें छोड़कर ट्विटर कानून का पालन करे। सरकार ने यह भी कहा है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है न कि ट्विटर जैसी किसी निजी लाभकारी, विदेशी संस्था की।
सरकार ने गुरुवार, 27 मई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि वह ट्विटर के दावों का कड़ा विरोध करती है। भारत में स्वतंत्र भाषण और लोकतांत्रिक प्रथाओं की सदियों पुरानी परंपरा है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल ट्विटर जैसी निजी, लाभकारी, विदेशी संस्था का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और इसके मजबूत संस्थानों की प्रतिबद्धता है।
ट्विटर का यह बयान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है। अपने कार्यों और जानबूझकर की गई अवज्ञा से, ट्विटर भारत की कानून व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा, ट्विटर मध्यस्थ गाइडलाइंस में उन्हीं नियमों का पालन करने से इनकार करता है जिनके आधार पर वह भारत में किसी भी आपराधिक दायित्व से संरक्षण होने का दावा कर रहा है।
बड़ा सवाल यह है कि अगर ट्विटर में इतनी प्रतिबद्धता है तो उसने भारत में अपने दम पर ऐसा तंत्र क्यों नहीं स्थापित किया? भारत में ट्विटर के प्रतिनिधि नियमित रूप से दावा करते हैं कि उनके पास कोई अधिकार नहीं है और उन्हें और भारत के लोगों को हर चीज को संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्विटर मुख्यालय के जरिए आगे बढ़ाना पड़ता है। अपने भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ट्विटर की कथित प्रतिबद्धता, इस प्रकार न केवल खोखली लगती है, बल्कि पूरी तरह से स्वयंभू है।
भारत में ट्विटर के पास बड़ी संख्या में यूजर्स हैं। वह भारत में अपने बिजनेस से अच्छी-खासी कमाई करता है। लेकिन भारत आधारित शिकायत निवारण अधिकारी और तंत्र, मुख्य अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी को नियुक्त करने के लिए वह तैयार नहीं है। जहां पर उसके अपने उपभोक्ता किसी भी तरह के आपत्तिजनक ट्वीट के विरोध की शिकायत कर सकते हैं।
यह नियम आम उपभोक्ता को, जो मानहानि, विकृत छवियों, यौन शोषण और कानून के घोर उल्लंघन में अन्य अपमानजनक सामग्री की पूरी श्रृंखला का शिकार हो जाते हैं। उस पर कार्रवाई करने की मांग करने का अधिकार देता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों सहित व्यापक संभव परामर्श के बाद इन नियमों को अंतिम रूप दिया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने नियमों के मसौदे को सार्वजनिक भी किया और उसके लिए सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की। मंत्रालय को व्यक्तियों, नागरिक समाज, उद्योग संघों और संगठनों से बड़ी संख्या में टिप्पणियां प्राप्त हुईं। इन टिप्पणियों पर भारी संख्या में प्रतिक्रियाएं भी प्राप्त हुई थीं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय सहित विभिन्न न्यायालयों द्वारा सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने वाले विभिन्न न्यायिक आदेश भी मौजूद हैं। इस दिशा में उचित उपाय करने के लिए कई संसदीय बहसें और सिफारिशें भी की गई हैं।
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है। भारत सरकार लोगों के सवाल पूछने के अधिकार का सम्मान करती है और ट्विटर समेत इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आलोचना का भी सम्मान करती है। सरकार निजता के अधिकार का समान रूप से सम्मान करती है। हालांकि, ट्विटर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का एकमात्र उदाहरण स्वयं ट्विटर और इसकी अपारदर्शी नीतियां हैं। जिसके परिणामस्वरूप लोगों के अकाउंट निलंबित कर दिए जाते हैं और मनमाने ढंग से ट्वीट हटा दिए जाते हैं।
ट्विटर को बेवजह की आलोचना करने की जगह देश के कानूनों का पालन करने की जरूरत है। कानून बनाना और नीति बनाना संप्रभु देश का एकमात्र विशेषाधिकार है और ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और भारत की कानूनी नीति की रूपरेखा क्या होनी चाहिए, यह तय करने में इसका कोई स्थान नहीं है।
ट्विटर ने दावा किया है कि वह भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध है। विडंबना यह है कि हाल के दिनों में ट्विटर की यह प्रतिबद्धता सबसे ज्यादा गायब रही है। इस संबंध में कुछ हालिया उदाहरण साझा करना उचित है:
ट्विटर ने उस समय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कुछ स्थानों को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हिस्से के रूप में दिखाया, जब भारत और चीन द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान में लगे हुए थे। ट्विटर को भारत की संवेदनशीलता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति इस घोर अनादर को सुधारने में कई दिन लगे, वह भी उसने ऐसा बार-बार याद दिलाने के बाद किया।
ट्विटर ने उन यूजर्स के खिलाफ खुद से कार्रवाई करने का विकल्प चुना, जिन्हें वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कैपिटल हिल में हुई हिंसा का अपराधी मानता था। लेकिन, दिल्ली में लाल किले पर गैरकानूनी घटनाओं के कुछ ही दिनों बाद, ट्विटर ने नकली नरसंहार योजना के बहाने हिंसा भड़काने वाली सामग्री को ब्लॉक करने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए वैध अनुरोध पर त्वरित कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। बाद में, उसने आंशिक रूप से उसका पालन किया, वह भी उस वक्त जब नुकसान हो चुका था।
ट्विटर के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण भारत और भारतीयों के खिलाफ फर्जी और हानिकारक सामग्री का तेजी से प्रसार हुआ है। ट्विटर प्लेटफॉर्म का लोगों में वैक्सीन लगावाने के संदेह को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है और फिर भी ट्विटर ने कोई कार्रवाई नहीं की है। क्या इसे भारत के लोगों के प्रति प्रतिबद्धता कहते हैं?
डब्ल्यूएचओ के सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद बी.1.617 म्यूटेंट को ‘भारतीय संस्करण’ नाम देकर दुर्भावनापूर्ण टैगिंग के कारण भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है। एक बार फिर से, ट्विटर ने भारत के लोगों की सेवा करने के बड़े-बड़े दावे करते हुए इस तरह के फर्जी बयानों और ट्वीट्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की एक निजी कंपनी, ट्विटर इंक, ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि वह एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार से “जनता के हितों की रक्षा” के लिए “रचनात्मक संवाद”, “सहयोगी दृष्टिकोण” चाहती है। अब समय आ गया है कि ट्विटर इस बड़े-बड़े दावों को नकारे और भारत के कानूनों का पालन करे।
भारत सरकार, ट्विटर द्वारा दिए किए गए दुर्भाग्यपूर्ण बयान को पूरी तरह से निराधार, झूठा और भारत को बदनाम करने की कोशिश की निंदा करती है। जो कि ट्विटर अपनी मूखर्तापूर्ण गलतियों को छिपाने के लिए दे रहा है।
दिल्ली पुलिस ने चल रही जांच से संबंधित एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है, जो ट्विटर द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों का पूरी तरह से जवाब देती है।
Press Release by Ministry of Electronics and IT in response to the statements made by Twitter Inc. pic.twitter.com/hQxCGuoEaG
— Ministry of Electronics & IT (@GoI_MeitY) May 27, 2021