नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए राज्यों को नये सिरे से परामर्श जारी किया है और कहा कि नियमों के अनुपालन में पुलिस की असफलता से ठीक ढंग से न्याय नहीं मिल पाता। उत्तर प्रदेश के हाथरस में महिला के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या को लेकर देशभर में फूटे गुस्से के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन पन्नों का विस्तृत परामर्श जारी किया है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि CRPC के तहत संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। परामर्श में कहा गया कि महिला के साथ यौन उत्पीड़न सहित अन्य संज्ञेय अपराध संबंधित पुलिस थाने के न्यायाधिकारक्षेत्र से बाहर भी होता है तो कानून पुलिस को ‘शून्य प्राथमिकी’ और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार देता है।
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘सख्त कानूनी प्रावधानों और भरोसा बहाल करने के अन्य कदम उठाए जाने के बावजूद अगर पुलिस अनिवार्य प्रक्रिया का अनुपालन करने में असफल होती है तो देश की फौजदारी न्याय प्रणाली में उचित न्याय देने में बाधा उत्पन्न होती है।” राज्यों को जारी परमार्श में कहा गया, ‘‘ऐसी खामी का पता चलने पर उसकी जांच कर और तत्काल संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
The Ministry of Home Affairs has issued new orders directing all the States and UTs to take mandatory and stringent action against those perpetrating crimes against women.
This reaffirms the commitment & determination of the @narendramodi govt towards women safety in the country. pic.twitter.com/OFbhiDakTo— G Kishan Reddy (Modi Ka Parivar) (@kishanreddybjp) October 10, 2020
एडवाइजरी में कहा गया है, “यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कानून में प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को निर्देश जारी कर सकते हैं।” राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली (ITSSO) पर मामलों की निगरानी करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून में आवश्यकतानुसार समयबद्ध तरीके से आरोप पत्र पर उचित कार्रवाई की जाए।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित तौर पर चार लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म करने के कारण उसकी मौत होने के कई दिनों बाद मंत्रालय ने शुक्रवार को यह एडवाइजरी जारी की। झारखंड और राजस्थान और अन्य राज्यों में इसी तरह के अपराध दर्ज किए गए थे और व्यापक विरोध और राजनीतिक आक्रोश के कारण, मंत्रालय ने नई एडवाइजरी जारी करने का कदम उठाया।
एडवाइजरी में मंत्रालय ने 16 मई, 2019 की एडवाइजरी को संदर्भित किया है, यह भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए के तहत सीआरपीसी की धारा 154 की उप-धारा (1) के तहत सूचना रिकॉर्ड करने में विफलता के बारे में है। एमएचए ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस द्वारा समय पर और सक्रिय कार्रवाई के बारे में 5 दिसंबर, 2019 को अपनी एक और एडवाइजरी का संदर्भ लिया।
मंत्रालय ने पुलिस रिसर्च और विकास ब्यूरो (BPR & D) द्वारा जारी महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म की जांच और मुकदमा चलाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का भी उल्लेख किया, और ‘बीपीआर एंड डी’ द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह के वितरण के बारे में बिंदुओं को जोड़ा। जैसा कि 5 अक्टूबर के एमएचए के पत्र में वर्णित है।