न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गुजरात के केवड़िया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को जोड़ने वाली आठ ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे। ये ट्रेनें केवड़िया (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) से वाराणसी, दादर, अहमदाबाद, हजरत निजामुद्दीन, रीवा, चेन्नई और प्रतापनगर को जोड़ेंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केवड़िया की पहचान एक भारत-श्रेष्ठ भारत का मंत्र देने वाले सरदार पटेल से होती है। उन्होंने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने वालों की संख्या स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से ज्यादा है। इन ट्रेनों के जरिए केवड़िया के आदिवासी भाई-बहनों को रोजगार मिलेगा।
Towards prosperous urban centres in Gujarat. #GujaratMetroRevolution https://t.co/bQH5rM33eU
— Narendra Modi (@narendramodi) January 18, 2021
पीएम मोदी ने कहा कि आज केवड़िया के लिए निकल रही ट्रेनों में एक ट्रेन Puratchi Thalaivar डॉक्टर एमजी रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन से भी आ रही है। ये भी सुखद संयोग है कि आज भारत रत्न MGR की जयंती भी है। MGR ने फिल्म स्क्रीन से लेकर पॉलिटिकल स्क्रीन तक, लोगों के दिलों पर राज किया था। उनका जीवन, उनकी पूरी राजनीतिक यात्रा गरीबों के लिए समर्पित थी। गरीबों को सम्मानजनक जीवन मिले इसके लिए उन्होंने निरंतर काम किया था। भारत रत्न MGR के इन आदर्शों को पूरा करने के लिए आज हम सब प्रयास कर रहे हैं। कुछ साल पहले ही देश ने उनके सम्मान में चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर MGR के नाम पर किया था। मैं भारत रत्न MGR को नमन करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि आज केवड़िया का देश की हर दिशा से सीधी रेल कनेक्टिविटी से जुड़ना पूरे देश के लिए अद्भुत क्षण है, हमें गर्व से भरने वाला पल है। थोड़ी देर पहले चेन्नई के अलावा वाराणसी, रीवा, दादर और दिल्ली से केवड़िया एक्सप्रेस और अहमदाबाद से जनशताब्दी एक्सप्रेस केवड़िया के लिए निकली हैं। इसी तरह केवड़िया और प्रतापनगर के बीच भी मेमू सेवा शुरु हुई है। डभोई-चांदोड़ रेल लाइन का चौड़ीकरण और चांदोड़-केवड़िया के बीच की नई रेल लाइन अब केवड़िया की विकास यात्रा में नया अध्याय लिखने जा रही है। आज जब रेल के इस कार्यक्रम से मैं जुड़ा हूं तो कुछ पुरानी स्मृतियां भी ताजा हो रही हैं। बहुत कम लोगों का मालूम होगा कि बड़ोदा और रभोई के बीच में नैरो गेज रेलवे चलती थी। मुझे अक्सर उसमें यात्रा करने का अवसर रहता था। माता नर्मदा के प्रति एक जमाने में मेरा बड़ा विशेष आकर्षण रहता था, मेरा आना-जाना होता था। जीवन के कुछ पल मां नर्मदा की गोद में बिताता था। और उस समय इस नैरो गेज ट्रेन से हम चलते थे, और इस नैरो गेज ट्रेन का मजा ये था कि आप उसकी स्पीड इतनी धीमी होती थी कि कहीं भी उससे उतर जाइए, कहीं भी उस पर चढ़ जाइए, बड़े आराम से। कुछ पल तो आप साथ-साथ चलें तो ऐसा लगता है कि आपकी स्पी़ड कुछ ज्यादा है। तो मैं भी कभी इसका मजा लूटता था, लेकिन आज वो ब्रॉडगेज में कनवर्ट हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रेल कनेक्टिविटी का सबसे बड़ा लाभ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने आने वाले टूरिस्टों को तो मिलेगा ही, ये कनेक्टिविटी केवड़िया के आदिवासी भाई बहनों का जीवन भी बदलने जा रही है। ये कनेक्टिविटी, सुविधा के साथ-साथ रोज़गार और स्वरोज़गार के नए अवसर भी लेकर आएगी। ये रेल लाइन मां नर्मदा के तट पर बसे करनाली, पोइचा और गरुडेश्वर जैसे आस्था से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों को भी कनेक्ट करेगी।आज केवड़िया गुजरात के सुदूर इलाके में बसा एक छोटा सा ब्लॉक नहीं रह गया है, बल्कि केवड़िया विश्व के सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में आज उभर रहा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए अब स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा टूरिस्ट पहुंचने लगे हैं। अपने लोकार्पण के बाद से करीब-करीब 50 लाख लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने आ चुके हैं। कोरोना में महीनों तक सब कुछ बंद रहने के बाद अब एक बार फिर केवड़िया में आने वाले टूरिस्टों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि जैसे-जैसे कनेक्टिविटी बढ़ रही है, भविष्य में हर रोज एक लाख तक लोग केवड़िया आने लगेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि छोटा सा खूबसूरत केवड़िया, इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे Planned तरीके से पर्यावरण की रक्षा करते हुए Economy और Ecology, दोनों का तेजी से विकास किया जा सकता है। यहां इस कार्यक्रम में उपस्थित बहुत से गणमान्य लोग शायद केवड़िया नहीं गए होंगे, लेकिन मुझे विश्वास है, एक बार केवड़िया की विकास यात्रा देखने के बाद आपको भी अपने देश की इस शानदार जगह को देखकर के गर्व होगा। मुझे याद है, जब शुरु में केवड़िया को दुनिया का बेहतरीन Family Tourist Destination बनाने की बात की जाती थी, तो लोगों को ये सपना ही लगता था, ये संभव ही नहीं है, हो ही नहीं सकता। इस काम में तो अनेकों दशक लग जाएंगे। खैर पुराने अनुभव के आधार पर उनकी बातों में तर्क भी था। न केवड़िया जाने के लिए चौड़ी सड़कें, न उतनी स्ट्रीट लाइटें, न रेल, न टूरिस्टों के रहने के लिए बेहतर इंतजाम, अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि में केवड़िया देश के अन्य छोटे से गांवों की तरह ही एक था। लेकिन आज कुछ ही वर्षों में केवड़िया का कायाकल्प हो चुका है। केवड़िया पहुंचने के लिए चौड़ी सड़के हैं, रहने के लिए पूरा टेंट सिटी है, अन्य अच्छे इंतजाम हैं, बेहतरीन मोबाइल कनेक्टिविटी है, अच्छे अस्पताल हैं, कुछ दिन पहले सी प्लेन की सुविधा शुरू हुई और आज देश के इतने सारे रेल रूट से केवड़िया एक साथ जुड़ गया है। ये शहर एक तरह से कंप्लीट फैमिली पैकेज के रूप में सेवाएं दे रहा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर बांध की भव्यता, उनकी विशालता का ऐहसास आप केवड़िया पहुंचकर ही कर सकते हैं। अब यहां सैकड़ों एकड़ में फैला सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क है, जंगल सफारी है। एक तरफ आयुर्वेद और योग पर आधारित आरोग्य वन है तो दूसरी तरफ पोषण पार्क है। रात में जगमगाता ग्लो गार्डन है तो दिन में देखने के लिए कैक्टस गार्डन और बटरफ्लाई गार्डन है। टूरिस्ट को घुमाने के लिए एकता क्रूज है, तो दूसरी तरफ नौजवानों को साहस दिखाने के लिए राफ्टिंग का भी इंतजाम है। यानि बच्चे हों, युवां हों या बुजुर्ग, सभी के लिए बहुत कुछ है। बढ़ते हुए पर्यटन के कारण यहां के आदिवासी युवाओं को रोजगार मिल रहा है, यहां के लोगों के जीवन में तेजी से आधुनिक सुविधाएं पहुंच रही हैं। कोई मैनेजर बन गया है, कोई कैफे ओनर बन गया है, कोई गाइड का काम करने लगा है। मुझे याद है, जब मैं जूलॉजिकल पार्क में पक्षियों के लिए विशेष Aviary Dome गया था, तो वहां एक स्थानीय महिला गाइड ने बहुत विस्तार से मुझे जानकारी दी थी। इसके अलावा केवड़िया की स्थानीय महिलाएं उनको हैंडीक्राफ्ट के लिए बनाए गए विशेष एकता मॉल में अपने सामान की बिक्री का मौका मिल रहा है। मुझे बताया गया है कि केवड़िया के आदिवासी गांवों में 200 से ज्यादा Rooms की पहचान करके उन्हें टूरिस्ट के Home Stay के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केवड़िया में जो रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है, उसमें भी सुविधा के साथ-साथ टूरिज्म का ध्यान रखा गया है। यहां Tribal Art Gallery और एक Viewing Gallery भी बनाई जा रही है।इस Viewing Gallery से पर्यटक Statue of Unity को देख पाएंगे। इस प्रकार के लक्ष्य और लक्ष्य केंद्रित प्रयास भारतीय रेल के बदलते स्वरूप का भी प्रमाण है। भारतीय रेल पारंपरिक सवारी और मालगाड़ी वाली अपनी भूमिका निभाने के साथ ही हमारे प्रमुख टूरिज्म और आस्था से जुड़े सर्किट को सीधी कनेक्टिविटी दे रही है। अब तो अनेक रूट्स पर विस्टाडोम वाले Coaches भारतीय रेल की यात्रा को और आकर्षक बनाने वाले हैं। अहमदाबाद-केवड़िया जन शताब्दी एक्सप्रेस भी उन ट्रेनों में से होगी जिसमें ”विस्टा-डोम कोच” की सुविधा मिलेगी। बीते वर्षों में देश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए जितना काम हुआ है, वो अभूतपूर्व है। आज़ादी के बाद हमारी ज्यादातर ऊर्जा पहले से जो रेल व्यवस्था थी उसको ठीक-ठाक करने या सुधारने में ही लगी रही। उस दौरान नई सोच और नई टेक्नॉलॉजी पर फोकस कम ही रहा। ये अप्रोच बदली जानी बहुत जरूरी थी। और इसलिए बीते सालों में देश में रेलवे के पूरे तंत्र में व्यापक बदलाव करने के लिए काम किया। ये काम सिर्फ बजट बढ़ाना- घटाना, नई ट्रेनों की घोषणाएं करना यहां तक सीमित नहीं रहा। ये परिवर्तन अनेक मोर्चों पर एक साथ हुआ है। अब जैसे, केवड़िया का रेल से कनेक्ट करने वाले इस प्रोजेक्ट का ही उदाहरण देखें तो इसके निर्माण में, जैसे अभी वीडियो में बताया गया था मौसम ने, कोरोना की महामारी ने हर प्रकार की बाधाएं आई। लेकिन रिकॉर्ड समय में इसका काम पूरा किया गया और जिस नई निर्माण टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल अब रेलवे कर रही है, उसने इसमें बहुत मदद की। इस दौरान ट्रैक से लेकर पुलों के निर्माण तक नई तकनीक पर फोकस किया गया, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया गया। सिग्नलिंग के काम को तेज़ करने के लिए वर्चुअल मोड के ज़रिए टेस्ट किए गए। जबकि पहले की स्थितियों में ऐसी रुकावटें आने पर अक्सर ऐसे प्रोजेक्ट्स लटक जाते थे। Dedicated Freight Corridor का प्रोजेक्ट भी हमारे देश में पहले जो तौर-तरीके चल रहे थे, उसका एक और उदाहरण ही मान लीजिए । पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेट फ्रेट कॉरिडोर के एक बड़े सेक्शन का लोकार्पण कुछ दिन पहले मुझे करने का मौका मिला । राष्ट्र के लिए बहुत ज़रूरी इस प्रोजेक्ट पर 2006 से लेकर 2014 तक यानि लगभग 8 सालों में सिर्फ कागजों पर ही काम हुआ। 2014 तक एक किलोमीटर ट्रैक भी नहीं बिछ पाया था। अब अगले कुछ महीनों में कुल मिलाकर के 1100 किलोमीटर का काम पूरा होने जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण के साथ ही आज देश के उन हिस्सों को रेलवे से कनेक्ट किया जा रहा है, जो अभी कनेक्टेड नहीं थे। आज पहले से कहीं ज्यादा तेजी के साथ पुराने रेल रूट का चौड़ीकरण और बिजलीकरण किया जा रहा है, रेल ट्रैक को ज्यादा स्पीड के लिए सक्षम बनाया जा रहा है। यही कारण है कि आज देश में सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाना संभव हो रहा है और हम हाई स्पीड ट्रैक और टेक्नॉलॉजी की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। इस काम के लिए बजट को कई गुणा बढ़ाया गया है। यही नहीं, रेलवे Environment Friendly भी हो, ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है। केवड़िया रेलवे स्टेशन भारत का पहला ऐसा स्टेशन है, जिसको शुरुआत से ही ग्रीन बिल्डिंग के रूप में Certification मिला है।
पीएम मोदी ने कहा कि रेलवे के तेज़ी से आधुनिकीकरण का एक बड़ा कारण रेलवे मैन्युफक्चरिंग और रेलवे टेक्नॉलॉजी में आत्मनिर्भरता पर हमारा बल है हमारा फोकस है। बीते सालों में इस दिशा में जो काम हुआ, उसका परिणाम अब धीरे-धीरे हमारे सामने दिख रहा है । अब सोचिए, अगर हम भारत में हाई हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव नहीं बनाते, तो क्या दुनिया की पहली डबल स्ट्रैक लॉन्ग हॉल कंटेनर ट्रेन भारत चला पाता? आज भारत में ही बनी एक से एक आधुनिक ट्रेनें भारतीय रेल का हिस्सा हैं। आज जब भारतीय रेल के Transformation की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं, तो Highly Skilled Specialist Manpower और Professionals भी बहुत ज़रूरी हैं। वडोदरा में भारत की पहली Deemed Railway university की स्थापना के पीछे यही मकसद है। रेलवे के लिए इस प्रकार का उच्च संस्थान बनाने वाला भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है। रेल ट्रांसपोर्ट हो, मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च हो, ट्रेनिंग हो, हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं हो यहां उपलब्ध कराई जा रही हैं। 20 राज्यों के सैकड़ों मेधावी युवा भारतीय रेल के वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने के लिए खुद को प्रशिक्षित कर रहे हैं। यहां होने वाले Innovations और Research से भारतीय रेल को आधुनिक बनाने में और मदद मिलेगी।