नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। वजह कार का मॉडल या कलर या कंपनी नहीं है। बल्कि वजह है गाड़ी का नंबर प्लेट।
दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह एक बैठक में शामिल होने के लिए बीजेपी मुख्यालय पहुंच थे। उनके ऑफिस पहुंचने के दौरान उनकी गाड़ी की तस्वीरें ली गई। न्यूज एजेंसी एएनआई ने ये तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर डालीं, गाड़ी के नंबर प्लेट ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खिंच लिया। गाड़ी ने नंबर में ‘CAA’ होने के कारण लोग इस पर रियेक्ट करने लगे।
अमित शाह की कार पर ‘डीएल1 सीएए 4421’ का नंबर प्लेट लगा था। इसे देखकर नेटिजन्स इसपर कमेंट करने लगे। एक यूजर ने लिखा, “यानी सीएए जरूर लागू होगा।” वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, “सीएए हमेशा उनके दिमाग में था।”
नंबर प्लेट देखो मोटाभाई की गाड़ी की।
अब तो विश्वास हो गया कि #CAA आ रहा हैं… pic.twitter.com/UyUCDrALJ2
— Sandy Chauhan (@synd5129) March 1, 2024
न्यूज एजेंसी एएनआई ने 29 फरवरी की रात अमित शाह की पार्टी मुख्यालय पहुंचने का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में भाजपा सीईसी की बैठक के लिए पहुंचे।” वीडियो पोस्ट होते ही गाड़ी के नंबर प्लेट की तस्वीर वायरल होने लगी। इस वीडियो पर भी लोग जमकर रियेक्ट कर रहे हैं। अब तक 1 लाख से ज्यादा लोग इस वीडियो को देख चुके हैं।
सीएए क्या है? नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) एक अधिनियम है जो 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था। 2019 सीएए ने 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया, जिससे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और अन्य लोगों को भारतीय नागरिकता की अनुमति मिल गई। ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यक जो धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर के कारण दिसंबर 2014 से पहले पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भाग गए थे।
हालांकि, अधिनियम में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। सीएए 2019 संशोधन के तहत, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले और अपने मूल देश में धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर का सामना करने वाले प्रवासियों को नए कानून द्वारा नागरिकता के लिए पात्र बनाया गया था। इस प्रकार के प्रवासियों को छह वर्षों में फास्ट ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। संशोधन ने इन प्रवासियों के देशीयकरण के लिए निवास की आवश्यकता को ग्यारह वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया।