‘छठ मनाएं तो मनाएं कहां’, दिल्ली की झाग वाली यमुना पर पूर्वांचलियों का सवाल, प्रतिदिन बदतर होती जा रही है यमुना,कितना जहरीला है ये तैरता झाग?

नई दिल्ली। दिल्ली में सर्दी की दस्तक देते ही यमुना नदी में तैरता जहरीला झाग दिखाई देने लगता है। पिछले कुछ दिनों से यमुना नदी को सफेद झाग की मोटी परत से ढका हुआ देखा जा सकता है। दिल्ली की झाग वाली यमुना ने पूर्वांचलियों की परेशानी बढ़ा दी है। दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वांचल के लोग रहते हैं, जो लोग छठ का त्योहार मनाते हैं। लेकिन अब यमुना की ऐसी हालत देख कर वो सवाल कर रहे हैं आखिर ऐसे में ‘छठ मनाने के लिए कहां जाएं’

यमुना नदी पूरी तरह केमिकल के झाग को देख पूर्वांचली सवाल कर रहे हैं कि ‘आखिर वो छठ कैसे मनाएंगे और छठ मनाने के लिए वो कहां जाएं।’ उन्होंने ये भी कहा है कि ये हर साल का हाल हो गया है। दिल्ली वाले केमिकल के झाग वाली यमुना में छठ करने को मजबूर हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार के दावों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जो ये दावे करते हैं कि उन्होंने यमुना को साफ करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।

दिल्ली केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने कहा, “कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में ऑक्सीजन का स्तर शून्य है। यमुना नदी की सफाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार को दिए गए 3000 करोड़ रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। आप सरकार झूठ फैलाने और जनता को भ्रमित करने में माहिर है।”

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि झाग लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (SANDRP) के एसोसिएट कोऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने इन हालातों पर टिप्पणी की है।

उन्होंने कहा, “आमतौर पर यमुना के ऊपरी हिस्से में बाढ़ की स्थिति रहती है, लेकिन इस साल 2024 के हाल ही में समाप्त हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान कोई बाढ़ नहीं आई है। यह असामान्य है क्योंकि नदी में आमतौर पर हर साल इस हिस्से में कम से कम दो बार कम या मध्यम बाढ़ आती है।”

छठ पूजा जैसे प्रमुख त्यौहारों के नजदीक आने के साथ, विशेषज्ञों ने सरकार से प्रदूषण को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनिया और फॉस्फेट की उच्च मात्रा वाले झाग से सांस लेने और त्वचा संबंधी समस्याओं सहित स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा होते हैं।

एक एक्सपर्ट ने कहा, “इस तरह का झाग तब बनता है जब सड़ते हुए पौधों और प्रदूषकों से निकलने वाली चर्बी पानी में मिल जाती है, लेकिन मानसून के दौरान कई बार ये बाढ़ के पानी में बह जाता है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है। इस साल बाढ़ की कमी देखी गई थी। जो आमतौर पर प्रदूषकों को बहा ले जाता है। यही सबसे बड़ा कारण है झाग बनने का।

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