न्यूज़ डेस्क। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण (I&B) मंत्रालय और ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC)’ को नोटिस जारी करते हुए ‘आदिपुरुष’ फिल्म को लेकर जवाब माँगा है। फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों और डायलॉग्स को लेकर 2 PIL दायर की गई है, जिस पर दोनों संस्थाओं को उच्च न्यायालय ने एफिडेविट दायर करने के लिए कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सेंसर बोर्ड द्वारा इस फिल्म को सर्टिफाई करना एक बड़ा ब्लंडर था और इसने बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएँ आहत की हैं।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए फिल्म निर्माताओं की मानसिकता पर सवाल उठाया और कहा कि कुरान या बाइबिल जैसे पवित्र ग्रंथों को ऐसे नहीं छुआ जाना चाहिए और न ही उनसे छेड़छाड़ किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने माना कि ‘आदिपुरुष’ में जिस तरह से रामायण के किरदारों को दिखाया गया है, स्वाभाविक है कि लोगों की भावनाएँ आहत हुई होंगी। जजों ने कहा कि दिन प्रतिदिन ऐसी घटनाएँ बढ़ती ही जा रही हैं।
Make a documentary on the Quran depicting wrong things and see what will happen: Allahabad High Court in Adipurush case
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— Bar & Bench (@barandbench) June 28, 2023
हाईकोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में ऐसी कई फ़िल्में आई हैं जिनमें हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक बनाया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा कि अगर हमने अभी अपना मुँह बंद कर लिया तो पता है क्या होगा? जजों ने एक फिल्म के दृश्य को याद किया, जिसमें भगवान शिव को त्रिशूल लेकर दौड़ते हुए दिखाया गया था और उनका मजाक बनाया गया था। कोर्ट ने पूछा कि अब ये सब दिखाया जाएगा? साथ ही कहा कि जब फ़िल्में कारोबार करती हैं तो निर्माता कमाते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “मान लीजिए कभी आपने कुरान पर कोई छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बना दी, जिसमें आपने कुछ गलत दिखा दिया। तब देखिए क्या-क्या होता है। ये स्पष्ट करना ज़रूरी है कि ये किसी एक धर्म के बारे में नहीं है। संयोग से ये मामला रामायण से जुड़ा हुआ है, न्यायपालिका तो हर धर्म का है। किसी भी धर्म को खराब तरीके से नहीं दिखाया जाना चाहिए। मुख्य चिंता ये है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखा जाना चाहिए।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियाँ की हैं, लेकिन फ़िलहाल कोई निर्णय नहीं सुनाया है। जजों ने कहा कि ये चीजें मीडिया में भी आ जाएँगी। हाईकोर्ट ने पूछा कि जैसा फिल्म में दिखाया गया है, धार्मिक किरदारों को कोई ऐसा सोच सकता है? खासकर जिस तरह के कपड़े इन किरदारों को पहनाया गया है, उस पर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भगवान राम, लक्ष्मण या माँ सीता का सम्मान करने वाले कभी इस फिल्म को नहीं देख सकते।
सोर्स : ऑपइंडिया