नई दिल्ली। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कमांडेंट और कीर्ति चक्र से सम्मानित चेतन चीता हरियाणा के एम्स झज्जर में आईसीयू वार्ड में एडमिट हैं। वह कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं। हालांकि पिछले हफ्ते सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन कुमार चीता की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आई थी लेकिन फिर भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। नौ दिनों के बाद, जब 45 वर्षीय कमांडेंट चेतन को बुधवार (09 जून) को वेंटिलेटर से हटा दिया गया तो थोड़ी राहत मिली। डॉक्टरों के मुताबिक उसकी हालत और शरीर में सुधार हुआ था। लेकिन फिर से उनकी हालत गंभीर है। गुरुवार (10 जून) सुबह उन्हें फिर से वेंटिलेटर पर रखा गया क्योंकि उनका ऑक्सीजन लेवल गिरकर 94 हो गया था। कोरोना संक्रमित होने के बाद कमांडेट चीता को 9 मई को एम्स झज्जर में एडमिट कराया गया था। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें 30 मई को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
इंडिया टुडे के मुताबिक, आंखों में आंसू लिए चेतन चीता की पत्नी ने कहा, “मुझे पता है कि वह एक फाइटर है। हम इस लड़ाई को नहीं छोड़ सकते। भगवान इतना अनुचित नहीं हो सकता। हमें देश की दुआओं की आवश्यकता है।” चेतन चीता का बेटे ने भी कोरोना संक्रमित है।
कमांडेंट चेतन चीता के परिवार वालों ने कहा है कि उनमें कोई कोमोरबिडिटी नहीं है। उनके शरीर में ज्यादा परेशानी उनके हाथ की वजह से हो रही है, जिसमें मुठभेड़ के दौरान गोलियां लगी हैं। चेतन चीता कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे। 14 फरवरी 2017 को बांदीपोरा के हाजिन इलाके में आतंकवादियों के साथ एक मुठभेड़ में उन्हें नौ गोलियां लगी थीं। चेतन चीता को ये गोलियां दोनों हाथ, कमर के निचले हिस्से में, ब्रेन, दाई आंख और पेट में लगी थी।
चेतन चीता 9 मई से एम्स झज्जर में भर्ती हैं। परिवार उन्हें एम्स दिल्ली या एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने का इच्छुक है। मामले को प्राथमिकता से लेने वाले सीआरपीएफ ने इस पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया से भी सलाह ली।
डॉ गुलेरिया ने चेतन चीता के परिवार को आश्वासन दिया कि चेतन चीता के पास अच्छे डॉक्टरों की टीम है और इलाज के बीच में उसे स्थानांतरित करना हानिकारक साबित हो सकता है।