किसी कंपनी को सरकार अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी कंपनी को सरकार अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट नहीं कर सकती है। ब्लैकलिस्ट करने का आदेश व्यावसायिक व्यक्ति के खिलाफ न सिर्फ मौजूदा समय में क्रियाशील रहता है, बल्कि यह उसे दागी भी बना देता है। यह दाग काफी दूर तक जाता है और यह संस्थान के लिए मौत का कारण भी बन सकता है, जिसे सिविल डेथ कहते हैं।

ये टिप्पणियां करते हुए जस्टिस आर एफ नरीमन की पीठ ने 2009 में ब्लैकलिस्ट की गई फॉर्मा कंपनी वेट इंडिया फॉर्मा लि. का प्रतिबंध निरस्त कर दिया। कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश यूपी एनिमल हजबेंडरी विभाग ने दिया था। आदेश में कहा गया था कि कंपनी ने निम्न मानकों वाली पशु दवाएं आपूर्ति की हैं। बैन में कहा गया था कि कंपनी द्वारा आपूर्ति की गईं ऑक्सी टेट्रासाइक्लिन इंजेक्शन की दवाएं राज्य विश्लेषक ने अपनी रिपोर्ट में निम्न स्तर की पाई थीं। इसके बाद कपनी को सरकारी ठेका लेने से रोक दिया गया।

कंपनी ने इस आदेश को 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, पर कोर्ट ने देरी से याचिका दायरा करने के आधार पर ये अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद वह शीर्ष अदालत गई। पीठ ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के आदेश में ऐसा नहीं लिखा था कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का इरादा है या उसे ब्लैकलिस्ट करने पर विचार हो रहा है। यदि यह साफ होता तो कंपनी अपना जवाब अच्छे तरीके से देती।

कोर्ट ने कहा कि हमने अपने पूर्व के आदेश में साफ कहा है कि तीन साल से ज्यादा और अधिकतम पांच साल तक का प्रतिबंध अनुचित होता है। कोर्ट ने कहा कि जहां तक याचिका में देरी का सवाल है तो रिट याचिका दायर करने में कोई अनुत्तरित देरी नहीं है।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.