मथुरा। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर उक्त भूमि वापस उसके मालिक श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट को सौंपे जाने के अनुरोध वाली जिला न्यायाधीश की अदालत में दाखिल की गई याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई। लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य लोगों ने सोमवार को जिला न्यायाधीश साधना ठाकुर की अदालत में यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु जैन के माध्यम से दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
श्रीकृष्ण विराजमान 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर दाखिल की गई याचिका को जिला जज साधना रानी ठाकुर ने स्वीकार कर लिया है। याचिका में पक्षकार बनाए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मेनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के आदेश न्यायालय ने दिए हैं। न्यायालय का आदेश आने के बाद याचिका कर्ताओं ने खुशी जाहिर की है।
श्रीकृष्ण विराजमान वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, तरूणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह, त्रिपुरारी तिवारी की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर वाद दायर किया गया था। कोर्ट के छुट्टी पर होने के कारण इस मामले की सुनवाई अपर जिला जज एफटीसी की अदालत में हुई थी।
30 सितंबर को एडीजे एफटीसी ने इस अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया था, कि भगवान के करोड़ों भक्त हैं, लिहाजा अपील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। एडीजे एफटीसी के आदेश को जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में 12 अक्तूबर को चुनौती दी गई थी। अदालत ने वादी पक्ष को सुनने के बाद सुनवाई के लिए 16 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की थी।
शुक्रवार को जिला जज ने अपील को अंगीकृत करते हुए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मेनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि निर्धारित की है। अदालत का मिलने के बाद अधिवक्ता हरीशंकर जेन और विष्णु शंकर जेन और भक्त सखाओं ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने इसे पहली बड़ी जीत बताया है। अधिवक्ता विष्णु जैन और हरिशंकर जैन द्वारा सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में दायर यह याचिका 57 पेज की है। जिसमें उन्होंने अपनी सारी बातें रखी हैं।