नई दिल्ली। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा है। सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को मैराथन बैठक हुई, बैठक के बाद देर शाम कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, बैठक में चार में से दो मुद्दों पर सहमति बन गई है। पहला यह कि सरकार पराली को लेकर सजा और जुर्माना कानून को वापस लेने को तैयार है। तोमर ने कहा, पहला मुद्दा पर्यावरण से संबंधित एक अध्यादेश था। पराली के साथ किसानों को शामिल किए जाने के बारे में यूनियनें आशंकित थीं। दोनों पक्ष किसानों को इसमें से हटाने के लिए सहमत हुए हैं।
दूसरा, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट सरकार ने अभी लागू नहीं किया है। किसान चाहते हैं कि सब्सिडी राज्य के हाथ में रहे, इस पर केन्द्र सरकार सहमत है। इसके साथ किसान संगठन चाहते हैं कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। हम पहले ही कह चुके हैं कि सरकार MSP पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है, लेकिन किसान यदि यह चाहते हैं कि MSP को कानूनी दर्जा मिले तो ऐसे मुद्दों पर 4 जनवरी को 2 बजे चर्चा करेंगे। तोमर ने कहा, किसानों ने आंदोलन और बैठक में अनुशासन बनाए रखा। यह एक अच्छा उदाहरण है। हम सोचते हैं कि सकारात्मक माहौल में अच्छी बातचीत हो सकती है और किसानों के सभी मुद्दे हल हो सकते हैं।
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के पश्चात मीडिया को संबोधित किया…#FarmBills2020 https://t.co/SCe8JZiRxj
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 30, 2020
केंद्र सरकार और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। जिसमें केंद्रीय मंत्री और किसानों के बीच एक अनोखा नजारा देखने को मिला। अभी तक लंच ब्रैक के दौरान किसानों के लिए सिंघु बॉर्डर से खाना बनकर आता था और मंत्री अलग जाकर चाय नाश्ता करते थे, लेकिन पहली बार केंद्रिय मंत्रियों ने किसानों के साथ भोजन किया।
केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर ने विज्ञान भवन में दोपहर के भोजन के दौरान किसान नेताओं के साथ भोजन किया। यह एक महत्वपूर्ण विकास है, क्योंकि यह दोनों पक्षों के बीच कुछ सुधार के संबंधों का संकेत देता है। किसान नेताओं ने पहले दौर की वार्ता के दौरान सरकार की ओर से विज्ञान भवन में परोसे गए भोजन को खाने से मना कर दिया था। जिसके बाद उनके लिए सिंघु बॉर्डर से ही खाना बनकर आता था।