नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को संसद द्वारा मंजूरी प्रदान किए जाने के बाद जहां कई जगह खुशियां मनाई जा रही है। वहीं कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) आज सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन 2019 के खिलाफ रिट पीटिशन दायर करेगी। ज्ञात हो कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता चिदंबरम और कपिल सिब्बल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दोनों वकील डरा रहे थे कि बिल अदालत में टिक नहीं पाएगा। मेरा कहना है कि हमारा काम अपनी बुद्धि विवेक से कानून बनाना है। आप अदालत में जाकर बहस करेंगे तो अदालत बताएगी कि क्या ठीक है। पर मेरा मानना है कि यह कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा के दौरान सही ठहराया जाएगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को निकट भविष्य में अदालत में चुनौती दी जाएगी क्योंकि यह संवैधानिकता के लिहाज से “बेहद संदिग्ध” है। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया था कि विधेयक पारित होने पर पार्टी अदालत का रुख करेगी। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “हम सभी संभावनाएं तलाशेंगे।”
श्री सिंघवी से जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी, तो उन्होंने कहा, “यह निश्चित रूप से एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जो संवैधानिकता के मामले में “बेहद संदिग्ध” है। कांग्रेस प्रवक्ता तथा वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा, “मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह चुनौती देने लायक है और निकट भविष्य में (अदालत में) चुनौती दी जाएगी।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने भी कहा कि विधेयक संविधान में निहित मौलिक विचारों पर एक “हमला” है और इस कानून का भाग्य उच्चतम न्यायालय में तय किया जाएगा।”
कांग्रेस के एक अन्य नेता मनीष तिवारी ने कहा कि विधेयक “असंवैधानिक” है और इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। इससे पहले दिन में कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल से जब यह पूछा गया कि विधेयक के पारित होने पर क्या कांग्रेस उच्चतम न्ययालय का दरवाजा खटखटाएगी तो उन्होंने कहा, “हम सभी संभावनाएं तलाशेंगे।”
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि वह नागरिकता संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इसीलिए जमीयत इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। इसका पूरा मसौदा ही धार्मिक भेदभाव और पूर्वाग्रह के साथ तैयार किया गया है। मदनी ने यह भी कहा कि यह विधेयक देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है क्योंकि इसमें बिना दस्तावेज के नागरिकता देने का प्रावधान है।